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Anupama Jha
प्रश्न- उत्तर (कविता कैप्शन में) #YoPoWriMo#poem#YQdidi#YQbaba #प्रश्न उत्तर #पूछा एक दिन मैंने चाँद से कहते हैं तुम शीतल हो तो क्यूँ भर जाते हैं लोग देख तुम्हें उष्णता से
राजेश गुप्ता'बादल'
सुन अये जिंदगी तू मुझ पर एक अहसान कर, जी सकूं सकूं से कुछ पल तो इतना आसान कर। कब तलक फिरुंगा मैं यूं रोता हुआ दर-बदर , इंशान की इंशानियत का तनिक तू मान कर। ये अदावतें हैं जो तेरी कम नहीं हो रहीं , और कितना करना है सहन रहम का दान कर। हर वक्त तिरी मर्जी ही मेरी मर्जी रही है, समझ कर दास अपना कभी तो तू प्रतिदान कर। सुन सूख गए जो ये आंसू रात दिन ढलक कर, ढलक जाएं खुद ही खुशी से ऐसा विधान कर। सुन अये जिंदगी तू मुझ पर एक अहसान कर। जी सकूं सकूं से कुछ पल तो इतना आसान कर। कब तलक फिरुंगा मैं यूं रोता हुआ दर-बदर , इंशान की इंशा
अशेष_शून्य
जीवन चक्र अत्यधिक भावनाओं के प्रवाह से डर लगता है मुझे कभी कभी पर इसलिए नहीं की मैं इनको नियंत्रण नहीं कर पाऊंगी बल्कि इसलिए क्योंकि जिस विश्वास की प्
vishnu prabhakar singh
मेरे कसबा में मंडी के आत्मा से देखो तो सुनिश्चित आश से सम्बोधन बाज़ार! दूर गाँव की जिजीविषा प्रतिदान की सभ्यता कुकुरमुत्ता शैली की दुकान हर ग्राहक वैश्य। पतरचट पर रख्खी मालभोग केला एक घौर, छितराया हुआ बच्चों से बहलाया हुआ उसी चट्टी पर आँचल भर मिर्च छटाक भर सोंठ भरोसे की भेंट। आगे एक मेमना अनहोनी की पूर्वाग्रह में निढ़ाल अब उसका चरवाहा बकरी नहीं पालेगा मेमना ने जो घास का मूल्य चुकाया,उसे ले अपने खून को धीरज में समेट दो कोस की पग यात्रा धीरज को शक्ति देने कल्याण के द्वार। साइकिलों में कुछ मोटर साईकिल खटकते हुए उस पर ढोंग की सवारी काज से बढ़ा भटकाव हलवाई के मुँह बोले जवांई पान,ठंडे के मक्खी। सिनेमा घर नव दम्पति के सौगंध-वचन नया सिंगार,नई वय 'इंसाफ हो के रहेगा'की लय मध्यांतर में सब साथी है पिक्चर अभी बाकी है! भारत गांवों का देश... सुदूर गांवों के प्रमंडल में एक पुरानी मंडी,'मुरलीगंज' एक जीवन रेखा!! मेरे कसबा में मंडी के आत्मा से देखो तो सुनिश्चित
Swarima Tewari
पुरुष समुंदर है, स्त्री समर्पण.. (full in caption) पुरुष का प्रेम समुंदर सा होता है..गहरा, अथाह..पर वेगपूर्ण लहर के समान उतावला। हर बार तट तक आता है, स्त्री को खींचने, स्त्री शांत है मंथन कर
अशेष_शून्य
सुनो मधुबाला ...! Dedicating a #testimonial to Madhumayi पत्र बहुत कम लिखती बहुत कम लोगो को लिखा भी है आज तक बहुत लापरवाह हूं इस मामले में या यूं कहूं कीउन न