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Advocate Gautam kejriwal
My Heart लिखता हूँ कविताएं मैं तेरे लिए, कि कभी कुछ कह देती तू भी मेरे लिए। मुझे प्यार बयान करने का, यही तरीका आता है, नही मालूम मुझे कि तुझे, कौन सा अंदाज भाता है। मुझे तो ये भी नही पता, कि तुझे हम कितने अच्छे लगते हैं, करते हैं मोब्बत तुझसे, कितने सच्चे लगते हैं। ©Advocate Gautam likhta hun kavitayen mai tere liye.
Shivani Abbaraju
तेरी यादों में कितने धुन बनाए थे और उन धुनों से कितनी कविताएं आज कुछ कविताओं को धुन देने बैठी हूं तो बस एक तेरी ही कमी है आज एहसास हुआ ... वो धुन मैंने नहीं... तूने मुझमें बनाए थे। #yqbaba #yqdidi #hindi #dhun #kavitayen
Shivani Abbaraju
तेरी यादों में कितने धुन बनाए थे और उन धुनों से कितनी कविताएं आज कुछ कविताओं को धुन देने बैठी हूं तो बस एक तेरी ही कमी है आज एहसास हुआ ... वो धुन मैंने नहीं... तूने मुझमें बनाए थे। #yqbaba #yqdidi #hindi #dhun #kavitayen
Anand Dadhich
तेरा दौर आयेगा.. निकल भ्रम, भय, संशय से, जाग, उठ, दौड़, निश्चय से, तेरा दौर आयेगा.. हर काम को कर तन्मय से। ना डर अपूर्ण परिचय से, गा राग, जय विजय लय से, तेरा दौर आयेगा.. हर डर को भगा विनय से। ना घिर जग में विस्मय से, तोड़ कुंठा भाव, निर्भय से, तेरा दौर आयेगा.. जा भीड़ जा हर प्रलय से। स्नेह साथी रख हृदय से, प्रेम रख प्रकृति संचय से, तेरा दौर आयेगा.. तू जीवन जी ध्येय से। डॉ. आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #तेरा_दौर_आयेगा #Motivational #Inspiration #kaviananddadhich #poetananddadhich #Hindi #kavitayen
Kala bhardwaj
मिट गए कदमों के निशान बस रास्ता रह गया। बुझ गए दीप उम्मीदों के अंधेरा घना रह गया। बरस पड़ा आसमान आफ़त की बारिश लेकर, चारों ओर बस विरानियों का ही घेरा रह गया उजड़ गई कितनी जिंदगियां कितने ही घर उजड़े, ख़्वाब आंखों में था पल रहा फिर अधूरा रह गया। तबाही का ये मंजर जानें कब तक चलता रहेगा, बहुत कुछ तबाह हुआ विकास का मुखौटा रह गया। लगी नज़र किसी की या भुगतान कुदरत से छेड़छाड़ का, ढहते घरौंदों को कला इन्सान बस देखता रह गया। ©Kala bhardwaj #BehtaLamha #कला_भारद्वाज #kala_bhardwaj #hindi #gazal #himachal #kavitayen
Anand Dadhich
'प्रेम अनुबंध' पर एक गंभीर रचना फूल देकर दिल मांगते है जो, दिल को खिलौना मानते है जो, जो तोड़दे फूलों की पंखुड़ियाँ, प्रेम बंधन कहाँ जानते है वो! बहकी नज़रों से झांकते है जो, सनकी नयनों से ताकते है जो, जो रख ना पाये वश में अखियाँ, प्रीत अनुबंध कहाँ जानते है वो! जिस्म की बारीकियाँ जांचते है जो, जोखिम भरा ख्वाब पालते है जो, जो रौंददे रूह की नादानियाँ, प्रेम प्रसंग कहाँ जानते है वो! वादों वफाओं से कांपते है जो, नज़राना देकर मापते है जो, जो धोखा देकर करे शैतानियां, प्रेम बंधन कहाँ जानते है वो! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #Prem #Anubandh #kaviananddadhich #poetananddadhich #Hindi #kavitayen #Love