क्योंकि हम इश्क ही उनसे कर बैठे जो मिल ना सकेगी दिल से दिल तक
दिल से दिल तक
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गोविन्द राजा
लिखा हाल खत में हूं कहा के पता लिखूं कहा है तू
अब और मत तरपा बेदर्दी
लौट आ जहां है तू दिल से दिल तक
दिल से दिल तक
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गोविन्द राजा
ख्वाहिश है तुझे अपना बनाने की
और ना कोई खुवाहिशे इस दीवाने की
शिकायत मुझे तुमसे नहीं है
शिकायत तो खुदा से है
क्या जरूरत थी तुझे इतनी खूबसूरत बनाने की दिल से दिल तक