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Ashay Choudhary
बरसात, कुल्हड़ की चाय तुम, मैं और.... बस नुक्कड़ वाली चाय की दुकान, कुल्हड़ और वहा तक की चहलकदमी #wiredwords #chai #kulhadhwalichai
gudiya
कुछ कहने की चाह नहीं अलफाज़ भरमाया रहता है जाने कौन से सफ़र पर दिल चहलकदमी फरमाया करता है ©gudiya कुछ कहने की चाह नहीं अलफाज़ भरमाया रहता है जाने कौन से सफ़र पर दिल चहलकदमी फरमाया करता है #nojotoq #nojoto #nojotohindi #nojotoLove #nojotosh
Neena Jha
सुनसान रास्ते सा हो गया दिल न कोई आता है और न ही कोई जाता है बस छेड़छाड़ जारी है मंज़िल से मंज़िल न मिलने तक ही तुमसे यारी है बाद का सफ़र साथ चलेगा फ़िर चहलकदमी है और हर राह पर रोशनी भी नई है। नीना झा #संजोगिनी ©Neena Jha #PhisaltaSamay #Neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ ज्ञानदात्री 🙏 सुनसान रास्ते सा हो गया दिल न कोई आता है और
sifar_e_sifar
#जंगल#मील#पहाड़#घर#चहलकदमी#हीरा#पत्थर मील का पत्थर एक symbolic representation hai kiski ye aap par depend karega😅😄🙂🙂 गजल नीचे को हैं😄👇 #NojotoQuote जंगल में क्या-क्या होता है। इक मील का पत्थर क्या जाने। पहाड़ भी क्या कुछ खोता है। इक मील का पत्थर क्या जाने।। घर की दीवारों का हँसना-रोना।
rupali yadav
गांव और शहर के बीच झूलता इंसान है गांव बैचैन है शहर बनने को शहर खुद अपनी आवो हवा से परेशान है.. एक ओर है चहलकदमी का मंजर है वहीं कोई सुनसान राहों से हैरान है गांव और शहर के बीच उलझा पड़ा इंसान है गांव बैचेन है शहर बनने को शहर खुद परेशान है... Follow me on instagram @magicalwords0903 ... ... please follow #rupaliyadav #yqdidi #yqquotes #ywdidi
Rajendra Prasad Pandey Kavi
Technocrat Sanam
इश्क़ में बहके, सम्भले और पार हो गए जो डूबे इस दरिया में वो गुलजार हो गए तोहमतें न लगा अफ़सोस न जता मुआलिज ये दर्द ओ ज़ख्म अब तो मेरे यार हो गए हज़ार दफ़ा दिल टूटा तूने छोड़ा हमें शागिर्द ले हसरतें पूरी कर हम फिर से तैयार हो गए पहले हम भी नाज़ुक चमन हुआ करते थे लोगों की चहलकदमी से ज़रा खार हो गए हम भी कभी कमाल ओ आदमी काम के थे इतना इस्तेमाल हुए 'सनम' के बेकार हो गए @technocrat_sanam मुआलिस = हकीम शागिर्द = साथी खार = डंठल/कठोर #गुलजार इश्क़ में बहके, सम्भले और पार हो गए जो डूबे इस दरिया में वो गुलजार हो गए
Dr Jayanti Pandey
इस बार की दीपावली.... ( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) इस बार दीवाली की अलग बहार है जमाने के बाद जैसे आया त्योहार है कितनी बातें मन पिंजरे में ज़ब्त बैठीं सबको जैसे इस रिहाई का इंतजार है भोले भा
Manish Sarita(माँ )Kumar
चला गया क्या यूं पत्थर मारना ठीक है क्या ठीक है यूं ठहरे हुए को झंकझोड़ना पहले पत्थर मारना फिर तन्हा दरिया को तन्हाई में अकेले छोड़ना तुम पत्थर छोड़ो कागज़ की कश्ती चलाते ख़ुद उतरते दरिया में दरिया को दरिया होने का अहसास करवाते ये बाहरी रंग एक रोज चला जाएगा फिर याद आएगा वो ठहरा दरिया फिर वो पत्थर मारना याद रह खाएगा वो चुप है तो जो मन किया करोगे पहले पत्थर मारोगे फिर घंटों साहिल साहिल चहलकदमी करोगे ये मन के गुब्बार खाली कहां करें तुम ये सोच इसीलिए तो यहां आते हो एक बार तुम सोचना एक दरिया तुम्हारे भीतर भी है क्या तुम वहां भी इसी तरह पत्थर चलाते हो ©Manish Sarita(माँ )Kumar "दरिया पर पत्थर" उसने दरिया पर पत्थर मारा और चला गया क्या यूं पत्थर मारना ठीक है क्या ठीक है यूं ठहरे हुए को झंकझोड़ना पहले पत्थर मारना फि