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Vijay Vidrohi

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हरियाणा 

हरियाणवी संस्कृति की धरा पर,
खेतों में है खड़े किसान, 
मेहनत से जुटे दिन और रात
हरियाणा की ये पहचान।

उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने,
सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने

महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू,
बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू

खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी
ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी 

उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार,
गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार।

हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है,
जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी।

गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान
यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान।

जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है।
कृपया बताएं कविता कैसी लगी

©Vijay Vidrohi हरियाणा #हरियाणा #my #new #poem  poetry on love love poetry in hindi hindi poetry punjabi poetry poetry lovers

Sunita Pathania

neelu

#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...

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White Yesterday I saw a few episodes 
of the Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes 
of the #Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
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