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KHALID Hussain

उफ ये मोहब्बत ##चारों तरफ़ से आँखों ने घेरा डाला है, लेकिन वो है कि नज़र नहीं आता। #नज़रनहींआता #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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नजर नही आता के अब किधर जाऊँ

मोहब्बत में टूट के मैं बिखर जाऊँ 

वो नही मिलेगा ये बेवफाओ का शहर है 
                   
                    ऐ खालिद

सोचता हूं घर वापस पलट जाऊँ
  उफ ये मोहब्बत ##चारों तरफ़ से आँखों ने घेरा डाला है,
लेकिन वो है कि नज़र नहीं आता। 
#नज़रनहींआता #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

Rajni kant dixit

#hindi_poetry #emotinallinescreator. #चारों तरफ नफरत की आग है. Love #शायरी

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चारों तरफ नफरत की आग है.
 यहां की हर शख्सियत में दाग है.

©Rajni kant dixit #hindi_poetry #emotinallinescreator.
#चारों तरफ नफरत की आग है.
 


#Love

Er.Shivampandit

जो_जितना_व्यस्त_उतना_सफल.... सुख-दुख,आना-जाना सब जीवन के पहलू हैं हर कोई ये जानता भी है और समझता भी।सच भी यही है कि जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच तालमेल बनाए रखना चाहिए हर पल को आनंद से भर लेना चाहिए।कभी-कभी शायद सभी ने ऐसा महसूस किया ज़रूर होगा भले ही मात्र एक क्षण को जैसे खुशियाँ सारी पास हैं फिर भी कुछ तलाश है।कभी ऐसा भी लगता है कि आप चारों तरफ अपनों से उनके अपनत्व से घिरे हैं किंतु इतनी भीड़ के बावजूद भी कभी अकेलापन महसूस होता है.. जीवन में व्यस्तताएँ बहुत बढ़ गई हैं ऐसा लोग प्रायः कहते हैं

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हमेशा झूठ हम आपस में बोलते आए
न मेरे दिल में न तेरी जबाँ पे छाला है…!!

©बेचैन.. ✍ #जो_जितना_व्यस्त_उतना_सफल.... 

सुख-दुख,आना-जाना सब जीवन के पहलू हैं हर कोई ये जानता भी है और समझता भी।सच भी यही है कि जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच तालमेल बनाए रखना चाहिए हर पल को आनंद से भर लेना चाहिए।कभी-कभी शायद सभी ने ऐसा महसूस किया ज़रूर होगा भले ही मात्र एक क्षण को जैसे खुशियाँ सारी पास हैं फिर भी कुछ तलाश है।कभी ऐसा भी लगता है कि आप चारों तरफ अपनों से उनके अपनत्व से घिरे हैं किंतु इतनी भीड़ के बावजूद भी कभी अकेलापन महसूस होता है.. 
जीवन में व्यस्तताएँ बहुत बढ़ गई हैं ऐसा लोग प्रायः कहते हैं

Poetry with Avdhesh Kanojia

#मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है। #विचार

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मेरी दृष्टि
✍️अवधेश कनौजिया© #मेरी_दृष्टि
............

शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि 
*वह उनसे वर्ण में बड़ा है।
*आयु में बड़ा है।
*उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है।
*वह उनसे अधिक वैभवशाली है।

Mahendra Depan

आज की सुबह

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आज सुबह मैने देखा कि सर्दिया आ रही हैं, चारों ओर धुंध छा रही हैं,सूरज बादलों और धुंध की ओट से  किरणे बिखेर रहा हैं, ऐसा लगता है आज सूरज सबके ऊपर मेहरबान हो रहा हैं, पक्षी अपने सुरीले गीत सुना रहे हैं, ऐसा लगता हैं आज चारों तरफ खुशहाली छा रही हैं आज की सुबह

