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OMG INDIA WORLD
प्रकृति की गोद में #चरित्रहीन स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े ! स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक कि पुरुष चरित्रहीन न हो। संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वे एक गांव गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूँ कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा- हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है वह जल्दी ही वृद्ध होगा फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए और आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है ? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है।आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपके द्वारा पकड़ लिया गया है। बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जबतक कि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो। अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहाँ के पुरुष जिम्मेदार हैं l यह सुनकर सभी लज्जित हो गये लेकिन आजकल हमारे समाज के पुरूष लज्जित नहीं गौरवान्वित महसूस करते है क्योंकि यही हमारे "पुरूष प्रधान" समाज की रीति एवं नीति है l. ashish ©OMG INDIA WORLD #चरित्रहीन स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े ! स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक
Amar Anand
-परम सत्य योगपथ- ऋषि, मुनि, साधु और सन्यासी में अंतर - नीचे कैप्शन में... ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में अंतर :------ भारत में प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों का बहुत महत्त्व रहा है। ऋषि मुनि समाज के पथ प्रदर्शक म
Abhi
वो इतने सारे स्वेटर कहां गए जो हमारी मैडम बचपन में स्कूल में बैठ कर बनाया करती थी। #वस्त्र
Sangam Ki Sargam
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आपके कपड़े बहुत मायने रखते हैं। विद्यालय में जब हम एक दिन भी घर वाली ड्रेस में जाते थे तो असहज महसूस करने लग जाते थे। क्योंकि उस वक़्त हम पर वो ड्रेस कोड जो विद्यालय द्वारा निश्चित किया गया वही हमारे लिए उचित होता है। विद्यालय के बाद एक दौर आया फ़ैशन का। खूब फैशन करो दौर है मनाही थोड़ी है फ़ैशन करने की पर वही फ़ैशन चुनो जो अंदर से सहज , आत्मविश्वास से परिपूर्ण करे । वो कपड़े मत चुनो जो खुद में हजार सवाल पैदा कर देते हैं। खूबसूरती चेहरे से नही दिल से होती है और आत्मविश्वास महंगे कपड़ो या ज्यादा डिज़ाइनर कपड़ो से नही बल्कि खुद पे सूट करने वाले कपड़ो से बढ़ता है। कभी ऐसा सुना कि किसी ने आपको यह तंज किया हो कि आप पर विद्यालय कोड नही जंचता या आप पर ऑफिस ड्रेस नही जँचती, नही ना। कपड़ो की अलमारी में 50 जोड़ी कपड़े होंगे पर आप के 5 जोड़ी कपड़े ऐसे होंगे जिन्हें आप ज्यादा लगाव देते होंगे। क्योंकि आप उनमे सुंदर भी लगते हैं , सहज भी लगते हैं। जलने वाले तो तब भी आपको यही कहेंगे ये क्या पहना है। आपकी उम्र कपड़े decide नही करे बाकी आप decide करो कि पहनना क्या है। #वस्त्र#फैशन
Umakant Patel
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं #जिंदगीक्याकिसी(क़बा~ परिधान,वस्त्र)
Deepak Kumar Katariya
Jiten rawat
आप का वस्त्र चाहे जितना भी महंगा क्यों न हो, वो आप के चरित्र को कभी नहीं ढ़क सकता है। #वस्त्र #महंगा #चरित्र #nojotoshayri #nojotothought #nojotowriterjitenrawat
विराज ठाकुर चंदेल
इंसान मकान बदलता है वस्त्र बदलता है सम्बंध बदलता है दोस्त बदलता है लेकिन फिर भी दुःखी रहता है क्योंकि वो अपना स्वभाव नही बदलता... -विराज ठाकुर चंदेल #sunrays #संबंध #दोस्त #वस्त्र #स्वभाव #इंसान
UTKARSH DWIVEDI