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Rabindra Prasad Sinha
सुख को unlock करूँ दुख को block करूँ नफरत के काँटे जला प्रेम-पुष्प stock करूँ चाहत बस इतनी है दिल में तुम्हें lock करूँ चाँद मेरे छत पे आ दिल चाहे rock करूँ इशारा हो तेरा तो दिल पे तेरे knock करुँ ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White जब मैं गुलाब का पौधा रोपता हूँ तो मिलता है मुझे गुलाब ही जब मैं गाय पालता हूँ देती है मुझे दूध ही जब मैं कुत्ता पालता हूँ मिलती है मुझे वफादारी ही लेकिन जब मैं प्रजातंत्र में चुनता हूँ अपना सेवक तो वह कुछ भी होता है सेवक होने के अलावा ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White जब तुम्हें फूल फकत पूजा की साम्रागी लगे जब तुम्हें चाँद की सुंदरता नहीं फकत चरखा चलाती बुढिया दिखे जब तुम्हें अपने सवालों के जवाब के लिए गूगल करना पडे तब तुम किताबें पढ़ो कविता लिखो चित्र बनाओ गहरी साँस लो ढंड़ा पानी पिओ यही तुम्हारी मरनासन्न सोच को जीवन देगा ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
यह भ्रम है कि मर गया था रावण मरा नहीं था आज भी जिंदा है यहीं हम सब के बीच मायावी था और मयावी है मार रहा है राम को बड़ी चालाकी से करके राम का ही यशोगान ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
बचे रहने दो फूलों को जब तक बचे रहेंगे ये बचे रहेंगे रंग बची रहेगी खुशबू बची रहेगी खूबसूरती बची रहेगी खूबसूरत दुनिया ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White एक ताजगी एक अहसास एक खूबसूरती एक आस एक आस्था एक विश्वास अच्छी सुबह की अच्छी शुरुआत सुप्रभात ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
प्रेम करना समंदर से सीखो जाती हुई लहरों से कहता है, जाओ, खुश रहो लौटती हुई से कहता है, आओ, तुम्हारा स्वागत है प्रेम में संयोग वियोग कुछ नहीं होता सिर्फ स्वीकार होता है ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White सबसे बड़ी मृत्यु वह नहीं होती जब आदमी मर जाता है सबसे बड़ी मृत्यु वह होती है जब आदमी की आत्मा मर जाती है ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Shashi Bhushan Mishra
Men walking on dark street पाल रखे कितने मंसूबे, नाव किनारे पर आ डूबे, लहरों ने की है सरगोशी, बनता फिरता था वो दूबे, नियमावली ताक पे रखके, करने निकला सात अजूबे, क़िस्मत ने जब साथ दिया, फतह किए कितने ही सूबे, महारथी अब ढेर हुए सब, घर वापस आया बन चौबे, अक्ल ठिकाने आई ज्युँ ही, हुए तीन तेरह थे नब्बे, वफादार दलबदलू 'गुंजन', बदले मुफ़्ती और महबूबे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #नाव किनारे पर आ डूबे#