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unknown writer

दिल तुम्हारा भी तड़पेगा जब हमसे बात नहीं होगी तुम्हें नींद तो आएगी पर रात तुम्हारा साथ नहीं देगी मुकम्मल इश्क होगा अगर तो दिल तुम्हारा भी

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दिल तुम्हारा भी तड़पेगा जब हमसे बात नहीं होगी 
तुम्हें नींद तो आएगी पर रात तुम्हारा साथ नहीं देगी 
मुकम्मल इश्क होगा अगर तो दिल तुम्हारा भी करेगा 
वरना ये तो जिंदगी है जनाब जैसी तुम्हारी है वैसी मेरी होगी

©unknown writer दिल तुम्हारा भी तड़पेगा जब हमसे बात नहीं होगी 
तुम्हें नींद तो आएगी पर रात तुम्हारा साथ नहीं देगी 
मुकम्मल इश्क होगा अगर तो दिल तुम्हारा भी

Ahmad Raza

#नींद

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White नींद आंखों में खटक रही है 
रोटियां गले में अटक रही है
खामोशी अब चुभ रही है
सब्र अब बेबसी में बदल गई है
मुसीबत अब दिल को मोम से संग कर रही है
ख्वाहिशें अब दम तोड़ रही है 
खुशी किसकी मुन्तजिर रही है
लोरियां सो गई है आँखें अब भी जग रही है

©Ahmad Raza #नींद

~De'b~

Love (कुछ भी तो नहीं)

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1.पता है तकलीफ क्या होती है
जब दिल मै कहने को बहुत कुछ हो
और जुबान खामोश हो
आंखें खुली हों
और सामने शून्य हो
प्रभात का समय हो
और फिर भी लगे कि अंधेरा होता जा रहा है
............. 
2.जब हम दिल से बहुत बहुत दुःखी हों
और अपने दुःख का एहसास सामने वाले को कराएँ
और उसको पहले से बजह पता हो
तो फिर हम सोचते है कि इसको बता के
हमने अच्छा नई किया
अपने दुःख से इसको भी
बेकार मै ही दुःखी कर दिया
तो.................... 
इस बात का एहसास
हमें पहले वाले दुःख से भी
ज्यादा तकलीफ देता है

©~De'b~ Love (कुछ भी तो नहीं)

Anant Nag Chandan

पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी, वो मुझसे मिलने क्यूँ नहीं आती। राह तकता हूँ मैं हर शब बेचैनी से, कमबख़्त ख़्वाबों में भी नहीं आती।

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पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी,
वो मुझसे मिलने क्यूँ नहीं आती।

राह तकता हूँ मैं हर शब बेचैनी से,
कमबख़्त ख़्वाबों में भी नहीं आती।

अनंत

©Anant Nag Chandan पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी,
वो मुझसे मिलने क्यूँ नहीं आती।

राह तकता हूँ मैं हर शब बेचैनी से,
कमबख़्त ख़्वाबों में भी नहीं आती।

Ghumnam Gautam

White हमारे साथ जो होता है हम बताते हैं
तुम्हारे ख़्वाब हमें नींद से जगाते हैं

कि तितलियों ने तो है मौन ओढ़ रक्खा मगर
न जाने क्या है चमन में कि भँवरे गाते हैं!

©Ghumnam Gautam #GoodMorning 
#ghumnamgautam 
#तितलियाँ
#ख़्वाब
#नींद

हिमांशु Kulshreshtha

तुम भी नहीं..

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White ये बारिश भी...
जब होती है 
अपने पूरे यौवन पर 
अपनी तूफानी रफ़्तार से
मुझे यहाँ  वहाॅं बहा देती है 
मै ज़ार- ज़ार रोता हूँ
निरंतर गिरती बूंदों के साथ 
पर बादलों की गड़गड़ाहट, 
बिजली की कड़कडाहट में,
कोई भी मेरा
चीत्कार नहीं सुन पाता
तुम भी नहीं....!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha तुम भी नहीं..

BANDHETIYA OFFICIAL

#GoodNight #नींद कहां?

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White नींद कहां,खोलो जुबां और हाफी !
हों रतजगे,दिन में जम्हाई,
किसी भी पल उंघाई काफी ।

©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodNight #नींद कहां?

Shivam Pandey

#library मुझे नींद आती नहीं तेरे ख्वाब आते नहीं भूल गये है हम बाते तुम्हारी अब मुझे तुम याद आते नहीं!! शायरी लव शेरो शायरी शायरी लव 'द

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Unsplash मुझे नींद आती नहीं 
तेरे ख्वाब आते नहीं 
भूल गये है हम बाते तुम्हारी 
अब मुझे तुम याद आते नहीं

©Shivam Pandey #library मुझे नींद आती नहीं 
तेरे ख्वाब आते नहीं 
भूल गये है हम बाते तुम्हारी 
अब मुझे तुम याद आते नहीं!!  

शायरी लव शेरो शायरी शायरी लव 'द

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, कहीं आवाज असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते,

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आरज़ू भी कहां सुकूं देती,
सांस आती है पर नहीं जाती।
हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी,
 आवाज कहीं असर नहीं पाती।

यह सफर, यह तमाम रास्ते,
खुद से मिलने की खबर नहीं लाती।
किससे कहें ये दिल के किस्से,
कोई सुनता है पर नहीं सुन पाती।

आरज़ू और भी बढ़ती जाती है,
मगर मंज़िल की कोई खबर नहीं आती।
हर लम्हा ठहर-सा जाता है,
जैसे सांस चलती, मगर नहीं आती।

किसी मोड़ पर शायद जवाब मिले,
पर सवालों की गूंज थम नहीं पाती।
हमने खुद को भुला दिया है यहां,
और जिंदगी ये समझ नहीं पाती।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
आरज़ू भी कहां सुकूं देती,
सांस आती है पर नहीं जाती।
हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी,
कहीं आवाज असर नहीं पाती।

यह सफर, यह तमाम रास्ते,

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़िंदगी जैसे एक उलझी हुई डोर, सुलझाते हैं, पर सुलझ नहीं पाती। हर तरफ धुंध-सा फैला हुआ है, हकीकत कभी नजर नहीं आती। आरज़ू में कट

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Unsplash ज़िंदगी जैसे एक उलझी हुई डोर,
सुलझाते हैं, पर सुलझ नहीं पाती।
हर तरफ धुंध-सी फैली हुई है,
हकीकत कभी नजर नहीं आती।

आरज़ू में कटती हैं सदियां,
पर तमन्ना कभी मर नहीं पाती।
सफर भी है और मंज़िल भी है,
पर कोई राह समझ नहीं आती।

हर कदम पर ख्वाब टूटे यहां,
पर आंखों से उम्मीद नहीं जाती।
मौत से भी आगे कुछ होगा शायद,
वरना ये रूह क्यों डर नहीं पाती।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़िंदगी जैसे एक उलझी हुई डोर,
सुलझाते हैं, पर सुलझ नहीं पाती।
हर तरफ धुंध-सा फैला हुआ है,
हकीकत कभी नजर नहीं आती।

आरज़ू में कट
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