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RJ कैलास नाईक

#मैत्रीण का प्रियसी,मित्र का सखा अनेक वेळा प्रश्न पडतात मनाला कधी बेधुंद जगणं कधी हळवं वागणं गुंते मनातले सांगणार तरी कुणाला? हवाहवासा तो स

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मैत्रीण का प्रियसी,मित्र का सखा
अनेक वेळा प्रश्न पडतात मनाला
कधी बेधुंद जगणं कधी हळवं वागणं
गुंते मनातले सांगणार तरी कुणाला?

हवाहवासा तो सहवास क्षणांचा विरह
कधी व्यक्त कधी अव्यक्त पणे फुलतं नातं
प्रेम म्हणजे तरी वेगळं काय असतं
सर्वस्व देऊन व्हायचं असतं ना रितं?

विधीलिखित भावबंध जुळताना नसते तमा
कधी येते उधान भावनांना भरतीची लाट
सुखद क्षण आठवून त्यातूनच तर 
 काढावी लागते ना सुखद पळवाट ?
              RJ कैलास #मैत्रीण का प्रियसी,मित्र का सखा
अनेक वेळा प्रश्न पडतात मनाला
कधी बेधुंद जगणं कधी हळवं वागणं
गुंते मनातले सांगणार तरी कुणाला?

हवाहवासा तो स

satish bharatwasi

तुला पैल्यांदा बघीतलं... लिंब नेसल्यालं , हिरव्या लुगड्यातलं.. गव्हाळ रुप ..! स्वच्छ अंघोळ केलेली तु केस ओले ते फक्त समोरचेच...., पाठीवरच्य #nojotophoto

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 तुला पैल्यांदा बघीतलं...
लिंब नेसल्यालं ,
हिरव्या लुगड्यातलं.. गव्हाळ रुप ..!

स्वच्छ अंघोळ केलेली तु
केस ओले ते फक्त समोरचेच....,
पाठीवरच्य

pravin jagdhane

Cute love... . ती : तू माझ्याशी भांडत नको जाऊ बरं . तो : तेवढं सोडून बोल.. मी तर भांडणार... . ती : "किती नालायक आहेस..!" काय मिळतं तुला माझ् #nojotophoto #संगीत

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 Cute love...
.
ती : तू माझ्याशी भांडत नको जाऊ बरं
.
तो : तेवढं सोडून बोल.. मी तर भांडणार...
.
ती : "किती नालायक आहेस..!"
काय मिळतं तुला माझ्

क.वि

माणुसकी च्या कष्टानं दगड वाटची पायपीट करताना पायाच्या टाचच्या खाचा जवा भळाभळ लाल सुर्ख रक्त गाळत होत तवा ध्यान गेल नाही का रं का अजून डोक फो

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अस्थी शेवटचा अर्थ माणुसकी च्या कष्टानं दगड वाटची पायपीट करताना पायाच्या टाचच्या खाचा जवा भळाभळ लाल सुर्ख रक्त गाळत होत तवा ध्यान गेल नाही का रं का अजून डोक फो

Vikas Sharma Shivaaya'

सूर्य शाबर मंत्र:- ll ओम गुरूजी दीत दीत महादीत.दूत सिमरू दसो द्वार.घट मे राखे घेघट पार तो गुरू पावूं दीतवार.दीतवार कश्यप गोत्र,रक्त वर्ण जाप #समाज

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सूर्य शाबर मंत्र:-
ll ओम गुरूजी दीत दीत महादीत.दूत सिमरू दसो द्वार.घट मे राखे घेघट पार
तो गुरू पावूं दीतवार.दीतवार कश्यप
गोत्र,रक्त वर्ण जाप सात हजार कलिंग देश मध्य स्थान वर्तुलाकार मंडल १२ अंगुल सिंह राशि के गुरू को नमस्कार.सत फिरे
तो वाचा फिरे,पीन फूल वासना सिंहासन
धरे, तो इतरो काम दीतवार जी महाराज
करेओम फट् स्वाहा

भैरव शाबर मन्त्र
“ॐ रिं रिक्तिमा भैरो दर्शय स्वाहा । ॐ क्रं क्रं-काल प्रकटय प्रकटय स्वाहा । रिं रिक्तिमा भैरऊ रक्त जहां दर्शे । वर्षे रक्त घटा आदि शक्ति । सत मन्त्र-मन्त्र-तंत्र सिद्धि परायणा रह-रह । रूद्र, रह-रह, विष्णु रह-रह, ब्रह्म रह-रह । बेताल रह-रह, कंकाल रह-रह, रं रण-रण रिक्तिमा सब भक्षण हुँ, फुरो मन्त्र । महेश वाचा की आज्ञा फट कंकाल माई को आज्ञा । ॐ हुं चौहरिया वीर-पाह्ये, शत्रु ताह्ये भक्ष्य मैदि आतू चुरि फारि तो क्रोधाश भैरव फारि तोरि डारे । फुरो मन्त्र, कंकाल चण्डी का आज्ञा । रिं रिक्तिमा संहार कर्म कर्ता महा संहार पुत्र । ‘अमुंक’ गृहण-गृहण, मक्ष-भक्ष हूं । मोहिनी-मोहिनी बोलसि, माई मोहिनी । मेरे चउआन के डारनु माई । मोहुँ सगरों गाउ । राजा मोहु, प्रजा मोहु, मोहु मन्द गहिरा । मोहिनी चाहिनी चाहि, माथ नवइ । पाहि सिद्ध गुरु के वन्द पाइ जस दे कालि का माई ॥”

