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Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण नव अवतरण सब अपने भीतर भींचना..... रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम, भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..! मेल असंभव क्यूँ हम तुम का, इस पर उत्तर रखूँगी....!! पुछूँगी कि किए कहाँ वो भाव श्राद्ध कोमल कसीज, खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ बोया गया था दंभ बीज... उस नर्म धरा को पाछूँगी, मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!! मैं ढूंढूँगी वो वक्ष जहाँ, स्त्रीत्व दबाया है निज का, वो नेत्र जहाँ जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....! प्रकृत विद्रोह तना होगा, जब पुत्र पुरुष बना होगा..... मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, कोमलताएं तलाशूँगी, उन कारणों से जुझूँगी.... मैं तुमको जीना चाहूँगी......!! अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व, श्रेयस जो तुमने ढोया है... और यूँ पुरुष को होने में कितने तक निज को खोया.....! कदम कठिन रुक चलते चलते कित् जाकर आसान हुआ, हृदय तुम्हारा पुरुष भार से किस हद तक पाषाण हुआ.....!! मैं तुममें अंगीकार हो, नवसृज होकर आऊँगी, मैं तुमको जीना चाहूँगी........ फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में
Vikash bihari (Bihar )
* सम्मान उसी की करो , जो आपकी करता है। * कदर उसी की करो जो ,आपकी करे। *प्यार उसी से करो , जो आपसे करे। * वहीं जाओ , जहां बुलाया जाए। बात उसी कीमानो ,जो आपकी माने। ©Vikash bihari (Bihar ) #intezaar अपने जीवन में यह मूल मंत्र जरूर धरण करे।
Prerana Jalgaonkar
कविता (👇) आईच्या गर्भात मायेचा अंकुर रुजणं... "मी बाबा होणार" म्हणून बाबा तुझं आनंदात भिजणं... आईचे डोहाळे पुरवणं... डोहाळे जेवणात "बर्फी" आल्यावर एक
Prerana Jalgaonkar
कविता (👇) आईच्या गर्भात मायेचा अंकुर रुजणं... "मी बाबा होणार" म्हणून बाबा तुझं आनंदात भिजणं... आईचे डोहाळे पुरवणं... डोहाळे जेवणात "बर्फी" आल्यावर एक
Bharat Bandiwadekar
Vishnu Naheliya
दुर्योधन - तेरे पांच पति बलवान कहा गए ,वो धरण तोलानिया । ..धरण तोलनिया ।। पांचा की नार बड़ाई तू करती । मासु नार कदी नही डरती ।। अब क्यों नैन नीर से भरती , दुर्योधन के दरबार ... अब तेरा कोन है बंधन तोड़निया ।। अब मैं रहूंगा चीर उतार .... मेरे लगी लगन आ मन में ।। आज कहां गया बाण बली अर्जुन का , जो राक्षस मारतो सब बनी का । जो रण में कभी नही हरतो , जिसके सिर पर हाथ कृष्ण का ।। तेरे पांच पति बलवान कहा गए ,वो धरण तोलानिया । ..धरण तोलनिया ©Vishnu Naheliya दुर्योधन - तेरे पांच पति बलवान कहा गए ,वो धरण तोलानिया । ..धरण तोलनिया ।। पांचा की नार बड़ाई
MANI AYURVEDA
MANI AYURVEDA
MANI AYURVEDA