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UTKARSH SHARMA
Taja Bhojan
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हमारे ज़माने में तो स्वागत में सासू लगी , सजनी बैठी दूर । सरहज मन मुस्का रही , देख देख के नूर ।। खीर पुआ लेके खड़ी , देखो पितिया सास । खुश होगें दामाद जी , मन में लेकर आस ।। सासू पंखा दे रही , और रही मुस्काय । पाहुन शर्मीले मिलें , बिटिया दियो बुलाय ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR स्वागत में सासू लगी , सजनी बैठी दूर । सरहज मन मुस्का रही , देख देख के नूर ।। खीर पुआ लेके खड़ी , देखो पितिया सास । खुश होगें दामाद जी ,
Writer_Sonu
कविता चंद्रमुखी उपमा चंदा कहे हम राम से चंदा कहे हम श्याम से मेरी मां कहे चन्दा मामा दुर के नानी कहे पुआ पकाए पुर के नौका हमारी कागज़ की बहती हुई जाती हैं रात्रि में बहते हुए पानी में चंदा की चांदनी मुस्काती है चंदा कहे हम राम से चंदा कहे हम श्याम से ©Writer_KAVISONU #chaand कविता चंद्रमुखी उपमा चंदा कहे हम राम से चंदा कहे हम श्याम से मेरी मां कहे चन्दा मामा दुर के नानी कहे पुआ पकाए पुर के
संगीत कुमार
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
जिनका मुझसे थोड़ा विस्तार हुआ वो आज मुझे समझाने लगे हैं || मैंने अपने क़रीब आने दिया वो मुझे लूट के अब जाने लगे हैं।। जिन्हे थोड़ा सा हासिल हुआ वो अब क़तराने लगे हैं || थोड़ी मुझमे क़ाबिलियत दिखी वो लौट के वापस आने लगे हैं ।। जिन्हे लोगों ने ठुकरा दिया वो लहरों से अब टकराने लगे हैं || लोगों ने जिसे ख़ूब रुलाया वो अब मुस्कुराने लगे हैं ।। जिन्हे मोहब्बत ने नकार दिया वो अब प्रेम गीत गाने लगे हैं || लोगों ने जिन्हे भुला दिया था आज उन्ही की बातें करने लगे हैं || जिन्हे ठोकरों ने कई बार गिराया आज रास्ते उन्हें सम्हालने लगे हैं || रोटियां अक्सर जिनकी जल जाया करती थीं वो आज माल-पुआ खाने लगे हैं || जिनसे बरसों तक मोम नहीं पिघला वो आज पत्थर पिघलाने लगे हैं || चारो तरफ जिसकी बुराइयां होती थीं आज वो तारीफों में नहाने लगे है || जो देश को बचाने में नेता बन गए वो आज दीमक बनके चबाने लगे हैं || खुद को जो नास्तिक बताते थे वो आज मंदिर - मस्जिद जाने लगे हैं || ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) जिनका मुझसे थोड़ा विस्तार हुआ वो आज मुझे समझाने लगे हैं || मैंने अपने क़रीब आने दिया वो मुझे लूट के अब जाने लगे हैं।। जिन्हे थोड़ा सा हासिल