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Shaarang Deepak
शब्दसंग्राम ,,,
Mehfil-e-Mohabbat
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सबने इंसान न बनने की कसम खाई है ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ निदा फ़ाज़ली साहब ♥️✍️
Mehfil-e-Mohabbat
मैं भी तू भी यात्री,चलती - रुकती रेल अपने अपने गांव तक सबका सबसे मेल ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ निदा फ़ाज़ली ♥️✍️
आगाज़
जायेअपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये निदा फ़ाज़ली ©SMA voice group #roshni #निदा फाजली DASHARATH RANKAWAT SHAKTI Amit Pandey आँचल सोनी 'हिया' Ajain_words
PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान'
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियोंसे किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब सोचते रहते हैं किस राहगुज़र के हम हैं - निदा फाजली ©PRIYANK SHRIVASTAVA 'ARMAAN' अपनी मर्जी से- निदा फाजली #boat
Vivek Dixit swatantra
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता वो ख़्वाब जो बरसों से न चेहरा न बदन है वो ख़्वाब हवाओं में बिखर क्यूँ नहीं जाता निदा फ़ाज़ली ©Vivek Dixit swatantra #boat निदा फ़ाजली
Vedantika
नज़रे जा टिकी नुक़ूश पर और मोहब्बत ख़ुद से हुई। आईने में आज फिर मेरी हसीं मुलाकात मुझसे हुई। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "नुक़ूश" "nuquush" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है चेहरा मुहरा, बेल-बूटा, चित्र, रेखा
Vedantika
लगी हैं रिक़ाबत भी आगे निकल जाने के लिए। अपने लिए अपनों को पीछे छोड़ जाने के लिए। वक़्त की तराज़ू पर तौल कर देखी ज़िंदगी तो, बहुत कुछ खोया है यहाँ बहुत कुछ पाने के लिए।— % & ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "रिक़ाबत" "riqaabat" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है होड़, विरोध एवं अंग्रेजी में अर्