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Manish Kumar
Divyanshu Pathak
इन चरणों में फूल चढ़ाएं दीप जलाएं आरती गाएं जब भी तेरे दर पर आएं हम मन वांछित फल पाएं मेरे स्वामी अंतर्यामी इतनी दया रखना शुभकारी शिव शंकर नमामि शंकर ! 💕😊 सृष्टि कल्याण के स्रोत भगवान शिव के विवाह दिवस #महाशिवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। 💕🌹🌺🌺🌹🌹🌹🌺🌺🌺 : हे शिव शंकर त्रिशूल धारी हम है
Jyotish Jha
माँ से शुरू माँ से ही अंत हो, मेरी जिंदिगी का हरएक पल माँ तेरे ही संग हो| #drjyotishwrites #bestmom मैं अब से कई वर्षों से उससे दूर हूं, लेकिन हर पल, हर तकलीफ में, हर अच्छे वक़्त में उसकी स्मरण करता हूँ, और मैं जब
satyarth vani
भूल बैठा सुध बुध सारी आंखों में तेरा नशा छाया रहा © satyarth vani सत्यार्थ वाणी
Unknown
जिसे हम तिरंगा कहते हैं वो तो चौरंगा है वास्तव में इतना बडा़ झूठ कहा किसने हमको यूं बरगलाया किसने ७५ सालों से गलत पढाया किसने इतिहास को विकृत बनाया जिसने केसरिया सफेद हरा रंग है तिरंगे का पर बीच में चक्र का रंग तो नीला है कुल चार रंगों का राष्ट्र ध्वज है अपना फिर तिरंगा कहना तो ठीक नहीं है या हम सब कलर ब्लाइंड हो गये हैं राष्ट्र ध्वज हमारी आन बान शान है उसके सारे रंग हम सबकी पहचान हैं फिर नीले रंग को हम क्यों भूल गये हैं अशोक चक्र का रंग क्यों याद नहीं है वस्तृत: राष्ट्र ध्वज के कुल चार रंग हैं जो केसरिया सफेद हरा संग नीला हैं यही यथार्थ है और यही पूर्ण सत्यार्थ है इन्ही चार रंगों में बसा भारत का भावार्थ है राष्ट्रध्वज का सत्यार्थ
Prakash Shukla
फैलेगा यश यदि कल्पनाओं को पंख लगे कुन्दित भावनाओं मे कवियों ने शान धरी शब्दों को रूप दिया कल्पना को साकार दिमाग ने कविता रची हृदय ने स्वीकार साहस ने बल दिया और मन ने इकरार धैर्य ने बाँधा समाँ हर इच्छा शिरोधार यदि कल्पना के पंख लगे विचारों ने उड़ान भरी दिल ने दस्तख़त किए आत्मा ने जान भरी प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम क्योंकि अपेक्षा रूपी तरकश मे स्वेक्षा रूपी बाण से नखरे रूपी धनुष का प्रयोग एक मँझे शिकारी के रूप मे करने वाली तुम और उपेक्षा रूपी पतेले मे चाकू रूपी आकाँक्षाओं की धार मे रहकर जल रूपी मीठी चासनी मे भीगकर शान्त रहने वाले शिकार हम अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम सबसे बड़ी बीमारी तुम उससे पड़े बीमार हम ओ जाल़िम अब तो कहर कम कर रहम कर क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी जुगाड़ी तुम सबसे बड़े जुगाड़ हम प्रकाश प्रकाश
Prakash Singh
क्या लिखूं जो आपसे प्यार हो जाए।। ताकि जब भी मिलू तो दीदार हो जाए।। प्रकाश##
Prakash Singh
एक बेटी जब ब्याह के उपरांत अपने पीया के घर जाती हैं..तो उस दरम्यान माँ और बेटी के बीच आँखो ही आँखो क्या बाते होतीं हैं ...ज़रा गौर फरमाइयेगा...दोस्तों....मेरी चंद पंक्तियाँ पे...... ब्याह हो जब बेटी पिया के घर चली... , अपनी ममता की छाव वो छोड़ चली.. माँ की ममता में पली... वो नन्ही सी कली... ब्याह हो अपनी पिया के घर चली... ये घर आँगन सब बेंरंग हो चली... . तू पिया के संग हो चली... . हाथों में तेरी मेंहदी हैं रची.... लाल जोड़े में तू हैं सजी.... ओ मेरी नन्ही सी कली... तू अपने पिया के घड़ी चली... . जब घड़ी आयी जुदायी की.. माँ की ममता विभोर हो चली... छलक के आँखो से आँसू... ग़मजदा हो चली.... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया की घर चली.... बिटिया जब माँ के गले लगी.... माँ की कलेजा बेजान हो चली.. सिसकीयां से मौसम ग़मगीन हो चली मेरी लाडो में पली... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया के घर चली... थमी क़दम आगे अब बढ़ती नहीं... बिटिया की... आँखो से आँसू रुकती नहीं..... बिटिया की.... माँ की ममता विभोर हो चली.. पालकी में बैठ.... बेटी अपने पिया के घर चली.... प्रकाश ##
Prakash Shukla
#OpenPoetry गैहान फलक दो जहान तलक इम्तेहान इश्क़ दो म्यान तलक तलवार धार है इश्क़ यार इबादते इश्क़ ईमान तलक तलवार इश्क़ इजहार इश्क़ इकरार इश़्क हाँ प्यार इश़्क खंजर खामोश इश्क़ बेरहम का जायज कुबूल नाकाम इश्क तासीर ताबिश़ इब्तिसाम तलक इश्क़ आक़िबत अहज़ान तलक इश्क़े खुर्शीद गुमनाम तलक इश्क़ मोहब्बत पशेमान तलक गैहान फलक दो जहान तलक......... प्रकाश प्रकाश