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ck bable
बेदर्द नहीं है हिन्दी, इसे भी दर्द होता है अपने देश में अंग्रेजी को आगे बढ़ते देखकर ! ©ck bable #bondinबेदर्द नहीं है हिन्दी, इसे भी दर्द होता है अपने देश में अंग्रेजी को आगे बढ़ते देखकर !g
Sanjeev Prajapati
Anti Terrorism Day ENGLISH को हिंदी में अंग्रेजी कहते हैं लेकिन अंग्रेज़ो की औकात नहीं जो हिंदी को अंग्रेजी में कुछ कह सके #गौहत्या_बंद_करो_सरकार #Aiwayarmy #Anti_Terrorism_Day ENGLISH को हिंदी में अंग्रेजी कहते हैं लेकिन अंग्रेज़ो की औकात नहीं जो हिंदी को अंग्रेजी में कुछ कह सके #Aiway #Aiwayar
Royal Gaming
i am Voiceofdehati
★हिंदी★ जो बोलते हैं हिन्दी में मातृभाषा जिनकी हिंदी है उन्हें हिंदी लिखने को कहो तो लाचार नजर आते हैं इनसे पूछ लो गर दो चार दोहे तो रामचरितमानस को ये संस्कृत में लिखा बताते हैं। हिंदी अब बची है बस जुबां पर बाकी लिखने को तो अनाप-शनाप कुछ भी छाप जातें हैं ।। अब तो हिंदी मात्र मौखिक रूप से ही हमारे साथ जुड़ी है लिखित रूप में अंग्रेजी वाली हिंदी ही उपयोग में आती है। ★हिंदी★ जो बोलते हैं हिन्दी में
Parul Sharma
क्यों जरूरत पड़ रही है हिन्दीं दिवस मनाने कि ये जताने क कि आज हिन्दी दिवस है आज हिन्दी का दिन है क्या हिन्दी का दर्जा कम हो गया है या हमने ये स्वीकार कर ल्या है कि हिन्दी उन ऊँचाईयों पर नहीं है जहाँ इसे होना चाहिये था अपने देश में ही हिन्दी अपने अस्तित्व के लिये लड़ रही है हम कोई न कोई बहाना बनाकर अंग्रजी को गले लगालते है और हिन्दी से हाथ छिटक देते है और अपनी ही भाषा को पराया कर देते है हम अंग्रेजों से तो आजाद हो गये पर अंग्रेजी के गुलाम हो गये और बही बने रहना चाहते है और होना भी चाहते है। और इस मानसिक गुलामी में न जान कब अपनी भाषा का अपनापन खो बैठेपता ही नहीं चला। पर ऐसा क्यों हुआ ऐसा कब से हुआ ये इसकी शुरूआत गुलाम भारत में अंग्रेजी शाशकों ने की गुलाम भारत में अंग्रेजी माध्यम क स्कूल खुलबाये बड़े और पैसे बाले लोगों से मित्रता की और जो गद्दार थे या उनके चाटुकार थे उनको धन से माला माल कर दीया कुछ लोग उन्हे शासक मान तो कुछ लोग चापलूसी में तो कुछ लोग उनके बिछाये जाल को अहसान मान कर उनकी बेषभूषा, चालढाल भाषा आदत का अनुसरण करने लगे उन्हें इन्हीं धनी और उच्च पद पर आसीन लोगों जो देखा देखी और लोग इनकी नकल करने लगे जब तक अंग्रेज भारत छोड़ते तब तक अंग्रेजी ने पैर जामा लिये थे । भारत आजाद हुआ अब यह सोने की चिड़ीया भी न रहा और धनी लोग तो पहले से ही आधे अंग्रेज हो चुके थे और यहाँ तो भेड़ चाल खूब चलती है तो और इस तरह हिन्दी अपनी व्यापकता खोती गयी और अंग्रेजी सैंध जमाती गयी पारुल शर्मा imrohiinegi क्यों जरूरत पड़ रही है हिन्दीं दिवस मनाने कि ये जताने कि आज हिन्दी दिवस है आज हिन्दी का दिन है क्या हिन्दी का दर्जा कम हो गया ह
Divyanshu Pathak
71 साल में देश के लिए जीने का संकल्प तृष्णा के संघर्ष में खो गया। धन मिट्टी भी है, साथ भी नहीं जाता। हम मानवता का जितना भी ह्रास करेंगे, वो कृष्ण का ही होगा। उसने कहा था- ‘ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन:’। #jai_hind #YourQuoteAndMine Collaborating with Pratha Sharan.. मेरी ओर से हिंदुस्तान और उसके चाहने वालों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामन
Suyash
🇮🇳 हिंदी और मैं 🇮🇳 ( मेरे जीवन का एक अंश ) ........ read more 👇👇 आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। आज हिंदी केवल एक भाषा नहीं है - यह ज्ञान, संस्कार एवं चेतना की वाहक बन चुकी है। जिस प्रकार भारत
KP EDUCATION HD
KP GK SAGAR GK questions in Hindi video short Film ©KP STORY CREATOR #दिल्ली से 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले कोहली आगे की पढ़ाई नहीं कर सके और क्रिकेट के प्रति उनके जुनून ने उन्हें शिक्षा से दूर कर दिया था। विराट
JALAJ KUMAR RATHOUR
