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Stories related to शुक्रतारा मंद वारा

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Sai Angel Shaayari

बीवी अगर सलाहियत मंद हो तो घर कैसा भी हो औरत चाहे तो उसे संवार के महल जैसा बना सकती है । #Life

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बीवी अगर सलाहियत मंद हो तो घर कैसा भी हो
औरत चाहे तो उसे संवार के महल जैसा बना सकती है ।

©Sai Angel Shaayari बीवी अगर सलाहियत मंद हो तो घर कैसा भी हो
औरत चाहे तो उसे संवार के महल जैसा बना सकती है ।

Kulvant Kumar

"हर चीज मूल्यवान है सिर्फ जरूरत मंद के लिऐ " #Motivational

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White 🤱
"बेटी"

"Everything is valuable 
"Only for the needy.
...................

©Kulvant Kumar "हर चीज मूल्यवान है 
सिर्फ जरूरत मंद के लिऐ "

꧁ARSHU꧂ارشد

आगाज़ पे न अंजाम पे इख़्तेयार होता हैं.. मोहब्बत में तमाम उम्र इंतेज़ार होता हैं !! पूछो न आतिश-ए-हुस्न का इश्क़ पे असर.. राह-ए-शौक़ में #Shayari

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत । साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।। सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज । #कविता

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White दोहा :-

मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत ।
साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।।

सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।
भाग रहे शीतल जगह , छोड़ आज सब काज ।।

वादा करते आपसे , अभी न छोड़ूँ हाथ ।
जीवन भर बस प्यार से , रखना हमको साथ ।।

जीवन साथी संग में , उठा रहे आनंद ।
दुआ यही करता प्रखर , कभी न हो ये मंद ।।

वर्षगाँठ शुभकामना , करें आप स्वीकार ।
जीवन भर मिलता रहे , साथी से यूँ प्यार ।।

आगे जीवन में यही , करे खड़ी दीवार ।
बात-बात पर तुम कहीं , अगर करो तकरार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 

दोहा :-

मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत ।
साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।।

सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जनमत :-  जनमत की बाते कभी , सुने नहीं थे आप । इसीलिए तो आपको , मिला आज संताप ।। मिला आज संताप , दोष ये रहा तुम्हारा । #कविता

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जनमत :-  कुण्डलिया

जनमत की बाते कभी , सुने नहीं थे आप ।
इसीलिए तो आपको , मिला आज संताप ।।
मिला आज संताप , दोष ये रहा तुम्हारा ।
छोड़ रहे सब साथ , दलों का वारा न्यारा ।।
ऊब गये थे लोग , देखकर तेरी हरकत ।
अब तुम देखो स्वप्न , मिले फिर हमको जनमत ।।

जनमत का हक आपने , खाकर लिया डकार ।
कभी पलट बाँटा नही , जनता में वह प्यार ।।
जनता में वह प्यार , न थी कोई मजबूरी ।
रखा स्वार्थ भर चाव , यही कारण है दूरी ।।
और बताते आज , यहाँ पर हमको हिकमत ।
जाओ बाबू आप , फैसला है ये जनमत ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जनमत :- 


जनमत की बाते कभी , सुने नहीं थे आप ।

इसीलिए तो आपको , मिला आज संताप ।।

मिला आज संताप , दोष ये रहा तुम्हारा ।
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