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Parasram Arora
अब न कोई यात्रा है न कोई तीरथ अब तो मैं ही अपना मंदिर हूँ. मैं स्वयं ही अपना तीर्थ भी मेरा प्रारम्भ ही मेरा अंत भी कदाचित जीवन का यथार्थ मैं समझ गया हूँ ©Parasram Arora जीवन का यथार्थ
Parasram Arora
Bharat Ratna संशय का दमघोटू धुआँ छाया हैँ वातायन पर तुम स्वछ स्वस्थ साँसे लोगे कैसे? और जब आँखे तुम्हरी जलने लगेगी धुए से तुम अस्तित्व का ये अघोर विस्तार देखोगे कैसे? तनिक देखो तो उस अजनबी को अपने दर्पण मे जो तुम्हारी बखिया उघाड़ने मे निरंतर व्यस्त हैं तुम उससे आँख अपनी मिलोगे कैसे? क्या होगा तुम्हारे उन अनुरागी सपनो का जो तुम्हे और आगे धकाने को ततपर हैँ किन्तु आचरण तुम्हारे उन्हें तुमसे दूर ले जाते हैँ खंड खंड चेहरे से तुम उस यथार्थ का सामना करोगे कैसे? यथार्थ का सामना?
Parasram Arora
ये अकेलापन कोई दोज़ख का अभिशाप नहीं है ये तो ज़न्नत का वरदान है ताकि तुम उससे जुड़ सको जो अब तक तुमसे जुड़ा नहीं था ये अकेलापन तुम्हारी ही प्रतिछाया है तुम्हारा ही प्रतिबिम्ब है जो तुम्हारे ही आईने से प्रकट होकर तुम्हारी ही समृद्दि की अभिवृद्धि है t अब देखलो तुम स्वयं को क़ि तुम कितने संयत अचंचल और सजग हो चुके हो और अपने ही तराज़ू . मे खुद को तोल पारहे हो जहाँ तुम दोनों पलड़ों मे यथार्थ. का वजन बराबरी पर देख पा रहे हो ©Parasram Arora #अकेलेपन का यथार्थ.......
Parasram Arora
अकेलेपन की गहन प्रतीती मे छुपी हुईं है मुक्ति यही है वो जगह जहाँ मिल सकती है हर पहेली को सुलझाने की युक्ति अकेलेपन का यथार्थ
Nandita Tanuja
बदलने वालों को कभी पुकारा नहीं मैंने... क्योंकि समय बदला तो समय की बात...ग़र अपने बदले तो ये समय का यथार्थ होता है..!! #,मेरी रुह@ ©Nandita Tanuja #dodil #समय का यथार्थ#
Sanjay Kumar Jha
जीवन का विस्तार शून्य से शुरू होता हैऔर समापन भी शून्य पर होता है। ©Sanjay Kumar Jha #HumptyKavya जीवन का यथार्थ
snigdha rudra
जीवन का यथार्थ यही है न समझो कुछ भी अपना है कुछ नही सब सपना है आज मिला जो कल खोएगा जीवन का यथार्थ यही है.... कल जीना है जीवन अपना हर रोज़ सोचे कल आएगा अपना नही आता वो कल फिर जीवन में बस इंतजार में रह जाए मनवा जीवन का बस सार यही है जीवन का यथार्थ यही है... ©snigdha rudra जीवन का यथार्थ यही है
Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope