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Yogi Sonu
hanuman jayanti 2024 उपनिषद कहता है अपने आप को ब्रह्म जानो आत्मा और परमात्मा में अभेद संबंध स्थापित करो न्याय पूर्वक धन प्राप्त करो और चोरी मत करो इससे तुम्हारे अंत करण की शुद्धि होगी यह किसी परमात्मा के लिए नही अपनी अंतकरण की शुद्धि और अभयता के लिए सबसे सरल मार्ग है । #qotes ©Yogi Sonu उपनिषद कहता है अपने आप को ब्रह्म जानो आत्मा और परमात्मा में अभेद संबंध स्थापित करो न्याय पूर्वक धन प्राप्त करो और चोरी मत करो इससे तुम्हार
N S Yadav GoldMine
hanuman jayanti 2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} आत्मा प्रकति से पृथक सत्ता है, ये सब किसी के भी वस में नही है, यह केवल एक उस परमसत्ता भगवान श्री कृष्ण के नियंत्रण में है, नया, पुरानापन, उतपत्ति-लय, होकर भी न होना आदि, जगत का कार्य, यह हम सबको आस्तिक भाव दर्षाता हैं।। ©N S Yadav GoldMine #hanumanjayanti24 {Bolo Ji Radhey Radhey} आत्मा प्रकति से पृथक सत्ता है, ये सब किसी के भी वस में नही है, यह केवल एक उस परमसत्ता भगवान श्र
neelu
PФФJД ЦDΞSHI
White आत्मा एक चोला हैं शरीर मरते हैं आत्मा जिन्दा रहती हैं कोई भी जीव हो सब के साथ ऐसा होता हैं हम अगर किसी की आत्मा क़ो अपने स्वार्थ की वज़ह से जुदा करते हैं तो हम गहन पाप के अधिकारी हैं क्यो कि सभी क़ो अपने जीवन से प्यार होता हैं सब जीना चाहते हैं बस ये समझ लो कि आप अपराध बोध से गसित तब होगे जब आप की आत्मा खुद आप क़ो धिकारेगी गाली देगी कि ये तूने क्या किया,धरती पर आना जाना लगा रहेगा क्यो कि इसके proof हैं इस बात क़ो नकार नहीं सकते, सुखमय जीवन का यही सार, जीवन अपना रहे सुन्दर हर बार, शांत हो मन आत्मा हर बार..... ©PФФJД ЦDΞSHI #Atma #आत्मा #pujaudeshi
Ankit Singh
“ पशु आपकी आत्मा के लिए एक खिड़की और आपके आध्यात्मिक भाग्य का द्वार हैं। यदि आप उन्हें अपने जीवन में आने देते हैं और उन्हें आपको सिखाने की अनुमति देते हैं, तो यह आपके लिए बेहतर होगा। ” ©Ankit Singh  पशु आपकी आत्मा के लिए एक खिड़की और आपके आध्यात्मिक भाग्य का द्वार हैं। यदि आप उन्हें अपने जीवन में आने देते हैं और उन्हें आपको सिखाने की
Mahadev Son
White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम, आराधना, चिंतन-ध्यान, आदि का पालन होता रहता है, वही धर्म है, वो ही पुण्य आत्मा है। भगवान श्री कृष्ण।। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्यायवाची नाम है।। ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य
AYUSH SINGH
तो खुद का प्रेम करोगे तो आपका हृदय और आत्मा सबसे उच्चतम स्तर होगी। ©AYUSH KUMAR तो खुद का प्रेम करोगे तो आपका हृदय और आत्मा सबसे उच्चतम स्तर होगी। #Shayar #shayaari #Hindi
Mahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से "मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल "मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस "तन" को ...! ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग