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Gurudeen Verma
White शीर्षक - क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये ------------------------------------------------------------- क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। कल तो नहीं थी तुम्हें मिलने की फुर्सत। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। क्यों आज हम याद-----------------------।। देख रहा हूँ तुम्हारी कहाँ हैं निगाहें। मेरा महल देख क्यों भरते हैं आहे।। छूने से डरते थे तुम मुझको कल तो, क्यों आज मिलाने हाथ तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। कल तक की थी तुमने बुराई हमारी। करते हो आज सबसे तारीफ हमारी।। नहीं पूछते थे तुम कल हाल हमारा। क्यों आज बिछाने फूल तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। नहीं था कबूल कल क्यों साथ हमारा। गैरों की बाँहों में था कल हाथ तुम्हारा।। तोड़ा था क्यों तुमने कल ख्वाब हमारा। क्यों आज बनाने साथी तुम आ गये।। क्यों आज हम याद-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीत
दूध नाथ वरुण
हे दया की देवी दया करो,मै कबसे तुझे मनाऊं मां। मेरे दुखड़े तू सुनले मां, मै कबसे तुझे सुनाऊं मां।। ©दूध नाथ वरुण #हे #दया #की #देवी
Ramkinkar sharma
जय माँ अष्टभुजा देवी 🌹🌹🌹 28/3/2024 ©Ramkinkar sharma माँ अष्टभुजा देवी
Deepa Didi Prajapati
परमपिता परमात्मा के, जो देवी - देवता रूपी कार्यकर्ता हैं क्या उनमें भी कुछ ईमानदार और कुछ रिश्वतखोर होते होंगे? सज्जनों - दुर्जनों की स्तिथि देखकर तो यही लगता है। कंस सम लोगों के कारण कुछ मासूम कृष्ण और कन्याएं बाल्यकाल से ही प्रारब्ध के नाम पर दुःखों से घिर जाते हैं। ©Deepa Didi Prajapati #ईश्वर #देवी- देवता #प्रारब्ध
nisha Kharatshinde
महिला दिनाच्या शुभेच्छा 💐 दुर्गा देवी (परिचारिका) सिंहारुढ अष्टभुजा शैलपुत्री पुराणात कथले माहात्म्य तुझे आदिमाया तू या विश्वाची नवमं सिद्धीदां नाम दुर्गा तुझे वस्त्राचेही किट बनवूनी मुकुटाचे तू शील्ड करुनी प्रोब,स्टेथोस्कोप हाती सेवेचे काम्य व्रत लेवूनी असंख्य शक्तींचे शक्तरुप तू कधी सौम्य उग्र हे रुप तुझे सहस्त्र हाती घेऊनी यंत्रणा दहावे परिचारिकेचे रुप तुझे ✍️काव्यनिश ©nisha Kharatshinde दुर्गा देवी
Gurudeen Verma
शीर्षक - हम वह मिले तो हाथ मिलाया --------------------------------------------------------------- हम वह मिले तो हाथ मिलाया बढ़ने को आगे हाथ हिलाया।। बात हुई पलभर के लिए। हाय ! यह भी कोई मिलना हुआ।। हम वह मिले तो-------------------।। इस इंसान को क्या हो गया है। रोग इसे ऐसा क्या हो गया है।। दौड़ रहा है सुख पाने को। दौलत का भूत यह हो गया है।। रुकता नहीं करने को विश्राम। हाय ! यह भी कोई जीना हुआ।। हम वह मिले तो-----------------।। बेच दिया इसने ईमान अपना। मार दिया इसने इंसान अपना।। छोड़ दिया है करना शर्म भी। भूल गया यह भगवान अपना।। लूट रहा है मुफ़लिसों को। हाय ! यह भी कोई इंसान हुआ।। हम वह मिले तो-----------------।। हमसे मिलन भूल गया वह कल का। हमसे वादा भूल गया वह कल का।। झूठा है उसका प्यार और रिश्ता। हमसे प्यार भूल गया वह कल का।। उसके लिए अजनबी है अब हम। हाय ! यह भी कोई साथी हुआ।। हम वह मिले तो------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीत