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Ghumnam Gautam
New Year 2025 किसी की आँखों मे रहकर सँवरना सीख लेवेंगे सपन टूटे सुमन होकर बिखरना सीख लेवेंगे भले कुछ और सीखें या न सीखें हम मगर इस साल दिल-ए-महबूब में गहरे उतरना सीख लेवेंगे ©Ghumnam Gautam #Newyear2025 #महबूब #सुमन #ghumnamgautam
#Newyear2025 #महबूब #सुमन #ghumnamgautam
read moreF M POETRY
New Year 2024-25 अच्छा होगा भी या बुरा होगा. कौन जाने क़ी आगे क्या होगा. कितने दुख दर्द उस सफर गुज़रे. इस सफर जाने क्या से क्या होगा. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #NewYear2024-25 कौन जाने क़ी क्या से क्या होगा..
#Newyear2024-25 कौन जाने क़ी क्या से क्या होगा..
read moreSatish Kumar Meena
Unsplash साथ निभाना अपने आप में कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है अगर इसके लिए दो मन का मिलन महज कल्पना है तो रिश्ते का टूटना स्वाभाविक है। ©Satish Kumar Meena साथ निभाना
साथ निभाना
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White वो मेरे पास से गुज़रे तो इस तरह गुज़रे.. कि जैसे उनका न था मुझसे वास्ता कोई.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #वो मेरे पास से....
वो मेरे पास से....
read moreF M POETRY
White जो तअल्लुक कभी न था यूसुफ़.. वो निभाना अजीब लगता है.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #वो निभाना अजीब लगता है....
वो निभाना अजीब लगता है....
read moreRAMLALIT NIRALA
White गुस्सा और शांति इसांन के जीवन में ईस धरातल से कम नहीं जैसे रेगिस्तान कही ऊचा तो कही खाल होता है ठीक उसी तरह इसांन के जीवन मे होता है जब खुश रहता है तो एक दिन एक महीना एक साल बीत जाये उसे भी नहीं पता चलता है पता तो तब चलता है जब उसे एक दिन या दो दिन उसका तबियत खराब हो जाये तो फिर उसे गुस्सा आता है और गुस्सा मे लोग अपने आप को ही मारते है इसांन को गुस्सा आये तो किसी शांत जगह पर जाकर कुछ पल बिताये गुस्सा शांत हो जायेगा जिवन के दो पहलू दुःख और सुख ईसे कौई नहीं टाल सकता ©RAMLALIT NIRALA कौई भी काम शांती से करे अवस्य पुरा होगा
कौई भी काम शांती से करे अवस्य पुरा होगा
read moreनवनीत ठाकुर
मेरी महबूबा की आँखों में वो रौशनी, जो आफताब की चमक को भी मात दे। उसकी सांसों की खुशबू, बगदाद के अत्तार की महक को धुंधला दे। उसकी आवाज़ में वो जादू , हर लय उसकी ज़ुबां से जन्म ले। उसके होठों की सुरख़ी गहरी, खुद शबनम उसमें बसी हो जैसे। गुलाब की नज़ाकत भी पड़े फीकी, उसके गालों की रंगत के आगे। खुदा की क़सम, मेरा इश्क़ ऐसा बेहतरीन और बेमिसाल है। जो न किसी झूठी तारीफ का मोहताज है। न किसी क़सीदे का, वो खुद हुस्न की मिसाल है। ©नवनीत ठाकुर #महबूब