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Anekant Jain Aditya
पैरों की पायल पाजेब के घुँघरू जबसे चहकने लग गए उनकी आबाज से ही बहकने लग गए जबसे पाजेब उतारी है तुमने उसकी आबाज सुनने को तड़पने लग गए पाजेब
Sam
तोड़कर फेंक दी उसने मेरी तोहफे में दी हुई पाजेब , बोली अगर खनकेगी तो तेरी बहुत याद आयेगी ...!! 💝💝💝💝 -Sushant Verma 🖋️🖋️ #पाजेब
Rajnish Sharma
अं।खे मै तेरी रोज शाम सवेर देखता हूं क्या करू मै इसमे तेरा फरेब देखता हूं सच मालूम है पर दिल के हाथो मजबूर हूं नाच उठता हू मै,जब तेरे पैरो मे पाजेब देखता हू पाजेब
श्रीमती मुक्ता सिंह
यह सोने की पाजेब मन को बड़ा लुभाता है पिया के दिल को बांधती है इसकी छनक इसकी छनक छेड़ जाती है मन के तार जैसे बज रही हो सरगमों की झंकार पाजेब की आवाज बताती भी है पहचान कि घूँघट में लिपटा आ रहा है कौन पायल की खनक बन जाती है दुल्हन की पहचान श्रीमती मुक्ता सिंह #पाजेब#
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Suchi Prasad
इक चुप्पी भरे आंगन में जैसे किसी बच्चे के आखेट की तरह, याद है मुझे वो अब भी मेरे टूटे हुए पाजेब की तरह। वो खनखनाहट भी बरकरार था जब तलक मासुमियत भरा प्यार था, समझदार क्या हुए ज़माने के लिए ये इश्क़ बन बैठा कुसूरवार था। बिखर गये घंघरू भी सारे धागे का जब सहारा छूटा, कुछ साजिश थी अपनो की कुछ नसीब भी था इनका खोटा। दूर तपते हुए रेत में जैसे मृगतृष्णा के फरेब की तरह याद है मुझे वो अब भी मेरे टूटे हुए पाजेब की तरह। मेरे टूटे पाजेब......
Hasanand Chhatwani
तोड़कर फेंक दी उसने,, मेरी तोहफे में दी हुई पाजेब . . .बोली अगर खनकेगी ,,तो तेरी बहुत याद आएगी ##तोहफा ##पाजेब##खनकना##
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
Rishika Srivastava "Rishnit"
मैं तेरी राहों में बैठी हूँ इंतेज़ार में नैन बिछाए.. सजा कर केश गजरे से, कानों में सुंदर मोती लटकाए.. लाल चूड़ियाँ, होठों पे लाली पैरों में पाज़ेब और माथे पे बिंदियाँ सजाए.. चमके है नैन, चेहरा खिल खिल कर मुस्कुराए.. मिलन की हर्ष और चाहत के सपनें सजाए.. कब आओगे तुम मेरे बंजारे.. तेरी ही चाहत से मेरे रूप निखर आये..! ©rishika khushi #बंजारे #NojotoEnglish #NojotoWriters #पाजेब