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Ganesh joshi
White साक्षरा विपरीताश्र्चेत् राक्षसा एव केवलम् । अर्थ : साक्षर अगर विपरीत बने तो राक्षस बनता है । ©Ganesh joshi #hindi_poem_appreciation साक्षरा विपरीताश्र्चेत् राक्षसा एव केवलम् । अर्थ : साक्षर अगर विपरीत बने तो राक्षस बनता है ।
#hindi_poem_appreciation साक्षरा विपरीताश्र्चेत् राक्षसा एव केवलम् । अर्थ : साक्षर अगर विपरीत बने तो राक्षस बनता है । #Motivational
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं !! 🌠🌠 जय श्री राधे कृष्ण जी. देवी लक्ष्मी:- 🚤 प्रत्येक देवी और देवता का हिंदू धर्म में अपना ही एक अलग महत्व है, जो प्राचीन शास्त्रों में परिलक्षित है। वहीं हिंदुओं के लिए देवी लक्ष्मी धन, भाग्य, शक्ति, विलासिता, सौंदर्य, उर्वरता और शुभता की देवी हैं। लक्ष्मी शब्द संस्कृत के शब्द लक्ष्या से लिया गया है, और वह धन और सभी भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। लक्ष्मी को माँ दुर्गा की बेटी और विष्णु की पत्नी के रूप में जाना जाता है, जिनके साथ वह अपने प्रत्येक अवतार में अलग-अलग रूप धारण करती हैं। देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं। देवी लक्ष्मी का जन्म कथा:-🚤 देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी कुछ इस प्रकार है। दरअसल एक बार ऋषि दुर्वासा और भगवान इंद्र बैठकर बात कर रहे होते हैं। ऋषि दुर्वासा इंद्र को सम्मानित करने के लिए उन्हें पुष्पों की माला भेंट करते हैं। इंद्र उसे माला को अपने हाथी ऐरावत को पहना देते हैं लेकिन ऐरावत उस माला को पृथ्वी पर फेंक देता है। यह देखकर ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो जाते हैं, और देवराज को शाप देते हैं कि उनका राज्य बर्बाद हो जाएगा। ऋषि के श्राप की वजह से इंद्र की राजधानी अमरावती में लोग भूखे मरने लगते हैं, और वहां पेड़-पौधे भी उगना बंद हो जाते हैं। 🚤 जब अमरावती में अकाल पड़ जाता है, तब राक्षस देवताओं पर आक्रमण कर देते हैं, और उन्हें हरा देते हैं। पराजित होने के बाद देवता मदद के लिए भगवान हरि के जाते हैं, जो उन्हें समुद्र मंथन का सुझाव देते हैं, ताकि उससे निकले अमृत से देवता वापस से अपनी शक्तियों को पा सकें। इस तरह समुद्र मंथन शुरू होता है, और उससे ही देवी लक्ष्मी प्रकट होती हैं। वहीं कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महा लक्ष्मी सप्तर्षियों में से एक भृगु महर्षि की बेटी थीं। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के देवसखा, चिकलिता, आनंद, कर्दम, श्रीपदा, जटावेदा, अनुराग, संवत, विजया, वल्लभ, माडा, हर्ष, बाला, तेजा, दमका, सलिला, गुग्गुला, कुरुंतका नाम के 18 पुत्र हैं। देवी लक्ष्मी का स्वरूप:-🚤 देवी लक्ष्मी के चार हाथ जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले चार लक्ष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं - धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष। इसके अलावा देवी लक्ष्मी की कलाकृतियों और मूर्तियों में, सिक्कों का झरना धन का प्रतिनिधित्व करता है और हाथियों के झुंड को शाही शक्ति का प्रतिनिधित्व माना जाता है। साथ ही लाल रंग की साड़ी जो वह पहनती है वह निरंतर गतिविधि और सकारात्मक ऊर्जा के लिए है। 🚤 पौराणिक मान्यता है कि जब जब धरती पर भगवान विष्णु का अवतार हुआ तब तब मां लक्ष्मी ने उनकी सेवा करने के लिए धरती पर अवतार लिया। त्रेतायुग में सीता के रूप में और द्वापर युग में रुक्मिणी के रूप में अवतरित हुई थीं। 🚤 अष्टलक्ष्मी लक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं, जो धन के आठ स्रोतों में रहते हैं और इस प्रकार महालक्ष्मी की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दीपों के पर्व दीपावली पर हिंदू सबसे अधिक लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कोलकाता में देवी काली की पूजा दिवाली के दौरान महालक्ष्मी के रूप में की जाती है। लक्ष्मी अवतार और स्वरूप:-🚤 आदि लक्ष्मी - माँ लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं, 🚤 धन लक्ष्मी - वह जो धन की वर्षा करती हैं:- 🚤 धान्य लक्ष्मी - वह जो अन्न / अनाज की प्रचुरता देती हैं. 🚤 गज लक्ष्मी - शक्ति और साहस देने वाली हैं:- 🚤 संतान लक्ष्मी - वह संतान के साथ आशीर्वाद देती हैं. 🚤 वीरा लक्ष्मी - जो वीरता और साहस देती हैं. 🚤 विजया लक्ष्मी - सभी प्रकार के शत्रुओं पर विजय देती हैं,. 🚤 ऐश्वर्या लक्ष्मी - व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं देती हैं. 🚤 महा लक्ष्मी के 8 रूपों को सामूहिक रूप से अष्टलक्ष्मी के रूप में जाना जाता है। इन 8 रूपों के अलावा, देवी लक्ष्मी के भी स्वरुप में पूजा की जाती है। 🚤 विद्या लक्ष्मी - जो बुद्धि और ज्ञान देने वाली हैं. 🚤 सौभाग्य लक्ष्मी - वह जो सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. 🚤 राज्य लक्ष्मी - राज्य और संपत्ति देने वाली हैं. {Bolo Ji Radhey Radhey} 🚤 वर लक्ष्मी - जो वरदान देती हैं. 🚤 धैर्य लक्ष्मी - वह जो धैर्य प्रदान करती हैं. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय:-🚤 शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे अच्छा दिन है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के लिए कमल के फूल, चंदन, सुपारी और मेवे, फल और गुड़, चावल और नारियल से बनी विभिन्न मीठी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को ॐ महालक्ष्मी च विद्हे विष्णुपत्नींच धीमही । तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात ॥ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं !! 🌠🌠 जय श्
#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं !! 🌠🌠 जय श् #मोटिवेशनल
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} राक्षस होने की सबसे बड़ी व सबसे पहली निशानी, माँ बाप का सम्मान न करना, माँ बाप की अवहेलना करना, गवाह इतिहास भरा पड़ा है।। ©N S Yadav GoldMine #flowers {Bolo Ji Radhey Radhey} राक्षस होने की सबसे बड़ी व सबसे पहली निशानी, माँ बाप का सम्मान न करना, माँ बाप की अवहेलना करना, गवाह इति
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{Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है। 📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्