मुकेश वर्मा सर, अंग्रेजी और कला के प्रणेता,घुमक्कड़ ,यायावर और जिज्ञासु जैसे गुणों से परिपूर्ण ,जसवन्तनगर में अंग्रेजी की पैठ को बढ़ाने वाले हमारे प्रिय गुरु जी आज उम्र के एक और पड़ाव को पार कर लेंगे।मुझे आज भी याद है सर वो दिन जब मैं आपकी ट्यूशन में पहली बार आया था। मैं ट्यूशन का टाइम पूछ कर ,कल आता हूं कहकर,लौटने लगा था।उस वक़्त आपने मुझसे कहा " कल क्यूं अभी से बैठो यहां और पढ़ो।" उस दिन मुझे नए जमाने के टीचर में आप एक गुरु के रूप में मिले थे।वैसे भी जैसे लोगो के कुल गुरु होते है। आप हमारे कुल के इंग्लिश के गुरु थे😂। आपसे ही सीखा था कि स्वयं को कभी बंधन में मत रहने दो।जीवन के प्रत्येक खंड का भरपूर आनंद लो।अंग्रेजी सिखा कर आपने संस्कृतियों के नए आसमानों तक पहुंचाया भी और कला सिखाकर अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का महत्व भी समझाया।मुझे नहीं पता कि आपका शुक्रिया किन शब्दों में करूं।बस यही कहूंगा कि शुक्रिया मुझ जैसे अबोध बालक को सामाजिक बनाने के लिए।एक अनजान भाषा से परिचित कराने के लिए।प्रेम का सही महत्व समझाने के लिए और भूत ,वर्तमान और भविष्य काल में अंतर बताने के लिए। शुक्रिया आपका सर एक अच्छा गुरु ,अच्छा मार्गदर्शक और अच्छा दोस्त बनने के लिए।जन्मदिन की शुभकामनाएं सर जी...आपका आज्ञाकारी शिष्य..#जलज कुमार राठौर ©JALAJ KUMAR RATHOUR मुकेश वर्मा सर, अंग्रेजी और कला के प्रणेता,घुमक्कड़ ,यायावर और जिज्ञासु जैसे गुणों से परिपूर्ण ,जसवन्तनगर में अंग्रेजी की पैठ को बढ़ाने वाल
JALAJ KUMAR RATHOUR
"श्लोक और आयत की समझ" "कुछ वक्त ही तो मिलता था उन्हे साथ में वो भी जब फिजिक्स और केमिस्ट्री की टूयूशन में 45 मिनिटों का अंतर होता था, बस इसी वक्त में तो वो मिल पाते थे , सुबह का ये 6:30 से 7:15 के बीच का वक्त श्लोक और आयत के पूरे दिन की इबादत होता था, वो बता पाते थे एक दूसरे को अपनी परेशानियां, साझा करते थे अपने सपने और बुनते थे सपनो को साथ साथ दो सिराहीयों की तरह , आयत अक्सर बोलती थी श्लोक ये चाँद किस धर्म का है तो श्लोक मौन हो जाता परंतु उसके माथे की सिकनो को देख कर कहता की आयत ये जो चाँद है ये परे है हिंदू और मुस्लिम से ये ईद पर मुस्लिम और करवाचौथ पर हिंदू हो जाता है पर मेरा चाँद तो तुम हो और आयत मुस्करादेती,वो पूछती थी कि श्लोक तुम अपनी इंजीनियरिंग के बाद मुझे भूल तो नही जाओगे तो श्लोक हंसकर कहता था कि पागल श्लोक और आयत को कोई कभी नही भूल सकता, वो अंजान थे उनकी दोस्ती के दरमियाँ पनपे निस्वार्थ प्रेम से और उस प्रेम के विरोध में खड़े होने वाले समाज से, प्रेम जो खत्म कर देता है सामाजिक मान्यताओं को और रूढ़िवादियों को, शाम के 10 बजे थे आयत ने श्लोक को मैसेज किया तो फिर कल मिल रहे हो , फरवरी की सर्द रातें और प्रेम के इजहार के एक दिन पूर्व आयत का यह मेसेज श्लोक को विवस कर देता है उसके मेसेज का उत्तर हाँ देने में, एक कारण और था श्लोक की हाँ का 12 वी के अंतिम दिन, कुछ ऐसा ही होता है हम चाहते है हर उस शक्स से मिलना जो मशगूल रहा होता है हमारी युवावस्था की उस यात्रा में बस इसी लिए मिलना चाहता था श्लोक आयत से, मस्जिद के पीछे वाले पार्क में, इंतजार मे थी आयत श्लोक के, अपने हाथों में गुलाब का फूल लिए आयत के सामने था श्लोक, वो 9 वी में अंग्रेजी की ट्यूशन की पहली मुलाकात, आज फिर से याद आ रही थी आयत को कि कैसे वो सिर्फ देखता रहा था उसको सूरज की चमकदार रोशनी में ,आकर्षण भी प्रेम का एक कारण होता है, और यही कारण था की श्लोक साथ मे था आयत के, तभी अचानक कुछ धर्म के ठेकेदारों ने आकर, दे दिया उनके इस चार साल के प्रेम को एक जबरन रिश्ता शादी का, आयत के आँसू निकल रहे थे, मस्जिद के पास जब इसकी भनक लगी तो कुछ और धर्म के ठेकेदार आ गए और श्लोक को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने लगे श्लोक ने मना किया तो दोनो और से लडाइयाँ छिड़ गयी और गीता और कुरान पढने वालों की लडाइयों के बीच सिर्फ एक ही आवाज आ रही थी कि श्लोक और गीता चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि काश तुम लोग समझ पाते, श्लोक और आयत को . . #जलज राठौर "श्लोक और आयत की समझ" "कुछ वक्त ही तो मिलता था उन्हे साथ में वो भी जब फिजिक्स और केमिस्ट्री की टूयूशन में 45 मिनिटों का अंतर होता था, बस इस