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Rajeswari Rath
आहार तीन(3) प्रकार के होते है-सात्विक,राजसिक और तामसिक ।आहार से ही आचरण और प्रवृत्ति को आकार मिलता है। आहार
आहार
read moreSaurav Dangi
जो हम खाते हैं, वह हम, बन जाता है, ज्यादा खाते हैं, तो हम वह,बन जाते हैं.. इसीलिए जितना हो सके निर्धारित कर निरंतर,हल्का,सुपाच्य और सात्विक आहार ही ग्रहण करें... saurabh #आहार
Âñmôĺ Jâiñ
आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! देवों ने हीरे मोती पुष्प बरसाएं, मानव ने जयकारे लगाए, जय हो आदि रटते-रटते, राजा श्रेयांश में आहार कराएं!, चिड़िया चहक ने लगी, प्रभु की भक्ति में बहक ने लगी! आकाश में दिव्य ध्वनियां बजी, पूरी सृष्टि महक ने लगी!! अक्षय तृतीय का पावन दिन बन गया, जब प्रभु ने एक वर्ष बाद आहार किए! धन्य धन्य है वो राजा, जिसने पहली बार भगवान को आहार दिए!! आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! -अनमोल जैन !!अक्षय तृतीय की अनेकानेक शुभकामनाएं!! !! हो गये आहार!!
!! हो गये आहार!!
read moreEk villain
आहार मनुष्य के विचारों को भी प्रभावित करता है आहार की शुद्धता मानसिक सुधीरता की प्रेषक है अर्थव्यवस्था यह कहा गया है कि जैसे आहार होगा वैसा ही विचार होगा और जैसे विचार बनेगा यह व्यवहार में उतर जाएगा आधार तुम्हारा व्यवहार कहीं ना कहीं हमारे आर से भी संबंध रखता है हम यदि मादक पदार्थ का सेवन करेंगे तो हमारा व्यवहार अपनी सुचिता होने लगेगा शुद्ध सात्विक आहार हमारे भीतर सातवीं गुना का विकास करता है इसके विपरीत तामसिक आहार उत्तेजना और क्रोध आदि अवगुणों को पोषण देता है ©Ek villain आहार की शुद्धता
आहार की शुद्धता #Society
read moremanoj kumar jha"Manu"
राजस आहार कड़वे, खट्टे, नमकयुक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, जलन उत्पन्न करने वाले और दुःख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात भोजन करने के पदार्थ राजस व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। - श्रीमद्भगवद्गीता अ०१७/९ #गीता_ज्ञान राजस आहार
#गीता_ज्ञान राजस आहार
read moreEk villain
जब हम जीवन यात्रा को संतुलित आहार देकर तभी हमारे जीवन में ना संप्रदायिकता होगी ना ही मैं तो नगर छावनी ना अमीर गरीब का भेद हो गाना ऊंच नीच का हो गाना गला कट प्रतिशत होगी ना अंधविश्वास होगा और ना ही अर्थ सुनने परंपराओं में क्यों ना हम जीवन को इस क्रम को जारी रखते हुए ऐसे जीवन की कल्पना को साकार करें अध्यात्मिक के क्षेत्र में अकेले जीने की बात आत्मविश्वास का एक सार्थक पर्यटन है क्योंकि वह सौदा आध्यात्मिक चिंतन रहता है व्यक्ति अकेले जन्नत है और अकेले मरता है जहां कोई अपना पराया नहीं है सुख-दुख भी स्वयं द्वारा कृत कर्म का फल है हम असंतुलित जीवन दर्शन को सामान रखकर जीवन को अधिक सार्थक बना सकते हैं ऐसा ही सोच को विकसित करते हुए हम एक नए जीवन की यात्रा कर उठे चले नई पदचिन्ह बनाते हुए जीवन के सार्थक मुकाम तक पहुंचे मैं जो कहता सत्य वही है तू जो कहता सत नहीं है आग्रह की इस वृद्धि को हम छोड़े भगवान महावीर का एकांत दर्शन हमारे जीवन का भी दर्शन हो हम सब आगरा और हम को हल्का कर कर रहे यात्रा करेंगे तभी जीवन अधिक सुखद और सार्थक होगा हमारी जीवन यात्रा को सार्थक बनाने के लिए जरूरी है प्रतिस्पर्धा की होड़ में ना दौड़े स्वयं को फूलों को ईमानदार से स्वीकार करें उतावले पन में गुणवत्ता को ना घटाएं समस्याओं से घबराएं नहीं समाधान खोजने में शक्ति लगाएं हर व्यक्ति नया सोच नहीं ©Ek villain #संतुलित जीवन यात्रा #promiseday
#संतुलित जीवन यात्रा #promiseday #Society
read moreAnamika
कहीं भूल न जाऊं, बातों का अपनापन एक pdf बनाकर रख ही लूं क्या? #pdf #अपनापन #tulikagarg