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Akash Kumar prjapati
White मेरी मां ने कहा थे बेटा प्रदेश मत जा मैने नहीं मानी तो आज मुझे मेरी मां की बहुत याद आहरही है ©Akash Kumar prjapati #Thinking मां की ममता
#Thinking मां की ममता
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
हम भूल गये अपने घर को भगवान तुम्हारा क्या होगा जब मोह की निद्रा सोये रहे सम्मान तुम्हारा क्या होगा हम खोज रहे सुःख भोगों में सच्चे सुःख की पहचान नहीं पापों से धसते जाते हैं पुण्यों को इक सोपान नहीं इस स्वारथ में जीने वाला इंसान तुम्हारा क्या होगा जीवन में धन दौलत चाहा दौलत के मद में फूल गये जिहव्या के रस तो भोग लिये बस ध्यान तुम्हारा भूल गये तन मन को नर्क बना डाला अब भान तुम्हारा क्या होगा हम आलस को आराम कहें हे राम न मुख से आता है ये काया माया के बंधन कब छोड़ इन्हें मन पाता है सुःख दुख की चिंता भारी है गुणगान तुम्हारा क्या होगा ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #राम भजन
#राम भजन
read moreRamji Tiwari
White *माँ* माता के जैसा नहीं,जग में कोई और। खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।। हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा। जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।। माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता। देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।। ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह। पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।। वारे अपनी देह,आप गीले में सोती। चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।। जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता। झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।। स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #माँ #कविता #ममता Shikha Sharma deepshi bhadauria Sudha Tripathi lumbini shejul Raushni Tripathi
Narendra kumar
साहस भरो प्रभु संघर्ष करूं। नित्य तेरा नाम उत्कर्ष करूं। गाऊं महिमा सदा तेरे नाम का। तेरा ध्यान धरूं तेरा नाम करूं। प्रेम भरों प्रभु जन सेवा करूं। फैलाऊं तेरा कृति तेरा स्तुति करूं। कर्मठ बनु सत्य कर्म करूं। सहास भरो प्रभु संघर्ष करूं। ©Narendra kumar भक्ति भजन
भक्ति भजन
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
मुझे हो गया भरोसा तुझको ख़बर है मेरी मैं चाहे भूल जाऊँ तुमको फिकर है मेरी अहसास बनके मेरे दिल में करो बसेरा दीदार की पिपासा शामो सहर है मेरी होता है जब अँधेरा तुम बनते हो उजाला तुझको न देख पाती पापी नज़र है मेरी अपना तो न ठिकाना सारे जहाँ में कोई तेरे ही आसरे से चलती गुजर है मेरी जाने क्या हाल होता दर दर की ठोकरों से तूने संभाला जब से घर घर कदर है मेरी अब तक तो थामे रख्खा आगे भी थाम लेना भव से लगा किनारे नैया भँवर है मेरी पहला ही नाम तेरा मेरी जुबाँ पे आये तेरे चरण की दासी सारी उमर है मेरी ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #श्रीकृष्ण भजन
#श्रीकृष्ण भजन
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