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कवि होरी लाल "विनीता"
सब कहते हैं कि चुप रहा करो क्यों इतना ज्यादा बोला करते पहले वाला नहीं जमाना अब लगा जमाना दूसर है क्यों कान खोल कर न सुनते हो और आंख खोल कर न चलते हो।। मैं हाथ जोड़कर सबसे बोला जो मुझको समझाया करते थे सच को सदैव हम सच ही कहेंगे बेशक लगा जमाना दूसर सच को सच क्यों ना कहते हो क्यों झूठ बड़ाई खूब करते हो।। सब पूछें कि एक बात बताओ क्या तुम को डर ना लगता है क्यों जान तुम्हारी तुम्हें ना प्यारी बुरा जमाना बुरे लोग हैं तेरी जान के दुश्मन बहुत हैं क्यों सच बोल दुश्मनी,पैदा करते हो।। भांति भांति के लोग जगत में सबका अलग अलग सिद्धांत मैं पैदा हुआ हूं इसी जगत मे मैं चलता रहूंगा नए जमाने के साथ भय मुक्त अपना जीवन जीना है अपना एक सिद्धांत क्यों नहीं बनाते हो।। ©कवि होरी लाल "विनीता" #mainaurtum जमाना दूसर
सचिन द्विवेदी
दूसर अवगुण सब देखें , आपन मन झाके ना कोई , जो आपन मन देखलिए ... तो खुद - से बुरा ना कोई ! बात समझ आत है सबका .. पर मानत है ना कोई , जो बात मान कर , अपना लइये जीवन मा... सो सुख के पति हुई ! ©Sachin Dwivedi🌛 दूसर अवगुण सब देखें ..!
shivprasad tiwari
जैसे कि एक जंगल में एक सुख पेड़ से सारे जंगल में आग लगा जाते हैं उसे प्रकार अगर कुल में एक पुत्र कुमेत हैं उसे छोड़ने में देन चाहिए ह
Pavan
कभी उनको याद करना कभी उनकी बात करना मेरा इश्क उनकी चाहत मेरा शौक उन पे मरना। ❤️❤️❤️❤️ पवन ह
S M P
*इन्सानियत दिल में होती है हैसियत में नहीं.....* *ऊपर वाला केवल 'कर्म'* *देखता है वसीयत नहीं ह|||||.|
Shanu Khan
नाजाने कौन मुझसे मेरी पहचान पूछता है मेहू बेनाम मेरा नाम पूछता हे कुछ मंजिले पानी हे मुझे फासले ते कर के कहा तक पोहचे वो हर शाम पूछता है ह