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Uma Shankar

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Uma Shankar

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Shahana Parveen

जिसको लाये थे पूरे समाज के सामने सजा संवार कर अपने घर
उसको ही एक दिन कर के बन्द कमरा आग से जला दिया 

यों तो कहा था कि ले ज रहे हैं बहू को बेटी बना कर 
पर बात जब दहेज़ की आई तो सब कुछ भुला दिया 

वो चीखती रही गिड़गिड़ाती रही सबको अपने अंदर  पनपती नन्हीं ज़िन्दगी की दुहाई दे कर
इंसान रूपी राक्षसों ने उसकी भी मौत की नींद सुला दिया  #दहेज़
#प्रथा
#आग
#मौत
#राक्षस
#social_evil
#stand_against_dowry
#take_a_step

Manish Kumar Savita

राक्षस इसलिए भी खुलकर उत्पात मचाते हैं
क्योंकि राम मर्यादा में रहकर तीर चलाते हैं।।
#Manish Kumar Savita #राक्षस

Poet Master

भूल #राक्षस रूप, हो चली #सुपर्णखा मोहित मानव आम पर, #लालसा जगी उसकी पुरुषोत्तम #राजा #राम पर। हो तुम परम् तेजस्वी #सुंदर #पुरुष इस भूलोक में, मैं अभिमानी #सर्वसुन्दरी इस त्रिलोक में। #कहानी #वीर #तीर #सजीला #दिव्यता

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भूल राक्षस रूप ,
हो चली सुपर्णखा मोहित मानव आम पर,

लालसा जगी उसकी पुरुषोत्तम राजा राम पर।

हो तुम परम् तेजस्वी सुंदर पुरुष इस भूलोक में,

मैं अभिमानी सर्वसुन्दरी इस त्रिलोक में।

ढूंढ आयी इस जगत में कोई सजीला, वीर सा,

हो जिसमे दिव्यता और जैसे धार तीर सा। भूल #राक्षस रूप, हो चली #सुपर्णखा मोहित मानव आम पर,

#लालसा जगी उसकी पुरुषोत्तम #राजा #राम पर।

हो तुम परम् तेजस्वी #सुंदर #पुरुष इस भूलोक में,

मैं अभिमानी #सर्वसुन्दरी इस त्रिलोक में।

Puneet Kashyap(PK)

क्या कमाल है - -🤔
एक सेब गिरा और
गुरुत्वाकर्षण का आविष्कार हो गया और
इधर इंसान रोज गिर रहा है ...पर  #
इंसानियत का पूर्ण आविष्कार अभी तनहींहुआ।।
#इंसान बस तू इतना काम कर अपने अंदर के #राक्षस,"अभिमान का,घृणा का, बुराई का" लोभ का,धर्मांधता का, जैसे भी हो #Dussehra

BinTu Galiyon

#GodMorningTuesday मांस आहारी मानवा, प्रत्यक्ष राक्षस जान। मुख देखो न तास का, वो फिरै चैरासी खान।। जो व्यक्ति माँस खाते हैं, वे तो स्पष्ट राक्षस हैं। उनका तो मुख भी नहीं देखना चाहिए यानि उनके साथ रहने से अन्य भी माँस खाने का आदी हो सकता है। इसलिए उनसे बचें। वह तो चैरासी लाख योनियों में भटकेगा। #instagramers #Food #Smile #followme Namita Writer Madhavi Choudhary Danvir Jaat Gagandeep Singh Darpana Singh #nojotophoto

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 #GodMorningTuesday मांस आहारी मानवा, प्रत्यक्ष राक्षस जान। मुख देखो न तास का, वो फिरै चैरासी खान।।

 जो व्यक्ति माँस खाते हैं, वे तो स्पष्ट राक्षस हैं। उनका तो मुख भी नहीं देखना चाहिए यानि उनके साथ रहने से अन्य भी माँस खाने का आदी हो सकता है। इसलिए उनसे बचें। वह तो चैरासी लाख योनियों में भटकेगा।
 #instagramers #food #smile  #followme  Namita Writer Madhavi Choudhary Danvir Jaat Gagandeep Singh Darpana Singh

आयुष पंचोली

जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं। #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #dashavtaar

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"दशावतार" जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि,
धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी ।
रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू,
गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं।
तब हरने को पीड़ा इनकी,
काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं।
तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश,
धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।

@ankita

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फिल्म देख देख कर सब पागल हो गये हैं
 प्यार ही खुदा हैं प्यार ही सब कुछ हैं 
का दर्जा देकर पूरे दिन अपने प्यार का ही नाम जापते हैं  और बाद में पता चलता हैं कि जिसे हम भगवान मान रहे थे वो राक्षस भी कहलाने लायक नहीं था राक्षस भी अगर सुनेगा तो वो भी कहेगा अरे यार मैं इतना भी बुरा नहीं

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 8 - असुर उपासक 'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
8 - असुर उपासक

'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह
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