Find the Latest Status about डायरी क्या है from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, डायरी क्या है.
vksrivastav
Unsplash क्या नया और क्या पुराना है छोड़ो जाने भी दो ज़माना है ज़िंदगी के तमाम लम्हों से चार पल खुशियों का चुराना है ©Vk srivastav क्या नया और क्या पुराना है #Quotes #Shayari #Trending #viral #poem #vksrivastav
हिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
read moreParasram Arora
White धर्म! आखिर ये धर्म है क्या? मैंने तो सिर्फ जीवन को ही जाना है जीवन के अलावा मैंने किसी को नहीं जाना है. और मेरी दृष्टि मे जीवन का अर्थ है. खेत हल कुवा और लहल्हाती फसल जीवन का अर्थ है पत्नी बच्चे और सुखद सफल दाम्पत्य ©Parasram Arora आखिर ये धर्म है क्या?
आखिर ये धर्म है क्या?
read moreRicha Dhar
White मेरी असहाय डायरी✍🏼✍🏼✍🏼 ********************************** भोर होगा संध्या होगी इस सृष्टि में सब कुछ होगा न रहेगा कुछ तो वो हूँ मैं एक एक पन्ने पर उतरे हुए मेरे हृदय के उदगार सब कुछ रहेगा कविता के रूप में,न रहेगा कुछ तो वो हूँ मैं शब्द शब्द असहाय होगें औंधे मुंह पड़े होंगे डायरियों में दुपके पुकारेंगे, सब कुछ मिलेगा,पर न मिलूंगी तो वो हूँ मैं मेरी असहाय डायरियां असहज महसूस करेंगी किसी और के स्पर्श से,सबका प्रेम मिलेगा गर कुछ न मिलेगा तो वो हूँ मैं मेरी मृत्यपरांत अकेली हो जाएंगी मेरी डायरियां ये सोच के सिहर जाती हूँ जला दी जाएंगी या रद्दी में तोल दी जाएंगी,कुछ न कर सकूंगी तो वो हूँ मैं ऋचा धर★ ©Richa Dhar #Sad_Status असहाय डायरी
#Sad_Status असहाय डायरी
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
प्रेम क्या है..? मन की व्यथा जब कहनी ना पड़े, तन की पीड़ा जब बतानी ना पड़े, आँसू गिरे तो किसी की हथेली नर्म कर दे, निगाहें उठे तो गुस्सा शांत कर दे, मन जब उस मुकाम पर किसी के कंधे पर सर रख कर मुस्कुराए और आँखें भीग जाए, वो एहसास वो मुकाम प्रेम है..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay #Nojoto
प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay
read moreनवनीत ठाकुर
वो शौक, वो जोश, वो किस्से पुराने, सब दब गए हैं वक्त के तहखाने में। अब तो जाम भी लगता है बेअसर सा, ना वो तासीर है, ना वो दीवाने में। मस्ती थी कभी खुद को भुलाने में, अब ग़म छुपते हैं हंसने के बहाने में। खुशबू थी कभी हर बहार के तराने में, अब वो यादें भी उलझीं हैं अफसाने में। जिंदगी के रंग अब स्याह लगने लगे, जैसे खुशियां कहीं खो गईं इस ज़माने में। सवाल हजारों हैं दिल के आईने में, बस धुंधली तस्वीर सी फसाने में। गुज़री हुई बातों की सदा आती है, जैसे कोई पुकार हो वीराने में। जो मिल ना सके, वो याद बहुत आते हैं, ना जाने क्या जादू है बेगाने में। ©नवनीत ठाकुर ना क्या जादू है बेगाने में
ना क्या जादू है बेगाने में
read more