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Srashti Gauri Agrawal

हवा की आजादी 😮

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"हवा को गुमान था
अपनी आजादी पर,
किसी ने उसे भी गुब्बारे में
 भर के बेच दिया।"

©Srashti Gauri Agrawal हवा की आजादी 😮

pramod malakar

#खुली हवा में ...... #शायरी

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MUKESH KUMAR

में की हवा... #शायरी

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जिसे "मैं" की हवा लगी,
उसे फिर न दवा लगी न दुआ लगी...

©MUKESH KUMAR में की हवा...

Ravi Kumar

जीने की खुली आजादी का नाम है R.C. M #विचार

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BANDHETIYA OFFICIAL

#हवा # हो जाने की फिराक में। #शायरी

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हवा हो जाने की फिराक में,
मेरी धड़कन बढ़ा दी है।
नहीं सांसों पे है काबू,
ऐसे ही उलझन बढ़ा दी है।
गजब वो तेज कदमों से,
चली है चाल भरमों से -
कि मैं पीछे पड़ा हूं और
नजरों पे चिलमन बढ़ा दी है।
रुको,सुन हाल लो दिल का,
कदम कर दो जरा हल्का,
हवा तेरी लगी कि आंचल-
भी हो,क्यूं अनबन बढ़ा दी है ?

©BANDHETIYA OFFICIAL #हवा # हो जाने की फिराक में।

anuradha sahota

अभिव्यक्ति की आजादी

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payal kuwar

# सपनों की आजादी #

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एक ख्वाब सजाने की
सपनों की पैमानों की
उड़ जाने की नील गगन में
हौसलों की उड़ान दूर गगन में भड़ने की
कोई साथ नहीं है तो क्या हुआ 
पाएेंगे मंजिल देर हीं सही
पर जाऐंगे ऊंची दूर कहीं 
लौट‌ कर भी आऐंगे साथ खुशियों की बहार लाऐंगे

कोई खुश नहीं तो क्या करें 
क्या जीने का ना हम राह चुनें....??
मरना इतना आसान कहाँ
चल रहे सफर में दूर तलक
है ख्वाबों की राह‌ जहाँ.........

©payal kuwar # सपनों की आजादी #

Raje

बेताबी आजादी की #अनुभव

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घर ( पिंजरे ) में कैद पंछी ,
 उड़ने के लिए उतना ही बेताब होता है।
 जिस तरह
 एक माचिश की तिलि में,
न जाने कितने ज्वालामुखी को, खामोशी से  छुपा के रखता है ।

©Raje बेताबी  आजादी की

Sandeep yadav

आजादी की पुकार #कविता

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प्रतिहार

आजादी की बधाई

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ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! 
ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! 
 आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

 तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! 
तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! 
सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! 
हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! 
घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! 
हां मगर, 
आजादी की बधाई हमें रास न आई!! 
लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई
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