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ranjit Kumar rathour
पहले तू लिख तो सही यहाँ वहां और भी कही की लिख तो सही जरूरी नही की कोई कविता बन ही जाएगी लिख न कुछ कहानी ही सही खुद को टटोल नजर आस पास दौड़ा तो सही फिर शब्दो का काफिला बनते देर नही लगेगी मगर शब्दो की कारीगरी में मन लगा तो सही जो लग गयी ये बीमारी तो छूटेगा नही बस अंदर के जज़्बातों शब्दो मे पिरोना कविता बन कागज में उतर जाएगी और बन जायेगा एक कविता मेरी तुम्हारी उनकी और भी किसीकी है बस लिखने की बीमारी लग जाये ©ranjit Kumar rathour कविता दिवस # लिखना कविता
कवि प्रभात
नहीं आये कविताई,कवितायेँ मगर लिखता सृजन हो चाहे जैसा भी, कोशिश मैं यही करता जतन करते कई साहित्य में, दमके सितारों से यही चाहत इसी कोशिश, के पीछे सदा रहता ©प्रभात शर्मा कविता दिवस #WorldPoetryDay
R.J...Laik Ahmed
कलम उठाकर ख़ुआब लिखता हुआ, भीड़ भरी महफिल में छोटी बात लिखता हूं...! ©Laik Ahmed कविता दिवस ... #NAPOWRIMO
Brandavan Bairagi "krishna"
विश्व कविता दिवस 21 मार्च, के अवसर पर सभी साहित्य साधकों को हार्दिक बधाई शुभकामनाएं। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" विश्व कविता दिवस
Trilokinath Sharma
World Poetry Day 21 March बहुत कुछ समाया हुआ है मेरी कविताओं में मैने अपना दर्द छिपाया है अपनी कविताओं में वैसे तो वो मेरे पास पास बैठती नहीं है पर नजदीक भी आयी है मेरी कविताओं में लोगो के लिए वो आम खास इंसान जैसी है पर मैंने उसे रब बनाया है अपनी कविताओं में वैसे तो मैं ज़िन्दगी में जुदाई का ग़म झेल रहा हूं पर मैंने जश्न मनाया है अपनी कविताओं में सपने भी मेरे है गहरी रात जैसे पर मैंने चढ़ता हुआ सूरज दिखाया है अपनी कविताओं में वैसे तो उसने चिट्ठी पत्र भेजा नहीं पर उसका कई बार खत आया है मेरी कविताओं में।। ✍️त्रिलोकीनाथ विश्व कविता दिवस।
Amresh Kumar Singh
हिंदी की अभिलाषा' हिंदी थी वह जो लोगो के ह्रदयों में उमंग भरा करती थी, हिंदी थी वह भाषा जो लोगो के दिलों मे बसा करती थी| हिंदी को ना जाने क्या हुआ रहने लगी हैरान परेशान, पूछा तो कहती है अब कहां है मेरा पहले सा सम्मान| मैं तो थी लोगो की भाषा, मैं तो थी क्रांति की परिभाषा, मैं थी विचार-संचार का साधन मैं थी लोगो की अभिलाषा मुझको देख अपनी दुर्दशा आज होती है बड़ी निराशा, सुन यह दुर्दशा व्यथा हिंदी की ह्रदय में हुआ बड़ा आघात, बात तो सच है वास्तव में हिंदी के साथ हुआ बड़ा पक्षपात| हिंदी जो थी जन-जन की भाषा और क्रांति की परिभाषा, वह हिंदी कहती है लौटा दो उसका सम्मान यही हैं उसकी अभिलाषा| अपने ही देश में हिंदी दिवस को तुम बस एक दिन ना बनाओ, मैं तो कहता हुं हिंदी दिवस का यह त्योहार तुम रोज मनाओ आओ मिलकर प्रण ले हम सब करेंगे हिंदी का सम्मान, पूरी करेंगे हिंदी की अभिलाषा देंगे उसे दिलों में विशेष स्थान| हिंदी दिवस कविता
गुड़िया तिवारी
Autumn विश्व कविता दिवस कविता गीत है संगीत है कवि की है साधना। कविता कवि का स्वर है कविता कवि की आराधना। भावों का एहसास है कविता शब्दों की है संरचना विचारों का विन्यास है कविता और कवि की कल्पना। कविता कवि की रचना पद्य की है अल्पना। कविता कवि की नजरों से अनदेखी पहलुओं की परिकल्पना। कविता प्रकृति का अनुराग है। कविता कवि को मां वरदा का वरदान है। कविता रंग है कविता तरंग है। कविता कवि के जीवन में सत्संग है। ✍️गुडिया तिवारी ©गुड़िया तिवारी #autumn #कविता दिवस
Rajendra Kumar Ratnesh
#कविता मन की शांति में लिप्त होकर, शब्दों को समेटे, धो- धोकर। करते जागृत,खंडित जहां मानवता है। हो अलंकार ऐसी, वह कविता है। - राजेन्द्र कुमार मंडल सुपौल ( बिहार) ©Rajendra Kumar Ratnesh #विश्व कविता दिवस #WorldPoetryDay