Find the Latest Status about अखेरचे पर्व from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अखेरचे पर्व.
Ravindra Rajaram Pardeshi..
।।अखेरचे वक्तव्य ।। दुसर्यांच्या बीना आईच्या पिल्लु साठी नाही आणि मतलबी सारखे स्वतः साठी पण नाही. मला जगायचे आहे माझ्या पोटच्या बीना आईच्या लेकरांसाठी... म्हणुन आजपासुन हे विनाकारण, बीन अकली लोकांसाठी रक्त जाळणे सपशेल बंद.. कारण त्यांनी पन्नास वेळा स्वत:हुन, लोकांना घरात घालून केल्या तरी त्या फक्त चुका.. आणि आपण केले तो घोर अपराध, गुन्हा.. त्यांच्या चुकांचे स्पष्टीकरण, सफाई.. आपल्या अपराधांना, गुन्ह्यांना कठोर शासन.. आपण नमुन, पाया पडुन, विनंत्या करुन शेवटी अपराधीच, गुन्हेगारच, आणि ती निर्लज्ज वागणारी, गर्विष्ठ, देवमाणसे.. त्यांचा तो मोन्या.. आपले ते काडीकचरा.. म्हणुन आजपासुन सर्व कायमचे बंद.. तुमचे देवत्व तुम्हांस लखलाभ.. शेवटचे पश्चातापाचे शब्द.. अखेरचे वक्तव्य #Stars&Me
Vivek
प्यार को भी प्यारी लगो अपनी या हमारी लगो कोई पर्व नज़दीक आता लगे उन खुशियों की तैयारी लगो...!!! ©Vivek # पर्व
?
365 दिन.. जिसकी आस्था एक सी हो वही भक्त, और सब ढोंगी ( दिखावा ) हैं!! ©? ? #पर्व
CK JOHNY
हर दिन उत्सव यहाँ हमारा हर दिन पर्व हैं। मुझे मेरी समृद्ध भारतीय संस्कृति पे गर्व है। हर प्रविष्टियों में कोई न कोई त्योहार मनाते हैं हंसते खेलते सच्चिदानंद में प्रविष्ट कर जाते हैं। संगरांद द्वितीया तृतीया चतुर्थी या पंचमी अष्टमी नवमी एकादशी द्वादशी त्रयोदशी में प्यारे हमारे लिए संजोया बस हर्ष ही हर्ष है। सरस्वती नटराज शिव मुरलीधारी कृष्ण को नमन गड़वा भरतनाट्यम् संगीत से करते है हम स्पर्श हैं। पर्व
Bachan Manikpuri
बैसाखी का पर्व भारत के उत्तरी भाग में मनाया जाता हैं। इस दिन को फ़सल उत्सव नये वर्ष के रुप में मनाया जाता हैं। इस दिन लोग सुबह नदी में स्नान करते हैं नए रंग बिरंगे कपड़े पहन कर पूजा अर्चना करते हैं एक दूसरे को बधाई देते हैं। ©Bachan Manikpuri बैसाखी पर्व
Kusum Tripathi
प्रेम हमारी चाहत की वो पहली मुलाक़ात याद है, तुम्हें! आषाढ माह की वो शरारती फुहार याद है, तुम्हें! उन बूँदों की छुअन से थरथराते होंठों से कहे मेरे अल्फ़ाज़ों की गूँज याद है, तुम्हें! उस सूज्जमूँदे पहर की याद है तुम्हें, जब हमारी चाहत लफ़्ज़ों से होते हुई सीधे नज़रों से बयां हुई थी मोहब्बत के उस स्याहा सुर्ख़ लाल रंग की पहचान है, तुम्हें! जिसका रंग चढ़ने के बाद उतरता नहीं, उतरने के बाद खिलता नहीं जिसकी संदली-सी महक प्रेमपंछियों की परवानियों को,उनके शोख़ीपन को महकाती रहती है, जिसका सुरूर मधुशाला-सा छलकता रहता है वो प्रेम की शहद-सी मीठी-सी सौंधी-सी मिठास याद है, तुम्हें! वो महीन मलमल याद है, तुम्हें! जिसपे बैठ हम घंटों एक-दूसरे के आलिंगनपाश में खोए रहे वो कोमल-सा स्पर्श याद है तुम्हें, जिसकी कोरी छुअन विद्युत धारा-सी थी वो प्रेम की अठखेलियाँ याद हैं तुम्हें, जो हमारी नज़दीकियों का एहसास थीं प्रेम की वो आँखमिचौली याद है ना, तुम्हें! वो मेरे इठलाते मृगनयनी-से चंचल नयनों की क्रीडाएँ तो याद हैं ना, तुम्ह ©Kusum Tripathi प्रेम पर्व
Vikas Jain
जिस प्रकार मनुष्य जीवन में यौवन आता है उसी प्रकार बसंत इस प्रकृति का यौवन है । "बसंत ऋतु" और माँ सरस्वती के पावन पर्व पर सभी मित्र जनो को हार्दिक सुभकामना । बसन्त विहार खेरोट www.hindisugam.com बसन्त पर्व