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Parasram Arora
White उलझन वाले छंदो मे उलझ कर कविता मेरी थक कर हाफने लगी है लगता है अब एक नई कविता मन के केनवास पर कहीं जन्म न लें रहीं हो ©Parasram Arora i एक नूई कविता का प्रजनन
i एक नूई कविता का प्रजनन
read moreकवि प्रभात
तूने वो काम किया, जो न दुश्मन करे सोचे करने से पहले, रब से डरे ज्ञान तुझको भी होगा हो जैसा करम 2 फल करनी का वैसा भुगतान पड़े ©कवि प्रभात #GoldenHour कुमार विश्वास की कविता कविता कोश प्यार पर कविता
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read moreकवि प्रभात
White फिर वो शाम आएगी होगा अपना मिलन तन मन से मिटेगा विरह का तपन दूर तुमको न दूंगा मैं जाने कहीं 2 रखूंगा तुमको अपना बना के धड़कन ©कवि प्रभात #sad_quotes कुमार विश्वास की कविता कविता कोश प्यार पर कविता
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read moreकवि प्रभात
चार दिन की जिंदगी, क्यों करना तकरार ? इस जग में जीवन जिएँ, देते सबको प्यार || ©कवि प्रभात #agni कविता कोश कुमार विश्वास की कविता प्यार पर कविता
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read moreकवि प्रभात
White जादू ऐसा है तेरा, फूटे जब जब बैन | निकले नाम तुम्हारा ही, सच कहता दिन रैन || ©कवि प्रभात #sad_quotes कुमार विश्वास की कविता प्यार पर कविता कविता कोश
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read moreDeependar lodhi Deepu raja
hii friends good morning 💫💫😈 ©Deependar lodhi Deepu raja #goodmorningguyea कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता
#goodmorningguyea कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता
read moreनवनीत ठाकुर
जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
#प्रकृति का विलाप कविता
read moreNeetesh kumar
White मुहब्बत, आशिकी और इबादत होती यदि मुझे तुम्हारी आंखों में उतर जाने की इजाजत होती... ©Neetesh kumar #Sad_Status कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
#Sad_Status कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
read moreकवि प्रभात
White कहने को कुछ भी कहे, जीवन को संसार | उसको मुझसे प्यार है, मुझको उससे प्यार || ©कवि प्रभात #Sad_Status हिंदी दिवस पर कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी कविता
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