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Srashti Gauri Agrawal
"हवा को गुमान था अपनी आजादी पर, किसी ने उसे भी गुब्बारे में भर के बेच दिया।" ©Srashti Gauri Agrawal हवा की आजादी 😮
हवा की आजादी 😮
read morepramod malakar
मेरा गर्दन और तेरी पतली कमर, खुली हवा में मचा ले तू कहर! कभी पर्वत कभी नहर,मौज में है शहर - शहर! मुस्कान तेरा मेरा देखेगी दुनिया, नजर हो सीधी या बदगुनिया! भैकेंट है अभी समर, खुली हवा में मचा ले तू कहर!! ©pramod malakar #खुली हवा में ......
MUKESH KUMAR
जिसे "मैं" की हवा लगी, उसे फिर न दवा लगी न दुआ लगी... ©MUKESH KUMAR में की हवा...
में की हवा... #शायरी
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
हवा हो जाने की फिराक में, मेरी धड़कन बढ़ा दी है। नहीं सांसों पे है काबू, ऐसे ही उलझन बढ़ा दी है। गजब वो तेज कदमों से, चली है चाल भरमों से - कि मैं पीछे पड़ा हूं और नजरों पे चिलमन बढ़ा दी है। रुको,सुन हाल लो दिल का, कदम कर दो जरा हल्का, हवा तेरी लगी कि आंचल- भी हो,क्यूं अनबन बढ़ा दी है ? ©BANDHETIYA OFFICIAL #हवा # हो जाने की फिराक में।
payal kuwar
एक ख्वाब सजाने की सपनों की पैमानों की उड़ जाने की नील गगन में हौसलों की उड़ान दूर गगन में भड़ने की कोई साथ नहीं है तो क्या हुआ पाएेंगे मंजिल देर हीं सही पर जाऐंगे ऊंची दूर कहीं लौट कर भी आऐंगे साथ खुशियों की बहार लाऐंगे कोई खुश नहीं तो क्या करें क्या जीने का ना हम राह चुनें....?? मरना इतना आसान कहाँ चल रहे सफर में दूर तलक है ख्वाबों की राह जहाँ......... ©payal kuwar # सपनों की आजादी #
# सपनों की आजादी #
read moreRaje
घर ( पिंजरे ) में कैद पंछी , उड़ने के लिए उतना ही बेताब होता है। जिस तरह एक माचिश की तिलि में, न जाने कितने ज्वालामुखी को, खामोशी से छुपा के रखता है । ©Raje बेताबी आजादी की
बेताबी आजादी की #अनुभव
read moreप्रतिहार
ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! हां मगर, आजादी की बधाई हमें रास न आई!! लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई
आजादी की बधाई
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