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peenkesh yogi
"कल रात के ख़्वाब में जब उनसे मुलाकात हुई," आदमी जब किसिको प्यार कर्ता हे तो उसै बादमे पाता चल्ता हे कि प्यार क्या हे।। मन अर मुटु ।।
Chintoo Choubey
क्यों इतना शोर मचा रहे हो? उन से हाल पूछो कि इतनी खामोशी क्यों है वहाँ। मर्म
Yudi Shah
ती यादहरु कति जलाउन कोसिस गरे तर जलाएर पनि खरानी बनाउन सकेन एउटै हो मुटु, त्यस शर्त अरु कोहिलाई अटाउनु सकेन... ©Yudi Shah ती यादहरु कति जलाउन कोसिस गरे तर जलाएर पनि खरानी बनाउन सक्ने एउटै हो मुटु, त्यस शर्त अरु कोहिलाई अटाउनु सकेन... Yudi Shah Poetry #nepalis
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अमूमन बाहर से जो व्यक्ति अत्यंत सुलझे हुए दिखते हैं अंदर से वो उतने ही उलझे हुए रहते हैं ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कोई भी करीबी रिश्ता जब टूटता है तो उसका मुख्य कारण एक व्यक्ति का बोल नहीं पाना एवं दुसरे का कही से ज्यादा अनकही बातों को ना समझ पाना है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की विवाह में गठबंधन का महत्व -सात फेरों एवं उन वचनों की गहराई -दूरदर्शिता तथा सिन्दूर प्रक्रिया को समझ पाना बहुत बड़ी बात है ,अब ये सब मात्र एक प्रक्रिया बन कर रह गए हैं क्यूंकि आज के माता पिता तक इन रस्मों की महत्वपूर्णता एवं इनमें छिपे हुए प्रेम -वचन -दर्द से अनभिज्ञ हैं ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की कहा जाता है की कन्यादान महादान होता है पर इस दान की महत्ता और उस पिता के मर्म को समझ पाना हर किसी के बस में नहीं होता ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान 🔯🔱 विकास शर्मा "शिवाया"🔱 🌈🚩🔯 ⚛️🔯☸️🪔🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' मर्म
Pushpendra Pankaj
कितने ही मर्म छुपा रक्खे इस सीने मे, सुन ! प्यारे बिन मर्म मजा कब जीने मे, अपनी वाह-वाह को सुन कोई भी जी ले, कुछ मजा अलग कङवे घूँटो को पीने मे। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj मर्म
मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
कभी कभी दिल ये सोचने को मजबूर होता है 🤔कि हाड़-मांस और मिट्टी मे मिल जाने वाले शरीर पर हम इतना अहम कर लेते हैं तो अगर हम अमर होते तब क्या करते ?? कोई तो होगा जो इस मर्म को जानता होगा तभी तो उसने सृष्टि को इस सुंदरता से संतुलित किया हुआ है कि एक हद के बाद इंसान चाह कर भी बेबस हो जाता है और मैं उस शक्ति को ही ईश्वर मानता हुँ। ©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak) #मर्म
poonam atrey
सहज नही है मर्म क़ुदरत का ,यहाँ कौन इसे जान पाया है, जिसने भी खिलवाड़ किया ,क़ुदरत ने उसे धूल में मिलाया है, ये नदियां ,ये पर्वत ,ये झरने,ये घाटियाँ ,ये करिश्में हैं क़ुदरत के, फूल पत्ती क्या ,तूफ़ान और बवंडर भी अपनी गोद मे छुपाया है।। ©poonam atrey #क़ुदरत #मर्म
लेखक ओझा
मर्म समझ कर भी चुप है वो शायद रिश्तों के उलझन में है वों।। ©लेखक ओझा #GoldenHour मर्म