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Anamika Raj
White तक़दीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम बहुत संभल कर चले फिर भी फिसल गए हम! किसी ने भरोसा तोड़ा तो किसी ने दिल... और लोगों को लगता है बहुत बदल गए हम! ©Anamika Raj तक़दीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम..
तक़दीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम..
read moreSandeep Kumar
सुनो, हमारी मोहब्बत इतनी सस्ती नहीं है, ये रातभर की बातें हैं, सिर्फ दोस्ती नहीं है। दिल के एहसास, लफ़्ज़ों में ढल नहीं पाते, ये खामोशी की चीखें है महज़ खामोशी नहीं हैं। ©Sandeep Kumar सुनो, हमारी मोहब्बत इतनी सस्ती नहीं है, ये रातभर की बातें हैं, सिर्फ दोस्ती नहीं है। दिल के एहसास, लफ़्ज़ों में ढल नहीं पाते, ये खामोशी की
सुनो, हमारी मोहब्बत इतनी सस्ती नहीं है, ये रातभर की बातें हैं, सिर्फ दोस्ती नहीं है। दिल के एहसास, लफ़्ज़ों में ढल नहीं पाते, ये खामोशी की
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है, जो प्रकृति पर कहर ढा रहा? कौन है जो चुराने चला, जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा? समय को घेरने वाला कौन, जो हर पल को सर्दी में ढल रहा? उतार दिया है काम का बोझ, काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा। सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे, इंसान बैठा अलाव जला रहा। निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न, हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा। अब तो पानी पीना भी मुश्किल है, कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा? ©theABHAYSINGH_BIPIN कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु
कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु
read moreLotus Mali
White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो कभी उस टहन्नी पर घुमा शाम तो शाम ढल गई कबकी मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।" -LotusMali https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali #sad_quotes "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो
#sad_quotes "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो
read moreRakesh frnds4ever
White मौत ने ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था दुनिया से दोनो हाथ खाली थे अब ना वो हलाकू है और ना उसके साथी हैं जंग जो न कोरस है और न उसके हाथी हैं कल जो तनके चलते थे अपनी शान-ओ-शौकत पर शमा तक नही जलती आज उनकी तुरबत पर अदना हो या आला हो सबको लौट जाना है - २ मुफ़्हिलिसों का अन्धर का कब्र ही ठिकाना है - २ जैसी करनी ... जैसी करनी वैसी भरनी आज किया कल पायेगा सरको उठाकर चलनेवाले एक दिन ठोकर खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,,,,,,,,,,,, 2 ,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever मौत ने #ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे #रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख #सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था #शान _ओ_शौकत पर शमा
Rakesh frnds4ever
White हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ तू यहाँ मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी ज़िन्दगानी है ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ जायेगा खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा जानकर भी अन्जाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए फ़ानी पर तन रहा है दीवाने किस कदर तू खोया है इस जहान के मेले मे तु खुदा को भूला है फंसके इस झमेले मे आज तक ये देखा है पानेवाले खोता है ज़िन्दगी को जो समझा ज़िन्दगी पे रोता है मिटनेवाली दुनिया का ऐतबार करता है क्या समझ के तू आखिर इसे प्यार करता है अपनी अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है - २ ज़िन्दगी हक़ीकत में क्या है कौन समझा है - २ आज समझले ... आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा ओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,, 1 ,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
read moreRakesh frnds4ever
White ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ढल रही है जिंदगानी धीरे धीरे डूब रहा है जीवन का सूरज धीरे धीरे घिर चुके हैं इस जंजाल में धीरे धीरे कि अस्त होते जा रहे हैं धीरे धीरे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, #ढल रही है #जिंदगानी #धीरे धीरे #डूब रहा है जीवन का #सूरज धीरे धीरे घिर चुके हैं इस जंजाल में धीरे धीर
Dil galti kr baitha h
White नींद रातों की उड़ चुकी है मेरी सो जाऊ तो तेरा सपना आता है तुझे पाना चाहता हूं लेकिन डर लगता है धोखा खा ना लेना फिर से ये दिल कहता है। ©Dil galti kr baitha h नींद रातों की उड़ चुकी है मेरी सो जाऊ तो तेरा सपना आता है तुझे पाना चाहता हूं लेकिन डर लगता है धोखा खा ना लेना फिर से ये दिल कहता है।
नींद रातों की उड़ चुकी है मेरी सो जाऊ तो तेरा सपना आता है तुझे पाना चाहता हूं लेकिन डर लगता है धोखा खा ना लेना फिर से ये दिल कहता है।
read moreManjeet
White दिन ढल रहा था, अंधेरा बढ़ रहा था! मैं चुप था, मन उसकी यादों को पढ़ रहा था!! ✍️Ⓜαทʝεεt✍️ ©Manjeet दिन ढल रहा था, अंधेरा बढ़ रहा था! मैं चुप था, मन उसकी यादों को पढ़ रहा था!! ✍️Ⓜαทʝεεt✍️ #love_shayari #love #like #follow #manjeetpoonia #No
दिन ढल रहा था, अंधेरा बढ़ रहा था! मैं चुप था, मन उसकी यादों को पढ़ रहा था!! ✍️Ⓜαทʝεεt✍️ #love_shayari love #Like #follow #manjeetpoonia No
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