Find the Latest Status about एक दिन अचानक from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, एक दिन अचानक.
Hinduism sanatan dharma
शंकर लाल मेरे कोलेज के दिनों में छात्रों को कोई भी व्यक्ति परेशान करे तो मित्र तुम्हारा शंकर भाई है तो तुम्हें कोई भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है परंतु एक दिन शंकर भाई के साथ कुछ ऐसा हुआ कि इसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी और उसे कुछ लोग जबरदस्ती अपनी गाड़ी में पकड़ कर ले गए ठीक मेरे सामने की बात है मैंने बहुत कोशिश कि पर कुछ भी न कर सका मुझे बहुत अफसोस हुआ परन्तु एक दिन अचानक मैं किसी काम से मधुपुर गया तो एक ड्राइवर दिखा जो हु-ब-हु शंकर भाई कि तरह दिखाई देता था तो मैंने उसका पीछा और आगे चलकर गाडी रोकी एक चाय की दुकान पर जाकर बैठ गया इतने में मैं भी वहीं पहुंच गया तो मैंने कहा शंकर भाई कैसे हो और उसके मुंह से निकल गया ठीक हूं और मुझे देख कर सकपका गया और बोला कौन शंकर मैं शंकर नहीं हूं ©राधिका प्रेमी #और एक दिन अचानक वो Anshu writer अरुण शुक्ल अर्जुन Lakshmi singh Internet Jockey Sukoon Ki Baat
Rooh
सारी दुनिया बस जब जीतने की फिराक में रहती है.. सब अपना दिल-दिमाग़ दूसरों को हराने मे लगा रहे हैं.. इस जंग की दुनिया में भी मैं हार जाना चाहती हूँ मैं वो हार बनना चाहती हूँ जिस से जीत कर तुम्हारे होंठो पर मुस्कान आए मैं तुम्हारी कामयाबी की आख़िरी पायदान होना चाहती हूँ पुरानी कविता है... मुझे याद है एक दिन अचानक तुमसे बात करते हुए मैंने आख़िरी पंक्ति कही थी। आज यादों की गठरी से ये निकल आया..... देखो ना.. तु
Sanju Raj Sharma
Vivek
वो बारिश की रात (कहानी) ©Vivek सोनिया और उज्ज्वल की शादी को 2 महीने हुए थे पर दोनों के पास समय नहीं होता था या एक दूसरे की कमी देखते कुछ महीने यू ही निकले एक दिन अचानक मौस
Bhuwnesh Joshi
दावा तो यहां सभी करते हैं मगर मेरे लिए जो प्यार और फिक्र मैंने देखी वो सिर्फ उसकी नजरों में देखी और मेरे प्रति अपनी इस ममता के बदले उसे मुझसे कोई स्वार्थ भी नहीं था वह जब तक मेरे साथ रही नि:स्वार्थ भाव से उसने मेरी हर परवरिश की और फिर एक दिन अचानक... सब कुछ खत्म हो गया जिन आंखों में मैंने अपने प्रति प्यार देखा था वो आंखें एक दिन बंद हो गईं और फिर कभी ना खुलीं... वह एक देवी थी, जिसकी आराधना मैं उसके जीते जी कर ना सका परंतु भक्ति उसकी आज मेरे हृदय में सर्वोपरि है ♥माँ♥ दावा तो यहां सभी करते हैं मगर मेरे लिए जो प्यार और फिक्र मैंने देखी वो सिर्फ उसकी नजरों में देखी और मेरे प्रति अपनी इस ममता के बदले उसे मुझस
Sudeep Keshri✍️✍️
फुर्सत मिले कभी तो, सोचना जरूर... क्या वजह थी जो मेरे पास आई... मैं तो अपनी जिंदगी में खुश था न, सूरज चांद से बात कर लिया करता था। क्या वजह थी जो खूबसूरत एहसास जगाई... मैं तो खुद में ही खोया रहता था न, क्या वजह था जो तुझको मेरे में नौटंकी कम सच्चाई ज्यादा दिखी... मैं तो प्रैक्टिकल लाइफ जीता था न, फिर एक दिन अचानक... क्या वजह थी कि तूने मुझसे कहा... तुमने कभी मुझे सोना, बाबू, जानू क्यों नहीं बोला, मैं तो तुझे तेरे नाम से ही पुकारा करता था न, शायद किसी ने तुझे सोना, मोना, जबरदस्ती का ढोना बोला होगा। फुर्सत मिले कभी तो सोचना जरूर... क्या वजह थी जो मेरे पास आकर भी मेरी हो ना पाई। #सोचना जरूर क्या वजह थी जो मेरे पास आई मैं तो अपनी #जिंदगी में खुश था न सूरज चांद से बात कर लिया करता था। क्या वजह थी जो #खूबसूरत एहसास जगाई
...