नरेश_के_अल्फाज

true reality nojoto #poems

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चारों तरफ प्यार का खुमार छाया है 
अगर मिल जाए,वो प्यार, तो
 मैंने प्यार को बड़ा प्यारा एहसास पाया है 
 मिले न जब तक धोखा 
 तब तक सब की नजर में प्यार एक जैसा ही पाया है 
 और टूट जाए दिल किसी का तो 
 प्यार को सबने अलग-अलग बताया है 
 चारों तरफ प्यार का खुमार छाया है 
 
प्यार को सभी ने रिस्पेक्ट और केअर बताया है 
कभी लड़ाई तो कभी एक झलक को ही काफी बताया है
 सुन ले एक आवाज उसकी तो 
 पूरे दिन उसका नशा बताया है 
 आज प्यार शर्मसार हो आया है 
 रूम तक जा आए तो जन्नत वरना 
 प्यार को धोखा बताया है 
 फिजिकल रिलेशन पर टिके है प्यार 
 आजकल कहां कोई सच्चा प्यार पाया है 
 चारों तरफ इश्क का खुमार छाया है

 मेरी नजर में तो दिल मिलने की बात है 
 वरना सात फेरों में भी प्यार न हो पाया है 
 Naresh panghal  ने तो बस कलम चलाया है 
 चारों तरफ प्यार का खुमार छाया है.। true reality
#nojoto
#poems

Sudhir Bhatnagar

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आदत कहां थी अकेले कमरों की,
ए सी, टी वी, वक्त ही कहां था, 
जिंदगी जब दोड़ थी,
सूकुन, से कभी दोस्ती हुई ही नहीं,
जंग जब आसमां से थी,
शोर था चारों ओर, 
ख्वाहिशें जब बेइंतेहा थी, 
बाजार के खिलौने,
कॉपी किताबें, लैपटॉप,स्कूल की फीस,कपड़े, जूते, 
होटल का खाना,
 घूमने जाने की जिद,
आदत कहां थी अकेले कमरों की,
जिंदगी हर पल एक जलता धूंआ थी,
दुआओं की भला जब किसी को जरूरत ही कहां थी, 
कौन जानता था,
दिए की लौ एक दिन फड़फड़ाएगी, 
यादों का हर पन्ना फुर्सत में काम आएगा, 
शोर खामोशी का होगा चारों तरफ,
जिंदगी बंद अकेले कमरों में गुम हो जाएगी,
आदत कहां थी अकेले कमरों की।।
✍ सुधीर भटनागर

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
1 - धर्मो धारयति प्रजाः

आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है।

पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

ViRaj

पापा के बिना कुछ भी नही...

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जब वो मातम का गीत गाया गया..
चारों के कंधों पर उठाया गया..

जाने वाला महज एक शख्स नही था...
हम चारों के सर से साया गया...

miss you papa 
राज 'रामकुमार' बरवड़ पापा के बिना कुछ भी नही...

Kavi Swaroop Dewal Kundal

चारण #कविता

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जब दुनिया में हाहाकार हुआ 
फिर चारों ओर चित्कार हुआ 
जब कांप उठी ये सारी धरती 
फिर अंबर भी लाचार हुआ
तब भोलेनाथ ने किया उपाय 
जग में चारण को दिया बिठाय 
सगर सुत महाराज भागीरथ 
जब धरा पर गंग ले आए 
तब माँ की शरण से दूर यहाँ 
चारण संग चले आए 
पहला वास किया हिमालय 
बोले भोले की जय जय 
फिर तेलंग देश किया आबाद 
और पाप से किया आजाद 
फिर आए वो धरा गुजरात 
जहाँ अनोखी इनकी बात 
फिर वहाँ गढवी कहलाए 
राजपूत के मन को भाए 
फिर आए वो राजस्थान 
हमने बढाया इसका मान 
जन्मी शक्ति आवड़ करनल 
इन्द्र देवल जय लूंग जगदम्ब 
जग चारों ओर बढ़ाया 
मान चारण का आपने अम्ब 
सत्य वचन और हरी सुमिरन 
है जग में चारण की पहचान 
कहे ये देवल स्वरूप दान 
ऐसी मेरी जात महान चारण
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