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Sunil Kumar Maurya Bekhud
उल्लू उल्लू बैठा हरी डाल पर देख रहा चहुँओर शांत शांत सा है वो लेकिन पक्षी मचाते शोर सोच रहा क्या मेरे अंदर नहीं है कोई खूबी या अवगुण के ही तलाश में सारी दुनिया डूबी मूर्खों की मुझसे तुलना कर लोग बहुत इतराते बात बात पर देते ताने मेरी हँसी उड़ाते कोई देख न सकता मुझ सा अंधेरी रातों में झूठ बोल मैं नहीं फँसाता लोगों को बातों में बेखुद सोच रहा लोगोँ की कब बदलेगी सोच ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #उल्लू
नवनीत ठाकुर
ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है, हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है। ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र, हर रात के बाद सहर की पहचान ही तो है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है, हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है। ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र, हर रात के बाद सहर
#नवनीतठाकुर ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है, हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है। ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र, हर रात के बाद सहर
read moreकवि प्रभात
मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात हिंदी कविता कविता कोश कविता
हिंदी कविता कविता कोश कविता
read moreनवनीत ठाकुर
हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार, थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार। केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद, अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद। काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात, अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात। ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर, दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर। पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान, बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान। हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज, इस विविधता पर हर दिल को है नाज़। तमिल में मिठास, संस्कारों का मान, बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान। मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप, पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप। भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम, बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम। गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान, इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान। त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान, संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान। ©नवनीत ठाकुर #हर दिल में बसता हिंदुस्तान है
#हर दिल में बसता हिंदुस्तान है
read moreनवनीत ठाकुर
जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को नीले और सफेद के संग रंग डाला, ये कौन चित्रकार है।। कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया, वो किसका विचार है।। मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया, हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, ये किसका चमत्कार है।। जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया, ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।। नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए, हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।। चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता, खामोश रात का वो मौन पहरेदार है।। अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते, सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया, वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।। वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा, हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।। कुदरत के हर कण , हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।। ©Navneet Thakur #ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता
#ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता
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