वो प्यारे से दिन वो प्यारी सी रातें वो बचपन के मंजर वो यारों की बातें......... ( Jab bhi punishment milti thi ghar ya school dono jgh ) #Collab & share the #unforgettablechildhood moment from your life. #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba#childhoodmemories
saleem faridi
मौत की फिकर ना करता था गुनाह को गुनाह ना समझता था दिल चाहता था कि पढ़ो नमाज पर मस्जिद तक जिस्म ना ले जाता था दुनिया की रौनक में मग्न था वक्
©jnaths
कहानी का सिलसिला कुछ इस कदर शुरू हुआ , जब मै कुछ नव बरस का था कहानी में वो थी और मै,और मै उससे मिलने को बेताब सा, उससे मिलने की चाहत बरसों से थी पर , मा ने इजाजत नहीं दी फिर क्या, मैं बड़ा होता गया मेरी ललक बढ़ती गई , मा तो उसके साथ देख कर मुझसे यूं गुस्से से तमतमा उठती , पर मैंने एक दिन हिम्मत जुटा कर खुद मा से उसे पाने की चाहत बताई, फिर भी मा ने मना कर दिया मन तो था पर दोबारा पूछ ना पाया मा के सामने हिम्मत ख़त्म सी हो जाती थी , फिर एक दिन अचानक से अकेले यूं घूमने पड़ोसी के घर गया ,,, वहां वो भी थी मुझे देख के बढ़ी खुशी हुई ,, मैंने मा को ना पास पा कर ना अव देखा ना ताव,, मैंने उसको पा लिया ,अपने आप में समा लिया ।।। - मेरी चाय पर आज भी मा की बात याद आती चाय मत पिया कर गन्दी आदत है।।। ©jnaths #nojoto कहानी का सिलसिला कुछ इस कदर शुरू हुआ , जब मै कुछ नव बरस का था कहानी में वो थी और मै,और मै उससे मिलने को बेताब सा, उससे मिलने की चा
अज्ञात
पेज-14 कुछेक हास्यास्पद गुदगुदाती घटनाओं को कथाकार समयानुसार दिखाने सुनाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुये आपको सीधे जोड़ता है उस संयोग से जो मानक के परिवार और उसको दुलार देने वाली बहनों की दुआओं से प्रार्थनाओं से ईश्वर को विवश होकर निर्मित करना पड़ा.. एक तो रत्नाकर कालोनी में हर किसी को मानक की माँ की ख्वाहिश और उनकी फिक्र का इल्म हो चुका था, सो सभी अपने अपने स्तर से मानक के लिये सुयोग्य जीवनसाथी तलाशने में पूरी सिद्द्त से जुटे हुये थे.. इसी दौरान एक दिन अचानक.. दोपहर को एक सज्जन का राकेश कुमार के पास कॉल आया... पढ़िए ये वार्तालाप.. 📱-------------------------------------📱 Unknow- hello.... can I talk to mr. Rakesh kumar..? Rakesh - yes please.. speaking.. ! Unknow- ओह्ह.. ! जय सियाराम जी.. थैंक गॉड आपने फोन अटेंड कर लिया.. बहुत खुशी हुई आपसे बात हो रही है... ! राकेश-जी, श्रीमान आपने जय सियाराम कहा तो मुझे भी अपनत्व का भान हुआ.. कहिये जी मैं क्या सहायता कर सकता हूं आपकी.. ! आगे पेज-15 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज -14 कुछेक हास्यास्पद गुदगुदाती घटनाओं को कथाकार समयानुसार दिखाने सुनाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुये आपको सीधे जोड़