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Stories related to poetry on life struggle in hindi

ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ

#तुम्हारे_दिल_की_चुभन.. poetry in hindi hindi poetry on life

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Google ग़मों की आँच पे आंसू उबाल कर देखो
बनेंगे रंग किसी पर भी डाल कर देखो।

तुम्हारे दिल की चुभन भी ज़रूर कम होगी
किसी के पावँ से कांटा निकाल कर देखो।

वो जिसमें लौ है विरोधों में और चमकेगा
किसी दिए पे अँधेरा उछाल कर देखो।

कुँअर मिठास भी होती है खारे पानी में
तुम अपने अश्क़ का सागर खंगाल कर देखो।

- डॉ कुँअर बेचैन

©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #तुम्हारे_दिल_की_चुभन.. 
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Bharat Bhushan pathak

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खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

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Bharat Bhushan pathak

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नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

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Bharat Bhushan pathak

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विषय-वीर/ आल्हा छंद
विधा-१६-१५  मात्रा प्रति चरण,चार चरण।
दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है।

छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास।

नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।।

ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान।
अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।।

काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज।

स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है  साज।।

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Anil gupta

ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं,,

मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ,
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं,,

नींद से मेरा ता-अल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं,,

मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं..!

©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #इतना_डरते_हैं_तो_फिर_घर_से_निकलते_क्यों_हैं,,,
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Expressiveladki

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