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नेहा उदय भान गुप्ता
जब अकेली होती हूं मां, जब अंधेरा होता है मां। उन भूतों से डर नहीं लगता, जो बचपन में कहानियां सुनी थी, मां मुझे उन हैवानों से डर लगता है, जो हमारे ही बीच में पलते है, जो हमारे ही बीच रहते है, अच्छाई का मुखौटा पहने, मां मुझे उन दरिंदो से डर लगता है। मैं आज भले ही बड़ी हो गई मां, पर मुझे अब और भी डर लगता है, मां मुझे बहुत डर लगता है, बहन बेटियों की इज्ज़त के, लुटेरों से बहुत डर लगता है मां..... मां मैं बेटी क्यों हूं..... क्या बेटियों को केवल दर्द और डर मिलता है...!!! अखंड आर्यावर्त
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
जब अकेली होती हूं मां, जब अंधेरा होता है मां। उन भूतों से डर नहीं लगता, जो बचपन में कहानियां सुनी थी, मां मुझे उन हैवानों से डर लगता है, जो हमारे ही बीच में पलते है, जो हमारे ही बीच रहते है, अच्छाई का मुखौटा पहने, मां मुझे उन दरिंदो से डर लगता है। मैं आज भले ही बड़ी हो गई मां, पर मुझे अब और भी डर लगता है, मां मुझे बहुत डर लगता है, बहन बेटियों की इज्ज़त के, लुटेरों से बहुत डर लगता है मां..... मां मैं बेटी क्यों हूं..... क्या बेटियों को केवल दर्द और डर मिलता है...!!! अखंड आर्यावर्त
Pradyumn awsthi
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा ©pradyuman awasthi अखंड भारत
Tum hi ho 💝
जिंदगी और पतंग की कहानी एक जैसी होती है हम चाहे जितनी ऊंचाई पर चले जाएं लेकिन अंत में जाना है कूड़े के ढेर में ही...!!! सुगंध कुमार अखंड सत्य
Raaj Music
. अखंड भारत में कोन कोन से देश आते है कमेंट में बताओ। ©Guruji Tips अखंड भारत
HP
💐अखंड ज्योति💐 वास्तविक सुख-शाँति केवल ऊपरी दान-पुण्य करते रहने से नहीं मिल सकती। उसके लिये आध्यात्मिक स्थिति का मूलाधार अन्तःकरण को निर्मल एवं शुद्ध करना होगा। ऊपर से दिखाई देने वाले सत्कर्म भी अन्तःकरण की शुद्धता के अभाव में निष्फल चले जाते हैं। दान देते समय यदि यह विचार रहता है कि मैं कोई एक विशेष कार्य कर रहा हूँ और इसके उपलक्ष में हमको सम्मान एवं प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए तो निश्चय ही वह दान-पुण्य के फल से वंचित रह जायेगा। किसी की कुछ भलाई करते समय यदि यह विचार रहता है कि मैं किसी पर आभार कर रहा हूँ तो वह उपकार कार्य परमार्थ की परिधि में नहीं आ सकता। किसी परमार्थ कार्य में निरहंकारिता का समावेश तभी सम्भव हो सकता है जब कि मनुष्य का अन्तःकरण निर्मल एवं शुद्ध होगा। अशुद्ध अन्तःकरण की स्थिति में लोभ, मोह, स्वार्थ एवं अहंकार आदि विकारों का आना स्वाभाविक है। अखंड ज्योति
Jaswant Kumar DJ
मंदिर मस्जिद बाद में करना पहले इंसानियत का पाठ पढ़ाओ हिंदु मुस्लिम अब न करना स्कुल कॉलेज का निर्माण कराओ अखण्डता है भारत की पहचान इसे खण्डित करना बंद करो दोस्त न किसी का दुश्मन बनें पहले इस पर प्रबंध करो। अखंड भारत
HP
💝अखंड ज्योति💝 वह मनुष्य निश्चय ही सौभाग्यवान है जिसने अपने अन्तःकरण को निर्मल बना लिया है और जिसका जीवन आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख हो रहा है। अध्यात्म जीवन का वह तत्वज्ञान है, जिसके आधार पर मनुष्य विश्व ही नहीं अखण्ड ब्रह्माण्ड के सारे ऐश्वर्य को उपलब्ध कर सकता है। अध्यात्म ज्ञान के बिना सारा वैभव—सारा ऐश्वर्य और सारी उपलब्धियाँ व्यर्थ हैं। जो भाग्यवान अपने परिश्रम, पुरुषार्थ एवं परमार्थ से थोड़ा बहुत भी अध्यात्म लाभ कर लेता है वह एक शाश्वत सुख का अधिकारी बन जाता है। व्यवहार जगत में अनेक सीखने योग्य ज्ञानों की कमी नहीं है। लोग इन्हें सीखते हैं, उन्नति करते हैं, सुख−सुविधा के अनेक साधन जुटा लेते हैं। किन्तु इस पर भी जब तक वे अध्यात्म की ओर उन्मुख नहीं होते वास्तविक सुख-शाँति नहीं पा सकते। अखंड ज्योति