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 188 से 198 नाम 
 188 गोविदां-पतिः गौ (वाणी) पति
189 मरीचिः तेजस्वियों के परम तेज
190 दमनः राक्षसों का दमन करने वाले
191 हंसः संसार भय को नष्ट करने वाले
192 सुपर्णः धर्म और अधर्मरूप सुन्दर पंखों वाले
193 भुजगोत्तमः भुजाओं से चलने वालों में उत्तम
194 हिरण्यनाभः हिरण्य (स्वर्ण) के समान नाभि वाले
195 सुतपाः सुन्दर तप करने वाले
196 पद्मनाभः पद्म के समान सुन्दर नाभि वाले
197 प्रजापतिः प्रजाओं के पिता
198 अमृत्युः जिसकी मृत्यु न हो

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' सूर्य शाबर मंत्र:-
ll ओम गुरूजी दीत दीत महादीत.दूत सिमरू दसो द्वार.घट मे राखे घेघट पार
तो गुरू पावूं दीतवार.दीतवार कश्यप
गोत्र,रक्त वर्ण जाप

Vikas Sharma Shivaaya'

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मानव_शरीर_में_सप्तचक्रों_का_प्रभाव 1. #मूलाधारचक्र : 👇 यह शरीर #जानकारी #स्वाधिष्ठानचक्र #मणिपुरचक्र #अनाहतचक्र #विशुद्धचक्र #आज्ञाचक्र #सहस्रारचक्र

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✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

मानव_शरीर_में_सप्तचक्रों_का_प्रभाव

1. #मूलाधारचक्र : 👇
यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है। 

मंत्र : लं 

🧘चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना। 

प्रभाव :  इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।

2. #स्वाधिष्ठानचक्र- 👇

यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी। यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे।

मंत्र : वं

🧘कैसे जाग्रत करें : जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं। मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है। फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है। नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते। 

प्रभाव : इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश

होता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हों तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएंगी।

3. #मणिपुरचक्र : 👇

नाभि के मूल में स्थित यह शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो 10 कमल पंखुरियों से युक्त है। जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है उसे काम करने की धुन-सी रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं।

मंत्र : रं

🧘कैसे जाग्रत करें : आपके कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएंगे। पेट से श्वास लें।
प्रभाव : इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आत्मवान होना जरूरी है। आत्मवान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है कि आप शरीर नहीं, आत्मा हैं।

आत्मशक्ति, आत्मबल और आत्मसम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं।

4. #अनाहतचक्र-👇

हृदयस्थल में स्थित द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर क्षण आप कुछ न कुछ नया रचने की सोचते हैं। आप चित्रकार, कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं।

मंत्र : यं

🧘 कैसे जाग्रत करें : हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।

प्रभाव : इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत हितैषी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्वप्रिय बन जाता है।

5. #विशुद्धचक्र- 👇

कंठ में सरस्वती का स्थान है, जहां विशुद्ध चक्र है और जो 16 पंखुरियों वाला है। सामान्य तौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे।

मंत्र : हं 

🧘कैसे जाग्रत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।

प्रभाव : इसके जाग्रत होने कर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।

6. #आज्ञाचक्र :👇

भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भृकुटी में) में आज्ञा चक्र है। सामान्यतौर पर जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है तो ऐसा व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद मौन रहता है। इसे बौद्धिक सिद्धि कहते हैं।

मंत्र : उ 

🧘कैसे जाग्रत करें : भृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।

प्रभाव : यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं। इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से ये सभी शक्तियां जाग पड़ती हैं और व्यक्ति सिद्धपुरुष बन जाता है।

7. #सहस्रारचक्र :👇

सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां चोटी रखते हैं। यदि व्यक्ति यम, नियम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है।

मंत्र : ॐ

🧘कैसे जाग्रत करें :  मूलाधार से होते हुए ही सहस्रार तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करते रहने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है।

प्रभाव : शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है। यही मोक्ष का द्वार है..!!

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

मानव_शरीर_में_सप्तचक्रों_का_प्रभाव

1. #मूलाधारचक्र : 👇
यह शरीर

sandy

भरलेल्या आभाळातली एक सोनेरी कडा ! "काहीही करा डाॅक्टर ! पण माझ्या मुलाला आणि नव-याला वाचवा हो .... त्या दोघांशीवाय माझं काहीच नाहीये " म्ह #story #nojotophoto

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 भरलेल्या आभाळातली एक सोनेरी कडा ! 
"काहीही करा डाॅक्टर !  पण माझ्या मुलाला आणि नव-याला वाचवा हो .... त्या दोघांशीवाय माझं काहीच नाहीये " म्ह
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