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Gopal Choudhary
नमस्कार सभी bhalpatti वासियों को ©Gopal Choudhary bhalpatti पंचायत की यूवा शक्ति
NEERAJ SIINGH
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है मनुष्य की चमड़ी में झुर्रियां आने लगती हैं पर अगर ये झुरियां चिमड़ता में और अनुभव की गंदगी समेटे अपनी अगली पीढ़ी को दें तो उससे अच्छा वो यूवा है जो विचारो से कोमल है और सबकुछ सुन और सह रहा है #neerajwrites यूवा ज्यादा अच्छा है
DINESH KUMAR
hi dost me patna se hu or aap sb thik to ho na aaj kl ke bhaag dor ke jindgi me time nikalna aam aadmi ko bahut miskil sa he mere dost lekin phir bhi insan ko apna pariwar ke saath mil julkr saath lekr chlna bahut jruri he or dost hm caahte he ki bhaart ke hr raajy me hr yua ek viswasi or smjhdar nagrik jrur bne tbhi jakr hmare bhart me hr yua ew bahn seph or surkchha rah sakti he jaante he mere pyare dost aaj kl ke det me kisi insan pr aakh bnd krke bhrosa krna bahut muskil ho gaya he mere pyare bahn or bhaai agr aap kisi se dosti ya smbnd ya kisi bhi tarh ka rista rakhne ja rahe he to plij meri bat pr aws gor kre sbhi bhai or bahn Raadhe Raadhe ©DINESH KUMAR बिचार वीसवासि यूवा ओर बहन हमारे भारत का हर नागरिक बने ओर हर गरिब ओर बहन ओर भाई ka maan smaan or aadr jrur kre bs Raadhe Raadhe
The unconditional Love
ताली ,थाली ,गाली सुनकर सरकार को अभी हल्की ही नींद खुली है..! यूवा को मोदी सरकार बेरोजगारी भीखमंगा बना कर रख दिया है.....! 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 ।ताली ,थाली ,गाली सुनकर सरकार को अभी हल्की ही नींद खुली है..! यूवा को मोदी सरकार बेरोजगारी भीखमंगा बना कर रख दिया है.....! 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 #b
gudiya
अब आवाज़ उठाने की ज़रुरत कहां मतलब की हर बात चुटकी में होती है यहां ! सब सांचे में ढल गये हैं कोई बचा ही कहां अब सभी इमानदार हो गये हैं जहां देखो वहां ! दम रंगीन कागज़ों में हैं ही अब कहां ऐब दोष तो सब बेरोजगारों के पास मिलेगा ! सब कुर्सियाँ साफ हैं आजकल अब कहां किसी को भ्रस्टाचार मिलेगा !! और अब अमीर भी है बिहार के बेरोजगार यूवा पता नहीं है तो पता करो बच्चा बच्चा लिये नोट हज़ार कैफे के पास मिलेगा ! ©gudiya अब आवाज़ उठाने की ज़रुरत कहां मतलब की हर बात चुटकी में होती है यहां ! सब सांचे में ढल गये हैं कोई बचा ही कहां अब सभी इमानदार हो गये हैं जहा
gudiya
इस वक़्त में यूवा परेशान है जितना उतना शायद ही कभी रहा होगा जोश, जूनून, उमंग, खुशी, उत्सव का उल्लास सब समाहित हो चुका अवसाद में ! न जाने कौन सी तरक्की हमारी दुनिया में हो रही है और कैसा समाज़ हमारे बुद्धिजीवी लोग बना रहे हैं ! हसीं सपनों में खोना और रात का होना ज़रूरी है और दोनो ही गायब है हमारी ज़िन्दगी से, और ऊपर ये शीर्षक भी आ गया की रात से रिश्ता ही न रक्खे ! रात से कोई रिश्ता न होगी तो दिन भी रिश्ते बिगाड़ लेगा ! ©gudiya #Rishta इस वक़्त में यूवा परेशान है जितना उतना शायद ही कभी रहा होगा जोश, जूनून, उमंग, खुशी, उत्सव का उल्लास सब समाहित हो चुका अवसाद में !