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VATSA
कभी उजाले की असहाय रोशनी कभी घुप अंधेरा सून-सान चांदनी कभी भीड अपनों की प्यार बाँटते कभी अकेले पन की रात काटते ये शहर ही कुछ एसा है #शहरयार #yqbaba #yqdidi #hindipoetry #हिंदी_कोट्स_शायरी #vatsa कभी उजाले की असहाय रोशनी, कभी घुप अंधेरा सून-सान चांदनी, कभी भीड अपनों की प
Vandana
एक शाम इंतजार कर रही किसी मुंडेर पर किसी छत के कोने पर पहाड़ी में छोटी-छोटी रोशनी नुमा घरों में मंदिर से आती घंटों की ध्वनि आरती मंत्र उच्चारण पर धीरे-धीरे सांझ ढले रात की अंगड़ाई लिए हुए लौटते पंछियों के बसेरे की ओर,,,,,, जहां व्यवस्था है रोशनी की,,जहां चराग जल उठे हैं कहीं अंधेरा है
Pankaj Singh Chawla
छुपदे फिरदे सभना तो छुपदे फिरदे आज फिर, मैं इक बन्द कमरे विच जा पहुँचेया, जिथे घुप अंधेरा सी, डरदे दराउंडे गया मैं अंदर, चारों पासे अखां फेरियां, कुछ वी समझ नही आया सी, सिर्फ अंधेरा अते अंधेरा सी, धीरे-धीरे अगे वध्या, इक दीवार नाल जा टकराया सी, लड़खडा के सम्भलदे होए फिर अगे वध्या सी, अंधेरे विच राह नही सी विखदी, पर हिम्मत नही मैं हारा सी, दिगड़े-रुलदे मैं एक कमरे तो दूजे विच जा पहुँचया सी, उस कमरे विच एक किरण रोशनी दी किद्रो औंदी सी, अगे जा वेख्या मैं किवाड़ विच सुराख सी, इक किरण ने कमरें नु जग चानन कित्ता सी, मेरी राह नु रोशन कित्ता सी, मैंनु बाहर निकलन दा राह विखाया सी, छुपदे फिरदे आज मैंनु इक सिख नवी इह है, ज़िंदगी विच जदों अंधेरा आवे हार कदी नही मनन्नी है, अंधेरा विच ही राह रोशनी दी छिप्पी है, आज फिर छुपदे फिरदे मैं एक नवी गल सीखी है।। छुपदे फिरदे सभना तो छुपदे फिरदे आज फिर, मैं इक बन्द कमरे विच जा पहुँचेया, जिथे घुप अंधेरा सी, डरदे दराउंडे गया मैं अंदर, चारों पासे अखां फे
i am Voiceofdehati
छोड़ कर रास्तों को कहां जाओगे एक को छोड़ोगे तो दूसरा अपनाओगे रास्तों से मंजिल पाना लक्ष्य तेरा है रास्ते अन्जान है, घुप अंधेरा है कोई न वहां साथ तेरे,अकेले ही चलोगे तुम जितनी विकट परिस्थिति हो,अकेले लड़ोगे तुम इन चुनौतियों से तुम गर घबराकर मोह पाश की जिंदगी में लौटना चाहोगे क्या खुद के परिश्रम को व्यर्थ गवांवोगे? अब लौटोगे यदि गांव में ताने मिलेंगे खुब सब हंसेंगे कि बस में नहीं है इसके कुछ इतना पढ़ लिख कर मूर्ख बन जाओगे अनपढ़ों के सामने सर झुकाओगे बोलो क्या दो-दो तीर तुम सहने को तैयार हो उस संघर्ष को छोड़,यह संघर्ष करने को तैयार हो या फिर उसी रास्ते को अपनाओगे जिस रास्ते से तुम अमर भी हो जाओगे उस दुर्जेय रास्ते को भी,“विजयंत" कर जाओगे।। छोड़ कर रास्तों को कहां जाओगे एक को छोड़ोगे तो दूसरा अपनाओगे रास्तों से #मंजिल पाना लक्ष्य तेरा है रास्ते अन्जान है, घुप अंधेरा है कोई न वहा
अशेष_शून्य
~© Anjali Rai Dedicating a #testimonial to ❤महाकाल दीवानी❤ निशा जिसका शाब्दिक अर्थ असंख्य आशाओं से भरी एक ऐसी परिधि है जो अपने आंचल के कोर में न जाने कि
Sneh Prem Chand
संगीत,कला,साहित्य का आदित्य जहां नहीं चमकता, वहां मन के गलियारों में अंधेरा ही अंधेरा है।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अंधेरा ही अंधेरा #SunSet