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Shreyansh Gaurav
तु देख इस ज़िन्दगी क़े रंग बहुत अज़ीब ओ गरीब है ज़नाब इक़ रंग जैसे ही तुम्हें पसंद आयेगा, यें दूसरी बदल लेती है..! यें आज जो तेरे इर्द गिर्द भीड़ जमा है, चंद पलो की मेहमान है सब जरुरतमंद है, जरूरतें पूरी कर, देख यें कब चल देती है..! बहुत रंग है ज़माने क़े,अभी कोई इसको पहचान नहीं पाया है इक़ रंग चमकते दिखेगा,दूसरे पल ख़ुद को धूमिल कर लेती है.! इन रंगो का बदलाव ही ज़िन्दगी है,समझ पाये हो अब तलक इंसान भी मौकापरस्त है आज,इंसानियत कहाँ दिखायी देती है.! कितना अज़ीब अब मंज़र नज़र आ रहा है इस फ़िज़ा का भी रिश्ते सब छूट गये है, देखो लोंगो में आग ही आग लगा देती है..! क्या कहोगे तुम आज इस जहाँ को देखकर, क़िस रंग की है इक़ रंग तुमको दिखेगा, यह पहचान छोड़कर रंग बदल लेती है..! ज़माने में किसी क़े रंग को पहचानने का सलीका नहीं आया इंसान से गिरगिट अफसुर्दा है, यें क़िस रंग की दिखायी देती है..!! ©Shreyansh Gaurav #रंग #Thinking
Nurul Shabd
मैं फूल भी हूँ, और आग भी – मेरे करीब आने का हक सिर्फ उन्हें है, जो मेरी असलियत समझें। मुझे परखने वाले कई हैं, लेकिन मेरा असली साथ वही निभा सकते हैं जो मेरी उड़ान को समझते हैं। ©Nurul Shabd #मैं #फूल #भी #हूँ #Shayari शायरी attitude
Diya
बदलते रंग तुम आ कर मुझ से गले मिलो, अपने आलिंगन में मुझे संमा लो, अपने प्यार के रस में घोलकर, एक प्यारा सा सुकून पहुंचा दो, तुम्हारे बिना तड़पती हुई मेरी रूह हा तुझे याद करती है, मेरे गले के आसपास अपने चुंबन का एक प्यारा सा एहसास तो करा दो, ©Diya #बदलते #रंग #दिया #की #कलम #शायरी❤️से
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी आहे जमाने की लेकर फलफूल रहा था मुठ्ठी में दुनियाँ को लेकर छल बल से डॉलर हड़प रहा था आग लगाकर देशों में मानवता कलंकित कर रहा था बीमारियो का नाम देकर दवाओं का पेटेंट ले रहा था लाशो पर कारोबार करके इराक ईरान यूक्रेन को बर्बाद कर रहा था आज आका की सारी कूटनीति धरी रह गयी है जब खुद झुलसे आग में, मंजर उसके शहर में ही प्रकृति द्वारा नाकासाकी का दोहराया जा रहा है बर्बादी देखकर धरे है हाथों पर हाथ टेक्नोलॉजी का भूत उतरा जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning आहे जमाने की लेकर फल फूल रहा था
#GoodMorning आहे जमाने की लेकर फल फूल रहा था
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं, कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी रुस्वाई से भरी रातें थीं, तो कहीं जुदाई के आँसू बहाए। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी उम्मीदों का सूरज उग जाए, कभी बगैर चाँद आसमान सुना हो जाए। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी सपनों को बहार मिली, कभी उम्मीदों पर सितारे गिरे। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी पलकों पे मुस्कानें बिखरीं, कभी दिलों पे ग़मों के छाए। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी खुशियों का झरना बहा, कभी ख़ामोशियाँ गूंजीं यहाँ। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी सर्द हवाओं में आग जली, कभी गर्मी में बर्फ़ पिघली। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहा
#love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहा
read moreShalini Nigam
सोचना कभी_ क्या गुनाह कर आए, फकत एक फूल की खातिर_ पूरा बगीचा रौंद आए! ©Shalini Nigam #फूल #Nojoto #yqdidi #yqbaba #shayri #Love #Life #Poetry #writer
Pratima pathak
Unsplash रंग बदलती दुनिया देखी देखा जग व्यवाहर जब दिल टूटा तो भाया ठाकुर तेरा दरबार जय श्री कृष्णा ©Pratima #leafbook रंग बदलती दुनिया देखी 🌍🌍
#leafbook रंग बदलती दुनिया देखी 🌍🌍
read moreMohan Sardarshahari
यह दिल और इसमें चाहत के फूल भेजे जो तुमने सुबह करते हुए भूल किया है उन्होंने असर कुछ इस तरह जैसे जख्मों पर लग गई हो दवा माकूल।। ©Mohan Sardarshahari चाहत के फूल
चाहत के फूल
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