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dilkibaatwithamit

सुनो___❤️ लिखने को तो तुम्हारे प्रेम में, मैं सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना कर डालूँ परन्तु तुम मेरे हृदय में उस स्थान पर विराजती हो जहाँ स्वयं

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सुनो___❤️
लिखने को तो तुम्हारे प्रेम में, 
मैं सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना कर डालूँ परन्तु 
तुम मेरे हृदय में उस स्थान पर विराजती हो 
जहाँ स्वयं ईश्वर का वास है।
तुम्हारे लिए मेरा प्रेम सांसारिक नहीं आत्मिक है। 
इस प्रेम की अनुभूति नैसर्गिक है, अलौकिक है, अद्भुत है।मेरा ये प्रेम पवित्र है, बिल्कुल तुम्हारी आत्मिक मुस्कान की तरह..!!

©dilkibaatwithamit सुनो___❤️
लिखने को तो तुम्हारे प्रेम में, 
मैं सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना कर डालूँ परन्तु 
तुम मेरे हृदय में उस स्थान पर विराजती हो 
जहाँ स्वयं

वरुण तिवारी

#snow हास्य रचना

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सर्द रातों की हवाओं ने सताया इस तरह।
मैं ठिठुरता रह गया बिस्तर कंटीले हो गए॥

बर्फ से कुछ बात  करती  चल रही थी ये  हवाएं,
फिर अचानक सायं से कम्बल के अंदर आ गई।
पांव  को   कितना   सिकोड़ूं  पांव  बाहर ही रहा,
अवसर मिला ये फेफड़ों से जाने' कब टकरा गई॥

खाँसियां  रुकती  नहीं  सब  अंग  ढीले  हो  गए।

कपकपाती  ठंड  में  फैशन  हमारा था चरम पर
कान  के  दरवाजों  से  ये  वायु  घुसती  ही  गई।
सनसनाती घुस चुकी थी कुछ हवाएं इस बदन में
मेरे  तन  की  हड्डियां  हर  पल अकड़ती ही गई॥

पूस  की   इस   रात  सब  मंजर  रंगीले  हो  गए।

कर्ण में धारण किए श्रुति यंत्र को घर की तरफ,
ठंड  से  छुपते  छुपाते  गीत  सुनते  जा  रहे  थे।
पेट  में   मेरे    अचानक   दर्द  ने  आहट  दिया,
साथ ही संगीत सारे सुर में सहसा बज उठे थे॥

अंततः  चुपके  से'  अंतर्वस्त्र   पीले   हो  गए॥

©वरुण तिवारी #snow हास्य रचना

Parul Sharma

वो पुराने खत जो कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं आज उन्हीं नज़्मों पर खूब वाहवाही मिलती है तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या इस वाहवाही में किसी

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  वो पुराने खत
कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं 
आज उन्हीं नज़्मों पर
खूब वाहवाही मिलती है 
तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या 
 इस वाहवाही में 
किसी ना किसी की
आह दब जाती है वो बटोर लेता है 
अपने दर्द इन शब्दों के गागर में 
अगर किसी का भी दिल हल्का हो जाय 
दर्द घट जाये तो रचना पूर्ण है
इस गागर में सागर 
प्रेमिका व प्रेमी के प्रेम की अभिव्यक्ति है
जो नज़्में लिखी जाती है
अपने प्रेमी या प्रेमिका का के लिए 
जो सिर्फ एकतरफा हो दो तरफा भी हो
समझे नहीं जाते या समझे भी जाते हो
दफन तो नहीं है जाते
वो हो जाते हैं अमर कवि 
और कवि की रचना की तरह
तुमने जिन्हें जाना नहीं या 
थे अनभिज्ञ या जानबूझ कर अनजान थे
वो मेरे पुराने प्रेम पत्र 
जो पहुंचे नहीं तेरे दिल तक 
वन कर नज़्म अमर हो रहे हैं 
हर किसी के दिल में जगह बना के
किसी फिल्मी गाने की तरह
गायें जाते हैं गायें जायेंगे 
क्योंकि वो प्रेम पत्र है 
सब अब बस वो प्रेम पत्र है 
गुमनाम प्रेमिका के प्रेमी के लिए 
गुमनाम प्रेमी के प्रेमिका के लिए 
अब बस वाकई वो प्रेम पत्र ही है 
फिल्मी गानों की तरह जिन्हें 
कोई भी गा सकता है 
अपने प्रेमी प्रेमिका के लिए

©Parul Sharma वो पुराने खत जो
कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं 
आज उन्हीं नज़्मों पर
खूब वाहवाही मिलती है 
तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या 
 इस वाहवाही में 
किसी

Bhupendra Rawat

#love_shayari मैं छुपा नहीं सकता तुमसे मायूसी अपनी इसलिए मैंने गढा है तुम्हे कोरे पन्नों मे मैंने रचा है तुम्हें कविताओं मे लिखी है, कहानी

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White मैं छुपा नहीं सकता
तुमसे मायूसी अपनी
इसलिए
मैंने गढा है
तुम्हे कोरे पन्नों मे
मैंने रचा है तुम्हें
कविताओं मे
लिखी है, कहानी
और उपन्यास
मेरी हर एक रचना का
मुख्य पात्र रही हो तुम
मैंने नहीं गढा तुम्हें
अपनी रचनाओ मे
त्याग की देवियों
“मीरा” और
“यशोधरा” की तरह
बल्कि इस दफा मैंने
केंद्र मे रखा हर एक
उस पुरुष को
जिसने समर्पित किया
अपना जीवन
अपनी प्रेयसी को

©Bhupendra Rawat #love_shayari मैं छुपा नहीं सकता
तुमसे मायूसी अपनी
इसलिए
मैंने गढा है
तुम्हे कोरे पन्नों मे
मैंने रचा है तुम्हें
कविताओं मे
लिखी है, कहानी

priyanka pilibanga

प्रकाशित रचना 🤗❤️

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Dr.Meet (मीत)

स्व डॉ कैलाश गुरु स्वामी जी की रचना जो मेरे दिल को बहुत भाती है

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po

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White मातामही मातामहः ग्राम:
अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म 
पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, 
मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः
 इति ज्ञातम्। 
पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः 
अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म,
हिन्दी अनुवाद 
नाना नानी के गांव
वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था 
जो गांव में बिता करता था 
पगडंडी पर खेत खलिहानों का 
जायजा लिया जाता था,
सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा 
करता था जब नाना नानी के गांव 
बचपन में जाना हुआ करता था,

©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित 
शीर्षक 
नाना नानी के गांव
मातामही मातामहः
विधा विचार 
भाव वास्तविक 
#Trending #wellwisher_taru #Po

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर संयोग की साजिश नहीं, ये है मेरे कर्म की चाल, हर दास्तां में बयां हुआ मेरा ही हाल। जो गलत हुआ, उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई

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White संयोग की साजिश नहीं, 
ये है मेरे कर्म की चाल,
हर दास्तां में बयां हुआ, मेरा ही हाल।
जो गलत हुआ, 
उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई कसूर,
सारी ज़िम्मेदारी लेता हूं मैं अपने सर, 
चाहे हो आकाश या धरती का दूर।
जो गलती हुईं, 
वो अक्स थी मेरी ही रचना की,
पर जो कुछ मिला अच्छा, 
वो है सिर्फ छाया किस्मत की।।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
संयोग की साजिश नहीं, ये है मेरे कर्म की चाल,
हर दास्तां में बयां हुआ मेरा ही हाल।
जो गलत हुआ, उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई
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