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बेजुबान शायर shivkumar
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l मां दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll स्वच्छ आसन पर बैठकर , मां का करें ध्यान l मंत्र जाप करने से , माता कल्याण करती है ll राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी l विधाता उनके लिए , शिव-संबंध रच रखे थे ll वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई ll भोलेशंकर , मां के तपस्या जब प्रसन्न हुए मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l ब्रह्मचारिणी नाम से , विख्यात होने का दिए वर ll ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll
#navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll
read moreAnita Saini
उतरी रूहें ज़िस्मों से अब बदन पर पोशाक न देख ग़म में शरीक हो किसी के अपनी नौशाद न देख Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "पोशाक" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:
Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "पोशाक" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:
read moreNeha Pathak
चहरे पर सादगी, प्रेम और तन पर ईमानदारी का पोशाक ओढ़ रखा था उसने.. मैं भी क्या करती अर्से से मुझे उस शख्स की तलाश थी झटपट लगी उसे समेटने! Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "पोशाक" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:
Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "पोशाक" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:
read moreDrg
सफ़ेद वस्त्र को अपनी ढाल बना कर कौनसा बहादुरी का कार्य करते हो जनाब? कभी इस रंग के गुणों को अपना, एसा कोई काम भी कर लिया करो #सफ़ेद #YQdidi #YQbaba #hindi #वस्त्र #ढाल #बहादुरी #रंग #गुण #wordoftheday
Sangam Ki Sargam
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आपके कपड़े बहुत मायने रखते हैं। विद्यालय में जब हम एक दिन भी घर वाली ड्रेस में जाते थे तो असहज महसूस करने लग जाते थे। क्योंकि उस वक़्त हम पर वो ड्रेस कोड जो विद्यालय द्वारा निश्चित किया गया वही हमारे लिए उचित होता है। विद्यालय के बाद एक दौर आया फ़ैशन का। खूब फैशन करो दौर है मनाही थोड़ी है फ़ैशन करने की पर वही फ़ैशन चुनो जो अंदर से सहज , आत्मविश्वास से परिपूर्ण करे । वो कपड़े मत चुनो जो खुद में हजार सवाल पैदा कर देते हैं। खूबसूरती चेहरे से नही दिल से होती है और आत्मविश्वास महंगे कपड़ो या ज्यादा डिज़ाइनर कपड़ो से नही बल्कि खुद पे सूट करने वाले कपड़ो से बढ़ता है। कभी ऐसा सुना कि किसी ने आपको यह तंज किया हो कि आप पर विद्यालय कोड नही जंचता या आप पर ऑफिस ड्रेस नही जँचती, नही ना। कपड़ो की अलमारी में 50 जोड़ी कपड़े होंगे पर आप के 5 जोड़ी कपड़े ऐसे होंगे जिन्हें आप ज्यादा लगाव देते होंगे। क्योंकि आप उनमे सुंदर भी लगते हैं , सहज भी लगते हैं। जलने वाले तो तब भी आपको यही कहेंगे ये क्या पहना है। आपकी उम्र कपड़े decide नही करे बाकी आप decide करो कि पहनना क्या है। #वस्त्र#फैशन
Kishor Rokade
उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..! कुठवर आस तु धरशील या विकलेल्या वर्तमान पत्राशी गं.! रक्षण कोणते मागत आहेस.. भरलेत दु:शासन दरबारात गं..! स्वतः जे निर्लल्ज पडलेत ते अब्रु तुझी कशी वाचवतील गं..! उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..।।१।। काल पर्यंतचा आंधळा राजा आता मुका आणि बहिरा गं..! ओठ शिवलेत लोकांचे आहे कानावर पहारा गं..! तुच सांग ही अश्रु तुझी कोणाला काय समजवणार गं..! उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..।।२।। सोड मेहंदी आता बाहु संभाळ स्वतःचीच लज्जा वाचव गं..! डाव टाकुनी बसलेत शकुणी मस्तक सारे विकतील गं..! उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..।।३।। *अटलबिहारी वाजपेयी *मराठी अनुवाद श्री:किशोर ज्ञा.रोकडे.
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