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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हाइकु थोडी खुशियाँ उनको भी दें हम आज त्यौहार , थोडा गुलाल जाके हम लगाए और प्यार दें, बच्चों को टाफी बड़ों को उपहार परिवार है वो भी अपने निर्धन तो क्या हुआ भेद मिटाएँ संग हमारे सुख दुख साथी वो गले लगाएँ ०५/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हाइकु थोडी खुशियाँ उनको भी दें हम आज त्यौहार , थोडा गुलाल जाके हम लगाए
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कल तक जो गौरैया घर में , उड़ती रहती चूँ चूँ करती । दर्पण में मुख देख-देख कर चोंच मार कर चूँ चूँ करती ।। कल तक जो गौरैया घर में.... संग हमारे थाली से वह दाना जो चुगती रहती थी । ले जाकर अपने बच्चों को वह सुनों खिलाती रहती थी ।। कल तक जो गौरैया घर में .... हिल मिल कर सबसे रहती थी सिर काँधें बैठा करती थी । छप्पर-छप्पर उडती रहती जाने क्या-क्या वह कहती थी कल तक जो गौरैया घर में ... संग सदा ही आँगन में वह वह निशिदिन खेला करती थी । टाफी बिस्कुट साथ हमारे वह कल भी खाया करती थी कल तक जो गौरैया घर में .... २१/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कल तक जो गौरैया घर में , उड़ती रहती चूँ चूँ करती । दर्पण में मुख देख-देख कर चोंच मार कर चूँ चूँ करती ।। कल तक जो गौरैया घर में.... संग हमार
Sabreen Nizam😊
बचपन की गुजरी हमें हर बात याद है, वो कागज की कस्ति और बरसात याद है।. दादी के पास बैठ कर जो सुनते थे हम सब, वो लम्बी लम्बी कहानी और छोटी रात याद है।.. {Sabreen Nijam} Read in Caption.... बचपन की बातें ......😁😁😍😍 #बचपन#बालदिवस#nojoto#'बचपन की गुजरी हुई हमें हर बात याद है, वो कागज की कस्ति और बरसात याद है।... दादी के पास बैठ
VATSA
चिल्लरों की गठरी, सूती के कपड़े में समेटे कुछ साड़ी के पल्लू की गांठ में लपेटे हर रोज़ मुझे चार आने देती थी टाफी खाने को कुछ कुछ बोझ से लगते हैं बदलते नहीं है मेरी आजी के दिए पैसे अब चलते नहीं है Full poem 👇 caption #आजी #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindipoem #हिंदी_कविता चिल्लरों की गठरी, सूती के कपड़े में समेटे कुछ साड़ी के पल्लू की गांठ में लपेटे
Ravendra
Sunil kumar whatsaap 07348424298
मेरी मोहब्बत का पहला ऐहसास ! क्या बताये दोस्तो इश्क करने की सजा किस कदर पा रहा हू , ज़िसे सोचा था ज़िन्दगी भर सीने से लगा के रखने का, उसे ही