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Gyani202
हर दिन कुछ नया सीखने के लिए हमें फॉलो करें । ©Skstutas91 नाश्ता करते समय दलिया का सेवन करने से 🥰❤️🥰#viral #tranding_video #story
sourabhauddin chowdhury
आई लव यू ,मेरा प्यार सच्चा था और है और रहेगा तुम अगर एक गुलाब हो तो ,,,,, मै गुलाब का पत्ता हूं,,,,,,, तुम अगर एक पत्ता हो तो ,,,,,, मै उसी गुलाब का दलिया हूं,,,,, अगर तुम एक दलिया ह
Sunil itawadiya
वक्त था इमरजेंसी का माहौल था दहशत का और मौका था किस्मत बदलने का.......! 😂😂😂 Read the caption 👇👇 वक्त था इमरजेंसी का माहौल था दहशत🙄🤔 का और मौका था किस्मत 💫बदलने का वो आमी थी तो हम भी तो हरमी थे😊 4 दिन की जिंदगी है और आज चौथा दिन है😂😂😂😂😝
#maxicandragon
अमरावती के ब्रायलर बच्चे क्या दाना चुग पाऐंगे ठंड बढ रही है तेजी से, क्या वो ये सब सह पाऐगे लाखों की यूं सेंध लगाकर हाँ वो मीर बन जाएंगे भूरी नाच रही सब छोडे वही पीढी को सिखलाएंगे मरने तो दो चार तभी तो वो घर से बाहर आएंगे सांतवना मगरमच्छ के आँसू तब आँखों पे लाएंगे दलिया पानी बकरी का वो दूध पे पल जाएंगे कही हो गई चूक अगर तो मुर्गी से मर जाएंगे कितने भी बढ जाएं चूजे, चूजे ही कहलाएंगे इन्हें रखो तुम ओढ ढांक के वरना ये गल जाएंगे #प्लास्टिक_कि_गुडिया #Sadharanmanushya ©#maxicandragon अमरावती के ब्रायलर बच्चे क्या दाना चुग पाऐंगे ठंड बढ रही है तेजी से, क्या वो ये सब सह पाऐगे लाखों की यूं सेंध लगाकर हाँ वो मीर बन जाएंगे भ
#maxicandragon
India quotes फिर से मेरा देश बनाओ थोडा गारा थोड़ा प्लास्टिक थोडा फैशन को हटवाओ डिजिटल देश हैं बढता आगे स्याही कागज कम करवाओ खूब छप रहे बैनर नेता के पकड कूची घर इन्हें भिजवाओ हरकोई करता भूमी पूजन वृक्षा-रोपण संग कराओ आधार समग्र बन गए हैं सबके डेटा सब जल्द लिंक कराओ जैसे बंटता राशन दलिया घर गाडी उतनी बटवाओ पैन कार्ड आधार बनाके गरीबी रेखा कार्ड बनाओ उद्योगपति के टैक्स का पैसा हर गरीब से लिंक कराओ नेताओ की तनख्वाह से सारे देश सेवा संगठन चलाओ फिर से मेरा देश बनाओ राशन शिक्षा मुफ्त कराओ युवा बहुत हैं मेरे देश में जितना चाहे काम कराओ #फिर_से_मेरा_देश_बनाओ #Sadharanmanushya ©#maxicandragon फिर से मेरा देश बनाओ थोडा गारा थोड़ा प्लास्टिक थोडा फैशन को हटवाओ डिजिटल देश हैं बढता आगे स्याही कागज कम करवाओ
Anupam Tiwari
छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था... एक नाई, एक मोची,एक काला लुहार था.. छोटे छोटे घर थे,हर आदमी बङा दिलदार था.. कही भी रोटी खा लेते,हर घर मे भोजऩ तैयार था.. दो मिऩट की मैगी ना,झटपट दलिया तैयार था.. नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था.. छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था.. अपना घड़ा कस के बजा लेते.. समारू पूरा संगीतकार था.. और फिर कबड्डी खेल लेते,हमे कहाँ क्रिकेट का खुमार था.. दादी की कहानी सुन लेते,कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.. भाई -भाई को देख के खुश था,सभी लोगों मे बहुत प्यार था.. छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था.....!! छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था... एक नाई, एक मोची,एक काला लुहार था.. छोटे छोटे घर थे,हर आदमी बङा दिलदार था.. कही भी रोटी खा लेते,हर घर
विनेश सिंह
#OpenPoetry छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था.....!! एक नाई, एक मोची,एक काला लुहार था.....!! छोटे छोटे घर थे,हर आदमी बङा दिलदार था.....!! कही भी रोटी खा लेते,हर घर मे भोजऩ तैयार था.....!! बाड़ी की सब्जी मजे से खाते थे जिसके आगे शाही पनीर बेकार था....!! दो मिऩट की मैगी ना,झटपट दलिया तैयार था.....!! नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था.....!! छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था.....!! अपना घड़ा कस के बजा लेते.....!! समारू पूरा संगीतकार था.....!! मुल्तानी माटी से तालाब में नहा लेते,साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था.....!! और फिर कबड्डी खेल लेते,हमे कहाँ क्रिकेट का खुमार था.....!! दादी की कहानी सुन लेते,कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.....!! भाई -भाई को देख के खुश था,सभी लोगों मे बहुत प्यार था.....!! छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था.....!! छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था.....!! एक नाई, एक मोची,एक काला लुहार था.....!! छोटे छोटे घर थे,हर आदमी बङा दिलदार था.....!! कही भी रोटी
JALAJ KUMAR RATHOUR
मैं सोना जो चाहूँ तो, याद तेरी आती, आँखो को मेरे ये नम कर जाती है, साथ तेरे जो दिन थे बीते, याद आते हैं, तेरे सिखाये सलीखे, गिरने पर तूने ए माँ सम्भाला था, बेटा मैं तेरा कितना निराला था, कीमत तेरे हाथो के जादू की, आज समझ है आई, जब रोटी मुझसे गोल न बन पाई, आज भी वो दूध और मलाई सताती है, माँ जब भी याद तेरी आती है, इस पौधे को तूने सृजित किया है, मेरे लिए तूने ,खुशियों को अपनी अर्पित किया है, वो गेहूं का दलिया और आलू के पराठों को, साथ अचार और चार चाटों, तूने बड़े प्यार से खिलाया हैं, मालूम हमें है खातिर हमारी तुमने, दिनो को अपने कष्टों में बिताया है, माँ का कर्ज कोई ना चुका पाया है, मेरे लिए तुम सुबहो को जागी थी, जब मेरी दसवी की परीक्षा थी, बचपन में जब टिफिन देती थी, दो चार रुपया साडी के पल्लो से निकाल के देती थी, मेरे लिए तुमने खाव्हिशो को कम किया, ए माँ तेरा, तेरे इस दिल के टुकड़े से शुक्रिया, ईश्वर करे की मैं ऐसी किस्मत पाऊँ, कि अगले जन्म भी तेरा ही आँचल पाऊं, जब भी ये ह्रदय गति धीमी होती, ए माँ तेरी याद आती है, ...... #जलज राठौर मैं सोना जो चाहूँ तो, याद तेरी आती, आँखो को मेरे ये नम कर जाती है, साथ तेरे जो दिन थे बीते, याद आते हैं, तेरे सिखाये सलीखे, गिरने पर तू
शब्दिता
कोरोना डायरी 19 साल की लड़की बहुत हंसते खेलते मुस्कुराती थी। 12वीं पास करके वह कॉलेज में आई और उसे बहुत शौक था रोज़ कॉलेज जाने का पर उसे कैद किया गया था