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Krishna G
ज़हर
ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर ©ज़हर #feelings #ज़हर ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर 0 Anshu writer hardik Mahajan Sharm
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Ashish Singh
Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda
White ❣️ कान्हा ❣️ जिन्दगी रहेगी या नहीं रहेगी पता नहीं ❣️पर जब तक रहेगी तब तक आपको पाने की ख्वाहिश रहेगी ❣️ राधे राधे मेरे कान्हा ❣️❣️❣️❣️करूँ तेरा #ज़िक्र या💞🥀 ❣️अहसासों में रहने दूँ,,,,,💕 करूँ तुझे #महसूस या💞🥀 ❣️धड़कन में बहने दूँ,,,,,💕 तुझे लफ्जों में करूँ बयां या💞🥀 ❣️इबादत” में रहने दूँ,, 💕💕💕अपने विचारों से लड़ने की कोशिश मत करो, उन्हें अपने ऊपर नियंत्रण दिए बिना आने और जाने दो। जब आप कुछ भी नहीं कर रहे होते,न शरीर से,न मन से, न बुद्धि से तब आप अपने साथ होते हैं...🙏🌹🌹 जय श्री कृष्ण 🌹 🎄 🌹 🎄 🎄 इंसान तीन ही अच्छे होते हैं 🌹 🌹 एक जो मर गया हो 🌹 🎄 दूसरा वो जो पैदा नहीं हुआ हो 🎄 🌹 तीसरा जिसे हम जानते ही नहीं🎄राधे-राधे🌹 ©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda #SunSeअपने विचारों से लड़ने की कोशिश मत करो, उन्हें अपने ऊपर नियंत्रण दिए बिना आने और जाने दो। जब आप कुछ भी नहीं कर रहे होते,न शरीर से,न मन
Mohd Asif
White कोन जाने कब मौत का पैगाम आ जाए, ज़िंदगी की आखरी शाम आ जाए, हमे तो इंतजार है उस शाम का जब हमारी ज़िंदगी किसी के काम आ जाए.. ©Mohd Asif #mountain कोन जाने कब मौत का पैगाम आ जाए, ज़िंदगी की आखरी शाम आ जाए, हमे तो इंतजार है उस शाम का जब हमारी ज़िंदगी किसी के काम आ जाए..
Mohd Asif
White जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें ©Mohd Asif #SunSet जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे
malay_28
White भरा है दर्द का सागर मेरी ये ज़िन्दगी डूबी पड़ा वीराँ मकाँ है अब कहो आना हुआ कैसे . ©malay_28 #कहो आना हुआ कैसे
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
Anjali Singhal