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drsharmaofficial
मैदानी क्यारियों से झाँकती नीम- गिलोय की सगंत ही 'दोस्ती' हैं"... Dedicating a #testimonial to seha jain #yqbaba #hindi #diary #happyfriendshipday #dosti #urdu #writer इस शहर या उस शहर की मिट्टी में भीतर त
Shreya Choudhary
मैं तैनू फेर मिलांगी कित्थे ? किस तरह पता नई। पर मैं तेनु मिलागी। शायद कदी तेरे परछाई बण तेरे कदमों तले तेरे संग चलदी रवागी, पर मैं तेनु फेर मिलागी। जा किस दिन इक ठंडी फवार बण तेरी रूह ने छुआगी। पर मैं तेनु फेर मिलगी। जे कदी हो सकदा सूरज की किरण बण तेरी निन्दा ने सतावगी। पर मैं तेनु जरूर मिलगी। So, here is my version of this beauty called " मैं तेनु फेर मिलागी". I am really in love with this beautiful piece by Amrita Pritam Ji, a f
JALAJ KUMAR RATHOUR
जसवंतनगर ,ये सिर्फ एक कस्बा नही हमारी यादो का किस्सा है, जहाँ हमने अपने बचपन के हसीं लम्हों को बिताया है, जसवंतनगर ने ही नेता जी को राजनीति के आसमां की ऊचाईयों तक पहुचाया है, छिमारा रोड से नहर के पुल तक, और कुरसेना से कैस्त तक फैला ये कस्बा अपनी अलग ही पहिचान बनाये हुए है, मोहब्बत यहाँ के लोगो के दिलो में है, और नफरत के लिए यहाँ बंदूके चलना आमबात है, मैदानी रामलीला के लिए प्रसिद्ध हमारा जसवंत नगर अपनी एक संस्कृति को समेटे हुए है, केंद्र में स्थित खटखटा बाबा का मंदिर यहाँ के लोगो की आस्था का प्रतीक है, हम लोग भले ही सारा जहाँ घूम आये पर आज भी सुकूँ जसवंतनगर की हवा मे मिलता है, यहाँ के आशिको को आप अक्सर कैस्त या रामलीला रोड पर देखेंगे, कमलेश चाचा की बड़ई और निक्का हलवाई के समोसे शीलू हलवाई की मिठाई यहाँ के लोगो की जुबान को लुभाते है प्यारे चचा के छोले चावल, चटपटे की चाट, शंकर और पंडित जी की चाउमीन हम को भाते है यहाँ रामलीला में मुस्लिम भाई साथ देते है और हम सब लोग ईद मनाने में उनका साथ बस आपस का प्रेम यही बनाता है हमारे जसवंतनगर को खास.... आपका अपना जसवंतनगरवासी #NojotoQuote जसवंतनगर ,ये सिर्फ एक कस्बा नही हमारी यादो का किस्सा है, जहाँ हमने अपने बचपन के हसीं लम्हों को बिताया है, जसवंतनगर ने ही नेता जी को राज
Aprasil mishra
"वैश्विक समाज की शवाधान प्रणालियों में अन्तर एवं उनकी ऐतिहसिक पृष्ठभूमियाँ : जमींन-जिहाद के आलोक में।" **************************************** वैश्विक समाज में जनगत मानसिकता आज जिस तरह साम्प्रदायिक चरमपंथ में वैमनस्य का शिकार हो
अशेष_शून्य
कवि होते हैं किसी दृढ़ पर्वत से... जिनके पलकों के किनारे से उद्गमित होती हैं "कविताएं" नदियां बनकर...!! -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में ...) कवि होते हैं किसी दृढ़ पर्वत से... जिनके पलकों के किनारे से उद्गमित होती हैं "कविताएं" नदियां बनकर।। जिनके भीतर कल्पनाओं की ऊंचाई के समक
अशेष_शून्य
"किसी स्त्री का हंसना और पुरुष का रोना दोनों ही स्मृतियां विश्व धरोहर की विलुप्त संरक्षण सूची में शामिल की जानी चाहिए" -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) मेरे अस्तित्व का अक्स आईने से अधिक स्पष्ट झलकता तुम्हारी स्वप्निल आंखो में पर सोचती हूं तुमने अश्रुओं का श्रावित होना निषेध क्यूं
vishnu thore
चांदणे शब्दातले उजळे सहज ज्यांचे स्मरण आग ह्रदयातील शब्दा पोळते ज्यांचे स्मरण.. अमरावतीतील कर्हाडे ब्राह्मणांचं एक सुखवस्तू घराणं
Divyanshu Pathak
भोर भई मन तड़पत सरपट "कनुआ" दौड़ बुलाइ रह्यो है ! वो मधुकर को प्रेम पियासो पुष्प सुबह बिलखाय रह्यो है ! तेरे दर्शन दुर्लभ भारी क्यों मुझसे शरमाय रह्यो है ! आ मिल अंक से अंक मिलाले क्यों ऐसे भरमाय रह्यो है ! श्याम सलोने मत कर देरी क्यों बैरी मोय सताय रह्यो है ! आ अब भी तू साथ हमारे क्यों मेरी पीर बढाइ रह्यो है ! तत्व सत्व को रस बरसाने "पाठक" तोय बुलाय रह्यो है ! :☕☕🌱🍀🍫🍫☕☕🍨👨 जुग जुग नर नारायण जैसे संग साथ तू रहतो आयो मैं जीवन तू 'जीवनज्योति' अब क्यों मुह दुबकाय रह्यो है !😊😊😊😊😊😊 : मुझे पिछले माह विवाह
Anita Saini
देखो निढाल शम्स भी अपनी आग से ज़ख़्मी है बेचारा हम भी ठीक वैसे ही जल रहे अलबत्ता है चनाब किनारा— % & वो कहता है तुम में इश़्क-ओ-आशिक़ी की थोड़ी कमी है... 😴 PS. : चिनाब नदी के लिए एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है, जो कि अक्सर पाकिस्तान के लोग कहा
अशेष_शून्य
फिर एक दिन हम अपनी अपनी महक लिए लौट जायेंगे और फ़िर एक दिन हम, हमारे रास्ते अलग हो जायेंगे ।। ~©Anjali Rai — % & और फ़िर एक दिन हम, हमारे रास्ते अलग हो जायेंगे हमारा दिन हमारी रात हमारी राह अलग हो जायेगी चलते चलते तुम किसी और शहर की