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Krish Vj

Dedicating a #testimonial to Vishaal Shashwat... जन्म दिन की बधाई हो 💐💐💐💐🎈🎈भाई उन्नत भाल पर सजे यह प्रसन्न्ता का तिलक सदा विराजे माँ श

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दुलारे हो, आँखों के प्यारे हो
खोजते रह गए हम कान्हा को
कहती दुनिया कान्हा तो बस
विशाल के शब्दों के नजारों मेें!!

शब्द सागर को क्या? हम छोटा
अपना शब्द पात्र दिखाए...
दीपक की ज्योति को कैसे?
प्रेम की पराकाष्ठा सिखाए!!

नील कमल की सेज पर विराजे
माधव मदन मुरारी!!!
धरा यहाँ विराजे 
"विशाल" नर तन धारी!!

अवतरण दिवस की बधाई हो
भाई 😊😊🎈🎈🎈🎈🎈

उन्नत भाल पर सजे यह  प्रसन्न्ता का तिलक सदा 
विराजे माँ  शारदे  लेखन मेें मिले  सफ़लता अपार 
ग़म की धूप  ना हो  कभी  खुशी की  छांव हो सदा 
मर्यादा भान रहें, कीर्ति कलश शिखर आरूढ़ सदा  Dedicating a #testimonial to Vishaal Shashwat...

जन्म दिन की बधाई हो 💐💐💐💐🎈🎈भाई 

उन्नत भाल पर सजे यह  प्रसन्न्ता का तिलक सदा 
विराजे माँ  श

Shailesh Hindlekar

पुलाखालचा ( फ्लाय ओव्हर खालचा) रस्ता.. परवा करिरोडला गेलो होतो, पूर्वी भारतमाता समोरून भरधाव वाहणाऱ्या जुन्या रस्त्यावर आता फ्लाय ओव्हर आरूढ #poem

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 पुलाखालचा ( फ्लाय ओव्हर खालचा) रस्ता..
परवा करिरोडला गेलो होतो, पूर्वी भारतमाता समोरून भरधाव वाहणाऱ्या जुन्या रस्त्यावर आता फ्लाय ओव्हर आरूढ

CM Chaitanyaa

" उद्धव-गोपी संवाद " मथुरा जाकर श्रीकृष्ण को ब्रजवासिन की सुधि आई, बिलख कर कहे उद्धव से यह संदेशा ले जाओ भाई। तब ज्ञानोपदेश करने को #Krishna #yqbaba #yqdidi #yqhindi #sadquotes #yqpoetry #उद्धव_गोपी_संवाद

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"उद्धव-गोपी संवाद" " उद्धव-गोपी संवाद "

मथुरा जाकर श्रीकृष्ण को
ब्रजवासिन की सुधि आई, 
बिलख कर कहे उद्धव से
यह संदेशा ले जाओ भाई।

तब ज्ञानोपदेश करने को

Aprasil mishra

********************** तुम कज्जल गिरि के शिखरों पर कर्तव्यमार्गी राही हो, तुम विकट निमन्त्रण के पथ पर एकान्तप्रिय अग्राही हो। तुम दूषित और #Freedom #lifelessons #yqhindi #yqquotes #achievement #Distraction #goalsoflife #हरिगोविन्दविचारश्रृंखला

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हम डरे स्वयं गोविन्द यहाँ दुर्गम राहों में हो निराश,
पर स्वयं प्रेरणा बनकर हम पत्थर को भी  लेते तराश।
क्या बाधा हमें डरायेगी क्या अन्य कोई पथ रोकेगा,
संभव ही नहीं है दुनिया में हम स्वयं तमस में हैं प्रकाश।।

            अनुशीर्षक उपस्थित है.......... **********************
तुम कज्जल गिरि के शिखरों पर कर्तव्यमार्गी राही हो,
तुम विकट निमन्त्रण के पथ पर एकान्तप्रिय अग्राही हो। 
तुम दूषित और

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 10 राक्षसियाँ सीताजी को डराने लगती है भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद। सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद ॥10॥ उधर #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 10
राक्षसियाँ सीताजी को डराने लगती है
भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद।
सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद ॥10॥
उधर तो रावण अपने भवन के भीतर गया-इधर वे नीच राक्षसियों के झुंड के झुंड अनेक प्रकार के रूप धारण कर के सीताजी को भय दिखाने लगे॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

