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।।दिल की कलम से।।
मेरे चारों तरफ, एक खा़मोशी सी है। बुझी बुझी खुशियाँ, घोर तंहाई सी है। तेरी जुदाई का सितम, तेरी यादों का साया है। चारों तरफ मेरे, तेरे ख्वाबों-ख्यालों का पहरा है। इंतजार अब भी है, बुझती आंखों को तेरा। जिंदा हूँ अब भी, तेरी मुहब्बत का सहारा है। ©।। दिल की कलम से।। मेरे चारों तरफ
Anuj Ray
इस वक्त मेरे चारों तरफ खुशी का माहौल है या या यूं कहूं पूरे देश में चर्चा है, सफलता की चंद्रयान की। खुशी की लहर दौड़ रही है मानव मन में, सारी दुनिया को मिलेगा इसका लाभ, जब से पहुंची है यह खबर जन-जन में। ©Anuj Ray #इस वक्त मेरे चारों तरफ,
Priyanka Jain creation
"सलाखें हैं "चारों तरफ क्यों? मुझे कोई आगे बढ़ने नहीं देता, समाज की बंदिशें क्यों? कोई तोड़ नहीं देता , घुटती है ,मेरी सांसे अब बंद दरवाजों में क्यों? कोई इन दरवाजों को अब खोल नहीं देता! @P.jain सलाखें है चारों तरफ
sonal
फिलहाल तो एक खबर तबाहों में है, कि तुम्हारे चर्चे शहर के अखबारों में है, आजकल कत्ल भी हो जाता है सरेआम, और फिर भी कातिल घूमते बाजारों में है, *सोनल* मेरे चर्चे🥰 #Darknight
Babu
मेरे इश्क के चर्चे सरेआम कर रहे है प्यार किये हैं आपसे इसलिए हमें बदनाम कर रहे है।। मेरे ईश्क के चर्चे
Saurav Tomar
#DelhiPollution आज चाँद कुछ लाल लाल सा था। मानो उस पर लगा कोई जख्म सा था।। गूंज रही थी हवाओं में भी एक अजीब सी सरसराहट। चारों तरफ छाया धुआँ धुँआ सा था।। किसने है घोला ये जहर इन फिज़ाओं में। बस यही जानने के लिए मेरी जिद्द अडिग थी।। सब दे रहे एक दूसरे को दोष। मानवता फिर एक बार शर्म से सिर झुकाये खडी थी।। नहीं पहुँच पायी उस चाँद की चांदनी भी मुझ तक आज। क्योंकि मनुष्य के द्वारा फैलाये इस प्रदूषण से चाँद की चांदनी भी कहीं दूर सहमी सी खडी थी।। हे मृत्युलोक के मनुष्य है तुझ पर अब धिक्कार।। अपने निहित स्वार्थ के लिए प्रदूषण फैलाकर अनबोलते पशु पक्षियों और अन्य जीवों पर तू कर रहा अत्याचार।। परन्तु याद रख हे मनुष्य प्रकृति नहीं रखती कुछ भी अपने पास। लौटा देगी सब कुछ तुझको एक दिन बारम्बार।। जो बो रहा आज तू बीजों का अज्ञान। आने वाली पीढ़ियां भुगतेंगी उसका विज्ञान।। अब अपनी जान पर बन आयी तो मास्क लगा तुम्हारी मानवता सडकों पर उतर आयी। जब चले किसानों पर लाठी डंडे और गोलियाँ तब तुम्हारी मानवता को शर्म नहीं आयी।। ऐ शहर में रहने वाले लोगों तुम्हारे फूँके हुए बारूद से तुम्हारी दिवाली हो गयी। परन्तु नौजवान की शहादत और किसान की आत्महत्या तुम्हारे लिये बीता इतिहास हो गयी।। हे ईश्वर तुझ से है प्रार्थना ना देना मुझे फिर से इस मृत्युलोक में जन्म। क्योंकि यहाँ अब धर्म पर राजनीति करने वालों की वाहवाही, राजनीति का धर्म निभाने वालों की इज्जत तार-तार हो गयी।। #Delhipollution है चारों तरफ धुँआ धुँआ
निष्प्रभ की दुनिया
अधिकतर लोग मुझे एंटी रिलीजन, एंटी ब्रह्मण या कट्टर नास्तिक समझते हैं और इसी बजह से मैं अपनी फैमिली, दोस्तों की उपेक्षा का शिकार भी हो रहा हूं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से। मैं नास्तिक नहीं हूं और ईश्वर विरोधी नहीं हूं और बनना भी नहीं। मैं विरोधी हूं ईश्वर के नाम पर हो रहे पाखंड और शोषण का। उदाहरण के लिए- देवदासी प्रथा, धर्म स्थलों पर महिलाओं के अंधविश्वास के कारण रेप, फिजूल खर्च आदि। मैं विरोधी हूं तो उस ईश्वर का जिसको रचा ही लूटपाट और शोषण के लिए। पत्थर को पूजना, वस्त्र पहनाना लेकिन जो साक्षात देवियां है उनको जय श्री राम कहकर रेप की धमकियां देना और बलात्कारियों के बरी होने की खुशी मनाना जय श्री राम के नारों के साथ। ये ईश्वर का अपमान नहीं है? मैं नास्तिक नहीं हूं बल्कि एक वैज्ञानिक सोच रखता हूं। मैं उस आस्था का विरोधी हूं जो इंसान को अंधविश्वास में डूबो दे। ईश्वर को मानना है तो कबीरदास जी की तरह मानिए। आपके धर्म ग्रंथों में भी लिखा है ईश्वर हर तरफ़ फैला नूर है और पत्थर पूजने वाले हमेशा अंधकार में डूबे रहते हैं। मैं कबीरदास जी को आदर्श मानता हूं और कबीर दास जी के अनुसार ईश्वर आपके ह्रदय के भीतर हैं न मंदिर में न मस्जिद में। पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहाड़, घर की चाकी कोई ना पूजे, जाको पीस खाए संसार !! कंकड़ पत्थर जोड़कर समाधि लई बनाए, तां चढ़ मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाए!! - निष्प्रभ मन्नु मल्होत्रा ईश्वर चारों तरफ फैला नूर है।
Vickram
मिला ही क्या जो इस कदर खुश हो गये हो । ये शोर जमाने का तो हमें कुछ और ही लगा । कोई रोता मिला कोई नाचते दिखा बेमतलब का । जाने कैसी खुशी थी किसकी कौन सा सोक था । ©Vickram कैसा शोर है ये चारों तरफ,,,