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Shiv Narayan Saxena
बंदर मामा पहन पजामा दबा के पूंछ छिपाये खड़े. गांधी के बन्दर - छछुंदर कान ऑंख सब मींच खड़े. टाई तिरंगी, काला चश्मा काले पाप छुपाये चले. दृष्टि हुई काली ऐसी कि हर कोई काला जान पड़ें. खुद का काला कहें सफेद, दूजे का चिट्ठा काला है. संभलो मतदाता, नाई अब. बन्दर बनकर आया है. करतब इसके आकर्षक बस तुम्हें लुभाने आया है. भ्रम विपक्ष का 5 साल तक. तुम्हें फंसाने आया है. संभलो, फंस मूढ़े जाओगे साथ उस्तरा लाया है. ©Shiv Narayan Saxena चोरों को सारे नज़र आते हैं चोर. . . . . .
Dr. Vishal Singh Vatslya
चोरों को सब चोर, नज़र आते हैं बेईमान है पर, खुद को साहूकार बताते हैं ... दुनिया को लूट कर, घर भरते हैं अपना इंसान के भेष में, खुद भेड़िये नज़र आते हैं ... -Dr.Vishal Singh चोरों को सब चोर नज़र आते हैं 25/365 #365days365quotes #solutionofproblem #चोर #बेईमान #साहूकार #इंसान
Rakesh Ladhrh Robert
"लोकतंत्र न हिन्दू का , न मुसलमान का है, ये भारत की अवाम का है |" लोक सभा के चुनाव को प्रचारक जेहाद बना रहे है| पार्टी के चैनल ,चोरों को साध दिखा रहे है | अपनों का अच्छा चरित्र और विरोधी नेता का विवाद दिखा रहे है | "लोकतंत्र न हिन्दू का न मुसलमान के है, ये भारत की अवाम का है |" लोक सभा के चुनाव को प्रचारक जेहाद बना रहे है| पार्टी के चैनल ,चोरों को साध
Ravendra
Ravendra
Insaf Ali
अच्छा नहीं लगता 😶 -इंसाफ अली कुछ लोगों को कुछ बातें, अच्छी होते हुए भी, अच्छी नहीं लगती! मिसाल के तोर पर कंजूस को दान करना अच्छा नहीं लगता, लोभी को मांगने वाला अच्छा नही
NR production (Nisha Ritesh)
Buddhi Badi Ya Bal शारीरिक-बल बुद्धि-बल की तुलना में निश्चय ही नगण्य है। बुद्धि-बल से प्रत्येक समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है लेकिन शारीरिक बल से केवल भार उठाने जैसे कार्य ही हो सकते हैं। अक्ल बड़ी होती है मैंस नहीं। इस तथ्य की पुष्टि निम्न कहानी करती है। रात अंधेरी थी। सर्दी का मौसम समाप्त होने जा रहा था। लता अपने मकान के एक कमरे में अकेली सो रही थी। घर में उसके अतिरिक्त उसके वृद्ध पिता सो रहे थे। सहसा उसे एक आवाज सुनाई दी और लता की आंख खुल गई। धुप अंधेरा होने के कारण वह कुछ देख तो न सकी परन्तु उसके कानो में ये शब्द सुनाई दिए, अलमारी की चाबियां चुपचाप हमारे हवाले के दो। शोर किया तो नतीजा बुरा होगा। वह भय से कांपने लगी और उसने पदचाप से अनुभव हुआ चोर उसी के कमरे में घुस आए है। चोरो को अपने ही कमरे प्रविष्ट हुआ देख उसके तो प्राण सुख गए परन्तु उसी क्षण धैर्य और बुद्धि को सहजती हुई वह बोली, “अलमारी की चाबियां तो पिता जी के पास है और वह ऊपर के कमरे में सो रहे है। चोरो ने ऊपर जाने वाली सीढियाँ का मार्ग दिखने के लिए कहा तो लता डरती हुई परन्तु चौकन्नी होकर उठीऔर सीढियाँ की ओर चल पड़ी। सीढियाँ के ऊपरी छोर पर दरवाजा छत पर खुलता था। दरवाजा खोलते समय लता बहुत सेहमी हुई थी। चोरों को सम्बोधित कर बोली, “पिता जी इधर बने हुए एक कमरे में सो रहे है। बड़े उतावलेपन से चोर छत की ओर लपका। जैसे ही चोर आगे गया लता ने दरवाजा बन्द कर दिया। उसके पिता जी तो छत पर थे ही नहीं। उसने चतुराई से उन्हें कमरे से बाहर छत के ऊपर ले जाकर और दरवाजा बन्द कर शोर मचा दिया। लोग लता की आवाज सुनकर इकट्ठे हो गए। चोरों को पकड़ने में देर न लगी। सच ही है कि अगर बुद्धि से काम लिया जाए तो बल बुद्धि के सामने नगण्य हो जाता है। शारीरिक-बल बुद्धि-बल की तुलना में निश्चय ही नगण्य है। बुद्धि-बल से प्रत्येक समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है लेकिन शारीरिक बल से केवल भार उ
Ravendra
Ravendra
Asha Giri
मेरे घर के ठीक सामने खडी थी वो बिल्डिंग। रहते थे कई परिवार,और बच्चे करते थे क्रिकेट की फील्डिंग। उसका मैदान काफी छोटा था। और ग्राउंड फ्लोर पर आगे की ओर दुकानों का मेला था। मेरे घर का किराणा,आता था सब कुछ वहीं..... Full piece in caption... नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH25 के साथ और "टूटता मकान" पर कविता लिखें। (मूल कविता अनीता वर्मा द्वारा) • समय सीमा : 24