त्रिजटा का स्वप्न
रामचन्द्रजी के चरनों की भक्त, निपुण और विवेकवती त्रिजटा

त्रिजटा नाम राच्छसी एका।
राम चरन रति निपुन बिबेका॥
सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना।
सीतहि सेइ करहु हित अपना॥
उनमें एक त्रिजटा नाम की राक्षसी थी।
वह रामचन्द्रजी के चरनों की परम भक्त और बड़ी निपुण और विवेकवती थी- उसने सब राक्षसियों को अपने पास बुलाकर,जो उसको सपना आया था, वह सबको सुनायाऔर उनसे कहा की –हम सबको सीताजी की सेवा करके
अपना हित कर लेना चाहिए(सीताजी की सेवा करके अपना कल्याण कर लो)॥

त्रिजटा अन्य राक्षसियों को स्वप्न के बारे में बताती है
सपनें बानर लंका जारी।
जातुधान सेना सब मारी॥
खर आरूढ़ नगन दससीसा।
मुंडित सिर खंडित भुज बीसा॥

क्योकि मैंने सपने में ऐसा देखा है कि एक वानर ने लंकापुरी को जला कर
राक्षसों की सारी सेना को मार डाला और रावण गधे पर सवार है,वह भी कैसा की नग्न शरीर,सिर मुंडा हुआ और बीस भुजायें टूटी हुई॥

स्वप्न में रामचन्द्रजी की लंका पर विजय
एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई।
लंका मनहुँ बिभीषन पाई॥
नगर फिरी रघुबीर दोहाई।
तब प्रभु सीता बोलि पठाई॥
इस प्रकार से वह दक्षिण (यमपुरी की) दिशा को जा रहा है और मैंने सपने में यह भी देखा है कि मानो लंका का राज विभिषण को मिल गया है और नगर मे रामचन्द्रजी की दुहाई फिर गयी है-तब रामचन्द्रजी ने सीता को बुलाने के लिए बुलावा भेजा है॥

स्वप्न सुनकर राक्षसियाँ डर जाती है
यह सपना मैं कहउँ पुकारी।
होइहि सत्य गएँ दिन चारी॥
तासु बचन सुनि ते सब डरीं।
जनकसुता के चरनन्हि परीं॥
त्रिजटा कहती है की मै आपसे यह बात खूब सोच कर कहती हूँ की यह स्वप्न चार दिन बितने के बाद (कुछ ही दिनों बाद) सत्य हो जाएगा॥त्रिजटा के ये वचन सुनकर सब राक्षसियाँ डर गई।
और डर के मारे सब सीताजीके चरणों में गिर पड़ी॥

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 419  से 430 नाम
419 परमेष्ठी हृदयाकाश के भीतर परम महिमा में स्थित रहने के स्वभाव वाले
420 परिग्रहः भक्तों के अर्पण किये जाने वाले पुष्पादि को ग्रहण करने वाले
421 उग्रः जिनके भय से सूर्य भी निकलता है
422 संवत्सरः जिनमे सब भूत बसते हैं
423 दक्षः जो सब कार्य बड़ी शीघ्रता से करते हैं
424 विश्रामः मोक्ष देने वाले हैं
425 विश्वदक्षिणः जो समस्त कार्यों में कुशल हैं
426 विस्तारः जिनमे समस्त लोक विस्तार पाते हैं
427 स्थावरस्स्थाणुः स्थावर और स्थाणु हैं
428 प्रमाणम् संवितस्वरूप
429 बीजमव्ययम् बिना अन्यथाभाव के ही संसार के कारण हैं
430 अर्थः सबसे प्रार्थना किये जाने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 10
राक्षसियाँ सीताजी को डराने लगती है
भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद।
सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद ॥10॥
उधर

vishnu thore

चांदणे शब्दातले उजळे सहज ज्यांचे स्मरण आग ह्रदयातील शब्दा पोळते ज्यांचे स्मरण.. अमरावतीतील कर्‍हाडे ब्राह्मणांचं एक सुखवस्तू घराणं

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 चांदणे शब्दातले उजळे सहज ज्यांचे स्मरण 
आग ह्रदयातील शब्दा पोळते ज्यांचे स्मरण..

        अमरावतीतील कर्‍हाडे ब्राह्मणांचं एक सुखवस्तू घराणं
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