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Sukhwinder Singh Ahluwalia
जब पंजाब में खालसा राज़ हूआ करता था तो अंगरेज़ भी थर थर काँपते थे ? #OctoberCreator #maharajaranjitsingh #khalsaraaj #nojotopunjabi nojotoh #Canada #england #nojotohindi #nojotourdu #viral #ਮਿਥਿਹਾਸ
read moreJotiram Sapkal
💥 बिझनेस वाढवण्यासाठी भारतीय शोर्ट व्हिडीओ प्लॅटफॉर्म कोणते वापरावे? #jotiramsapkal #mahagrowth #marathibusinessowner #digitalstrategy supp #शिक्षण #OnlineBusiness #supportsmallbusiness #smallbusinessowner #localbusiness
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🎯 2023 या वर्षी जास्तीत जास्त ग्रो होण्यासाठी कोणते Goal ठरवावे. #jotiramsapkal #mahagrowth #marathibusinessowner #digitalmarketingbusiness #Teacher #शिक्षण #supportsmallbusiness #teachergrowth #digitalstrategy
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Akky Khan
पुरे एरिया में नाम हो हमारे आसिफ़ भाई को देख के भाई के शरीर दुश्मन दूर दूर भागे है ओर कुछ नामर्दो ने पीठ पीछे वार करो हो हमारे शेर पे वरना #JusticeforAasif
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पुरे एरिया में नाम हो हमारे आसिफ़ भाई को देख के भाई के शरीर दुश्मन दूर दूर भागे है ओर कुछ नामर्दो ने पीठ पीछे वार करो हो हमारे शेर पे वरना #JusticeforAasif
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छोड़ दुनिया की बदलती फितरत अजमत यहा हर शख्सियत मोहब्बत में बर्बाद मिलेगी मिल जाएगी मंजिल तुझे जब तेरी हमसफर तुझे हिफ्जे कुरान मिलेगी ©Azmat khan मोहब्बत में खोदा की इबादत का वो बेहतरीन तरीका है उठाकर हाथ मांग लो उस शख्स को अपनी निकाह में खुदा से जो पाच वक्त की नमाज में मांगती है तुमको
मोहब्बत में खोदा की इबादत का वो बेहतरीन तरीका है उठाकर हाथ मांग लो उस शख्स को अपनी निकाह में खुदा से जो पाच वक्त की नमाज में मांगती है तुमको #Shayari
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कविता : "कब की छूट गईं वो राहें" आज सुबह वो घर से निकले, पहन के हाँथों में दस्ताने, दस्तानों में भी ठण्डे थे, कंपित हस्त हिमानी पाले। कोहरा छाया था सड़कों पर, पथ भी नजरों से ओझल था। तन भी ठिठुर रहा था थर-थर, मन भी बेहद बोझिल था। अंगुश्ताने भी पहने थे, ऊनी-अच्छे अंगुश्ताने। न ही ठंड अधिक थी, फिर भी ठंडी थी बाहें। ठंडी थी बस बाहें, या फिर पूरा तन ठंडा था, तन ठंडा था, मन ठंडा था, या फिर जीवन ही ठंडा था। उसके मन को जान न पाए, क्यों हम थे इतने अनजाने? मन मेरा उद्विग्न हो उठा, क्या थे हम इतने बेगाने? शायद! उसकी सिसकारी से, उर में जलती चिनगारी से, पलकों की एकटक चितवन से, शायद अब तक थे अनजाने। जिन पर चलकर हमें था जाना, कब की छूट गईं वो राहें। अब तो केवल शेष बची थी, दर्द भरी सिसकी और आहें। -✍🏻शैलेन्द्र राजपूत उन्नाव, उत्तर-प्रदेश 15.01.2023 ©HINDI SAHITYA SAGAR कविता : "कब की छूट गईं वो राहें" आज सुबह वो घर से निकले, पहन के हाँथों में दस्ताने, दस्तानों में भी ठण्डे थे, कंपित हस्त हिमानी पाले। कोहर
कविता : "कब की छूट गईं वो राहें" आज सुबह वो घर से निकले, पहन के हाँथों में दस्ताने, दस्तानों में भी ठण्डे थे, कंपित हस्त हिमानी पाले। कोहर #Poetry
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